{ निर्मल रानी ** } अरविंद केजरीवाल द्वारा नवगठित राजनैतिक दल आम आदमी पार्टी में सदस्यों की भरती का काम बहुत ज़ोर-शोर से चल रहा है। देश व समाज की सेवा करने की भावना रखने वाले तमाम बड़े से लेकर छोटे नेता,कार्यकर्ता,समाजसेवी,उद्योगपति, छात्र,व्याापरी,मज़दूर,किसान, पूर्व कर्मचारी,पूर्व सैनिक,पूर्व नौकरशाह तथा शिक्षक आदि वर्गों के लोग केवल भारतवर्ष में ही नहीं बल्कि विदेशों में रहने वाले इस वर्ग के भारतीय भी आम आदमी पार्टी से जुडऩे की होड़ में लगे हुए हैं। निश्चित रूप से यह ज़रूरी भी है कि एक नवगठित संगठन और वह एक ऐसा राजनैतिक संगठन जिसने वर्तमान भ्रष्ट हो चुकी राजनैतिक व्यवस्था को बदलकर इसे सा$फ-सुथरा करने का बीड़ा उठाया हो उसके लिए देश के प्रत्येक गांव व गली-कूचों से लेकर दुनिया के प्रत्येक भाग में रहने वाले भारतीयों तक से जुडऩा व उन्हें अपने साथ जोडऩे का प्रयास करना बेहद ज़रूरी भी है। ‘आप’ को अपने संगठन विस्तार की इस मुहिम में का$फी सफलता भी मिल रही है। दिल्ली की सत्ता पर बैठने के बाद पार्टी का जनाधार दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। परंतु इस आंख मूंद कर होने वाले संगठन व पार्टी के विस्तार के संबंध में कई बातें ऐसी हैं जिनपर अरविंद केजरीवाल व उनके नीति निर्धारकों का ध्यान देना बेहद ज़रूरी है। अन्यथा आम आदमी पार्टी से भयभीत भ्रष्ट व्यवस्था से जुड़े लोग चाहे वह नेता हों या मीडिया या फिर वर्तमान भ्रष्ट व्यवस्था में सरकारी सेवाओं से जुड़े लोग केजरीवाल व उनकी आम आदमी पार्टी को ज़रूरत से ज़्यादा बदनाम करने में अपनी ओर से कोई कसर उठा नहीं रखेंगे।
ज़ाहिर है जब आम आदमी पार्टी ने प्रशासनिक व राजनैतिक सुधार तथा देश की भ्रष्ट व अपंग हो चुकी राजनैतिक व्यवस्था को बदलने का संकल्प किया है तो कम से कम उन्हें ऐसे लोगों से तो बिल्कुल परहेज़ करना चाहिए जो कल तक किसी न किसी रूप में देश की इसी भ्रष्ट व्यवस्था के किसी न किसी अंग का हिस्सा रहे हैं। यदि कोई भी दुश्चरित्र,रिश्वत$खोर,भ्रष्ट,अपराधी,ठग, बेईमान,डि$फॉल्टर,टैक्स चोर,सरकारी भूमि पर $कब्ज़ा करने वाला, बिजली की चोरी करने वाला, राजनीति को धनार्जन का साधन समझने वाला,राजनैतिक पद को दहशत फैलाने का माध्यम समझने वाला, जातिवाद,सांप्रदायिकता या परिवारवाद को बढ़ावा देने वाला, राजनीति के माध्यम से अपने परिजनों व संगी-साथियों को लाभ पहुंचाने की प्रवृति रखने वाला व्यक्ति आप पार्टी का सदस्य बनकर व्यवस्था परिवर्तन की बात करेगा या राजनैतिक सुधारों के आंदोलन का अगुवाकार बनने की कोशिश करेगा तो ‘आप’ पार्टी की ओर उंगलियां उठना स्वाभाविक हैं। हालांकि ‘आप’ द्वारा सदस्यों की संख्या बढ़ाने व सदस्यों की भर्ती का जो टोल फ़्री माध्यम यानी एसएमएस अथवा मिसकॉल करना रखा गया है उससे तत्कालिक