पुस्तक `भगवतगीता ´ का विमोचन – अब होगी गीता के सभी श्लोको की सुसंगत व्याख्या

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आई.एन.वी.सी,,
लखनऊ,,
लखनऊ प्रख्यात चिंतक, विचारक, साहित्यकार हृदयनारायण दीक्षित द्वारा लिखित एवं लोकहित प्रकाशन , लखनऊ द्वारा प्रकाशित  पुस्तक `भगवतगीता ´ (गीता के सभी ‘लोकों की सुसंगत व्याख्या) का विमोचन आज उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के प्रेमचन्द्र सभागार में मध्य प्रदे’ा सरकार के उच्च शिक्षा  एवं जनसम्पर्क मंत्री लक्ष्मीकांत ‘ार्मा द्वारा किया गया। विमोचन समारोह में बोलते हुए लक्ष्मीकांत ‘ार्मा ने कहा कि श्री दीक्षित ने गीता के सभी ‘लोकों की सरल एवं आधुनिक व्याख्या की है। उन्होंने इस पुस्तक में प्रत्येक ‘लोक को ऋग्वेद काल से लेकर उत्तर वैदिक काल तक होते हुए आधुनिक संदर्भो तक समझाने का काम किया है। पुस्तक बहुत अच्छी है। मध्य प्रदे’ा में भी यह पुस्तक आम जन तक पहुंचे इसका म0प्र0 सरकार प्रयास करेगी।
श्री ‘ार्मा ने कहा कि विगत व”ाZ मध्य प्रदे’ा सरकार ने श्री दीक्षित को उत्कृ”ट लेखन के लिए गणे’ा ‘ांकर विद्याथÊ रा”ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित किया था। श्री दीक्षित सुप्रतिि”ठत स्तम्भकार हैं। वे भारतीय दृष्टिकोण वाले प्रख्यात आलोचक लेखक हैं। उन्होंने कई विवेचन’ाील ग्रन्थ लिखे हैं। श्री दीक्षित ने गीता के सभी ‘लोकों का क्रमबद्ध विवेचन किया है। युवाओं के लिए यह पुस्तक बहुत उपयोगी है। उन्होंने कहा कि हिन्दी के क्षेत्र में उत्तर प्रदे’ा का वि’ो”ा योगदान रहा है लेकिन मध्य प्रदे’ा भी पीछे नहीं है। मध्य प्रदे’ा सरकार वि’व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन करने वाली है।
समारोह के मुख्य वक्ता अखिल भारतीय साहित्य परि”ाद रा”ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर ने कहा कि गीता कत्तZव्य, नीति अनीति का बोध कराने वाला व्यवहारिक ग्रन्थ है। हजारों व”ाZ प्राचीन ज्ञान की यह अमृतधारा आधुनिक मानव के लिए बहुत उपयोगी है। गीता के पूर्व भा”यों, अनुवादों के दृष्टिकोण को श्री दीक्षित ने इस पुस्तक में उद्धृत किया है। इस पुस्तक में भारतीय संस्कृति, दर्शन और वैज्ञानिक विवेक की धारा है।
लेखक हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि भगवद्गीता अंतर्रा”ट्रीय ज्ञान ग्रंथ है। मूल गीता प्रवाहमान ललित संस्कृत काव्य और गीत है। उन्होंंने कहा कि गीता के अधिकां’ा अनुवादकों और भा”यकारों ने ऐतिहासिक परिश्रम किये हैं। गीता लोकप्रिय ग्रन्थ है। यह पुस्तक गीता को समझने का एक विनम्र प्रयास है। यहां कोई मौलिकता भी नहीं है। इसमें ऋग्वेद से लेकर आधुनिक काल को एक अखण्ड सांस्कृतिक इकाई के रूप में देखा गया है। यहां गीता को आधुनिक संदर्भ में समझने का प्रयास किया गया है।
कार्यक्रम को विि’ा”ट अतिथि पूर्व मंत्री रविन्द्र ‘ाुक्ल, डॉ0 राम नरे’ा यादव, आनंद मोहन चौधरी ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता लखनऊ वि’वविद्यालय के संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो0 ओम प्रका’ा पाण्डेय ने एवं कार्यक्रम का संचालन रा”ट्रधर्म प्रका’ान के प्रबंधक पवन पुत्र बादल ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से सदस्य विधान परि”ाद विनोद पाण्डेय, प्रतिि”ठत अधिवक्ता जयकृ”ण सिन्हा, वरि”ठ समाजसेवी जयपाल सिंह, लखनऊ वि’वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष दया’ांकर सिंह, भाजपा के प्रदे’ा महामंत्री संगठन राके’ा जैन, प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक, मीडिया प्रभारी नरेन्द्र सिंह राणा, हरी’ा श्रीवास्तव, सहमीडिया प्रभारी दिलीप श्रीवास्तव, मनी”ा दीक्षित, मुख्यालय प्रभारी भारत दीक्षित, सहमुख्यालय प्रभारी चौ0 लक्ष्मण सिंह, भाजपा नेता वीरेन्द्र तिवारी, दिने’ा दुबे, गिरजा ‘ांकर गुप्ता, रामप्रताप सिंह एडवोकेट, गोपाल कृ”ण पाठक एडवोकेट, राजे’ा वर्मा एडवोकेट, आर0सी0 सिंह, प्र’ाांत सिंह, प्रेम ‘ांकर त्रिवेदी, सुनील मोहन, संदीप दुबे सहित भारी संख्या में समाजसेवी, अधिवक्ता, चिकित्सकगण उपस्थित रहे।

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