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वीणा की कविता “संतुष्टि“
वह बोला
मेरे खेतों में सोना है
मैं हँसी ये सोच कर कि
यह अक्ल से कितना बौना है
सोना होता ,तो क्या इस के कपड़ों में
पैबन्द होता...
सांप्रदायिक दंगे – इस हमाम में सब नंगे हैं *
{ वसीम अकरम त्यागी ** } सांप्रदायिक दंगो को रोकने के लिये रोकने के लिये सरकार प्रथम प्रधानमंत्री के कार्यकाल से ही कदम उठा...
शशांकबदकल बदकल की कविता
झूठ को सच बनाइए साहब,
ये हुनर सीख जाइए साहब,छोड़िए साथ इस शराफत का,
नाम अपना कमाइए साहब,फल है देता तो, खादपानी दो,
वरना आरी चलाइए साहब,घर...
परिंदों जागते रहना शिकारी आने वाले हैं
{ वसीम अकरम त्यागी **} एक जमाना था अटल बिहारी वाजपेयी बराबर संघ के अग्रणी पंक्ति के नेता होते थे बाकायदा चडढी पहन कर...
सदियों रहा है दुश्मन दौर ऐ जहां हमारा
{ वसीम अकरम त्यागी **}
पिछले एक दशक से पश्चिमी मीडिया और उसके पदचिन्हों पर चलने वाली भारतीय मीडिया ने जितना दुष्प्रचार इस्लाम और उसके...
डॉ. मंजरी शुक्ल की कहानी – नमक का क़र्ज़
डॉ. मंजरी शुक्ल की कहानी - नमक का क़र्ज़- नमक का क़र्ज़ -
चारो ओर से धमाकों की आवाज़ आ रही थी I ऐसा लग...
विकराल रूप धारण करती नक्सल समस्या *
{ तनवीर जाफरी ** } छतीसगढ़ में पिछले दिनों बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी की बाईस वाहनों के साथ चल रही...
शालिनी खन्ना की कविता
अच्छे संस्कार के बीजों कोदबा दिया था मैने
अपने अंतर की जमीं पर
और मन ही मन मुस्कराई थी
जल्द ही अंकुरित होंगे बीज
पौधे का रूप लेंगे...
विजय पुष्पा पाठक की कविता
हे बादल तुम कब बरसोगे !
सूखे हुए हैं बाग -बगीचे
सूखी हैं विरहिन की आँखें
ताल -तलैया सब ही सूखे
यक्ष प्रश्न सबकी आँखों मे
कब इस धरती...
प्रमोद तिवारी की ग़ज़ल
मेरे पांव हैं जमी पर ,मेरे सर पर आसमां है,
मुझे और कुछ न चहिए, मेरी जुस्तजू जवां है।तेरी इक नजर की खातिर ये चांद...