रूप में किसी भी नए सदस्य के चरित्र की जांच-पड़ताल नहीं की जा सकती। जबकि किसी भी मिस कॉल या एसएमएस आने के $फौरन बाद एसएमएस या मिस कॉल करने वाले व्यक्ति को पार्टी द्वारा स्वचालित तरी$के से पार्टी सदस्य संख्या आबंटित कर दी जाती है। और सदस्य बनने के साथ ही वह व्यक्ति स्वयं को अपने गली-कूचों या क्षेत्र का ‘अरविंद केजरीवाल’ समझने लग जाता है। इतना ही नहीं बल्कि कुछ $खबरें तो ऐसी भी प्राप्त हो रही हैं कि विभिन्न स्थानों पर कई लोग अस्पताल,कचहरी,नगरपालिका तथा स्वास्थय विभाग जैसे द$फ्तरों में आम आदमी पार्टी की टोपी लगाकर सरकारी कर्मचारियों पर रोब डाल रहे हैं तथा कर्मचारियों को अपमानित करने की कोशिश की गई है। कई जगहों से ऐसे समाचार भी प्राप्त हुए हैं कि ऐसे नए-नवेले ‘आप’ सदस्यों द्वारा केवल सरकारी कार्यालयों में अपना उल्लू सीधा करने, अपना व अपने परिजनों व साथियों का जायज़-नाजायज़ काम कराने के लिए अपनी सदस्यता का दुरुपयोग किया जा रहा है।
कुछ ऐसा ही उस समय भी देखने को मिल रहा था जबकि बाबा रामदेव अपने सपनों की राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी को देश के वैकल्पिक राजनैतिक दल का रूप देने की कोशिश कर रहे थे। उनके साथ भी इस प्रकार के अनेक डि$फाल्टर व भ्रष्ट लोग जुड़ गए थे। अन्ना हज़ारे का आंदोलन भी इस त्रासदी का शिकार रह चुका है। परंतु अरविंद केजरीवाल व आप पार्टी के साथ जुड़ा कोई भी व्यक्ति जब भी और जहां भी स्थानीय स्तर से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक किसी भी अवैध,अनैतिक अथवा भ्रष्ट कार्यों में लिप्त पाया जाएगा तो मीडिया तुरंत उसे अपने निशाने पर लेते हुए सीधे तौर पर अरविंद केजरीवाल व उनकी पार्टी को ही अपने निशाने पर लेगा। उदाहरण के तौर पर ताज़ातरीन मामला ब्रिटेन में पढ़ाई के संबंध में गए भारतीय छात्रों की वीज़ा अवधि बढ़ाए जाने का है। इस संबंध में ब्रिटेन पुलिस ने दो ऐसे लोगों को अपनी जांच के दायरे में लिया है जो स्वयं को आम आदमी पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता बताते हैं। इन पर ब्रिटिश पुलिस का आरोप है कि इन्होंने भारतीय बच्चों की वीज़ा अवधि और अधिक बढ़ाने के लिए उन्हें अंग्रेज़ी विषय के $फजऱ्ी टेस्ट दिलवाए जाने का प्रबंध किया। ऐसा करना ब्रिटिश $कानून के अनुसार बड़ा अपराध है। इस मामले में संलिप्त तथा स्वयं को आप पार्टी का सदस्य बताने वाले दो लोगों के चलते आप पार्टी की पूरे ब्रिटेन में $फज़ीहत हो रही है। जिस ब्रिटेन में अरविंद केजरीवाल व उनकी आप पार्टी को भारतीय हीरो की नज़र से देखा जा रहा था, धन के लालची इन दो संदिग्ध लोगों के चलते अब आप पार्टी को वहीं संदेह की नज़रों से भी देखा जा रहा है। ज़ाहिर है किसी भी नवोदित अथवा नवगठित राजनैतिक संगठन के लिए इसे एक अच्छी शुरुआत अथवा शुभ संकेत नहीं कहा जा सकता।
दरअसल देश की राजनीति से लेकर प्रशासनिक,संसदीय,न्यायपालिका अथवा मीडिया इन सभी व्यवस्थाओं में रिश्वत,भ्रष्टाचार,पक्षपात,व्यवसायिकता तथा परिवारवाद का दीमक बुरी तरह से लग चुका है। यह व्यवस्थाएं अनैतिकता व भ्रष्टाचार की लगभग आदी सी हो चुकी हैं। इन व्यवस्थाओं को इस समय इनसे जुड़ा अधिकांश तब$का ऐशपरस्ती,धन कमाने, व्यक्तिगत् लाभ उठाने, अपने मनचाहे लोगों को इस का $फायदा पहुंचाने तथा वीआईपी कल्चर में रहकर जीने का आदी हो चुका है। सेल टैक्स व इन्कम टैक्स की चोरी करना यहां के अधिकांश लोगों की $िफतरत बन चुकी है। रिश्वत$खोरी को यहां के लोग सुविधा शुल्क का नाम देने लगे हैं। दिखावा करना यहां के लोगों की पहचान बन चुकी है। ऐसे में अरविंद केजरीवाल द्वारा पेश किए जा रहे उनके अपने रहन-सहन के अंदाज़, भ्रष्टाचार के विरुद्ध निडर होकर उनके द्वारा उठाई जाने वाली आवाज़,राजनीति से वीआईपी कल्चर को समाप्त करने का उनका संकल्प, रिश्वत देने और लेने वालों के विरुद्ध उनकी चेतावनी, राजनीति को औद्योगिक घरानों की गिर$फ्त से मुक्त कराकर उसे देश के अंतिम आम आदमी के द्वार पर ला खड़ा करने की उनकी गांधीवादी नीतियों के मद्देनज़र उनके साथ उन्हीं की विचारधारा व समर्पण रखने वाले लोगों का जुडऩा बेहद ज़रूरी है।और नि:संदेह यह एक बेहद टेढ़ी खीर है। ऐसा भी संभव है कि आप पार्टी से $खौ$फज़दा राजनैतिक दलों के नेता आम आदमी पार्टी में सुनियोजित तरी$के से कार्यकर्ताओं व सदस्यों की घुसपैठ कराकर समय-समय पर आप पार्टी को नु$कसान पहुंचाने की कोशिश करें। जैसाकि विनोदकुमार बिन्नी को लेकर देखा भी जा चुका है।
लिहाज़ा अरविंद केजरीवाल को राजनीति की इस बेहद कठिन डगर पर चलने के लिए नाकों चने चबाने पड़ेंगे। जहां उन्हें अपने सामने खड़ी व्यवस्था परिवर्तन संबंधी तमाम बड़ी से बड़ी चुनौतियों से जूझना है वहीं उन्हें अपने संगठन के भीतर भी $खासतौर पर उसके संगठनात्मक ढांचे व सदस्यों के चरित्र व उनकी पृष्ठभूमि पर भी पैनी नज़र रखने की ज़रूरत है। निश्चित रूप से जब आप किसी भ्रष्ट व्यवस्था के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हों तो कम से कम किसी भ्रष्ट व्यक्ति को अपने साथ लेकर तो ऐसा हरगिज़ नहीं किया जा सकता। और न ही जनता किसी भ्रष्ट,दुराचारी या डि$फॉल्टर व्यक्ति को भ्रष्ट व्यवस्था का परिवर्तन करने वाले नायक के रूप में स्वीकार कर सकती है। इसलिए ज़रूरी है कि 2014 के लोकसभा चुनावों से पूर्व अरविंद केजरीवाल राष्ट्रीय स्तर पर अपने संभावित उम्मीदवारों से लेकर साधारण सदस्यों तक के चरित्र व उनकी पृष्ठभूमि की गहन जांच-पड़ताल करवाएं।
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** Nirmal Rani
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