दर्श वीर संधू की कविताएँ
1 .
कितने
खामोश होंगे
लफ्ज़,
जो ढल पाए
सन्नाटे ……
वरना
सुरों तक को
उठानी पड़ती है
उधारी, इनसे
महज़
नब्ज़ तक पहुँचने को……
औ
कंठ क्या हैं,
बेवजह बहती
कल कल का
बेआवाज़ रुदन
एक सार
धधकती
रग रग, साज़िश
यां
ठहरी पुतली को
जिंदगी सा दिलासा
ये
साए तो होते ही हैं
अँधेरे
जो उठ आते हैं
बतियाने
रार्तों को
आँतों से
सरकने
पर
कितने ख़ामोश रहे होंगे
सन्नाटे
जो
सुन पाए
बेलफ़्ज़ तक ………………….!
2
गर्दिश
जो
आँखों से बोले
तो
लौट आते है
गुज़रे मौसम
सुलगने
सुलगाने
नयी लकड़ी
पुरानी आग
सर्द सांसें
ज़र्द ख्वाब
सिंकेंगे
मौन रिश्ते
ज़र्रा ज़र्रा
कुछ आग तो दो
हवा को।
3
जाते जाते
चौथी दफा
फिर मुड़ी
और बच्चों से
बाहें फैला
खनकती हुई बोली
अच्छा ये लो
शुभ रात्रि भी
अभी से
आँखों से
टपके पानी को
दिशा देती अंगुली
सरकते सरकते
छाती पे रुकी
और दिल की ताल पर
ठक ठकाते
हल्के से बुदबुदाई
यहाँ सम्हाल लो
जेब में
पगली अभी तक
ये भी नहीं सीखा
कि
रिसती हुई चीज़ें
जेबों में नहीं टिकतीं।
4
रंग
महक
पवन
तारे
जुगनू
चांदनी
सावन
रिमझिम
बुलबुले
े
कोयल
पपीहे
झींगुर
तपिश
सुलगना
पिघलना
खिलना
झड़ना
सुखना
और फिर….
बीजों से अंकुरण
कितना सब
छोड़ गई थी वो
बिन मांगे
चाहता तो मैं
सिर्फ यही था
कि वो फूल हो
और मैं ओस
और हमारे दरम्यान
जो कुछ भी घटे….
खुशबू हो!!!!
5
किसी सावन
मिलना
भरे बादलों पे
कुछ हर्फ़
लिख बैठेंगे
बरसात तक
कि वो पिघलें
फिर
उनकी कोई
उम्र नहीं होगी
न ही हद
जब जब
सावन लौटेगा
बरसेगी वर्णमाला
लफ्ज़ लफ्ज़
बूंद बूंद
खारा पानी ।
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दर्श वीर संधू
शिक्षा- ललित कला में डिग्री और कुछ एक विभिन्न प्रकार के व्यवसायों में प्रयोग और अनुभव।
कैलीफोर्निया के सिएरा नेवाडा पहाड़ों में रिहाईश और कारोबार खाली समय में कविता लिखना या ग्राफ़िक कला में रूचि।
हिंदी और पंजाबी दोनों भाषाओं में लेखन। कई ऑनलाइन पत्रिकाओं में कविताएँ और दो एक कविता संकलन कतार में।
संप्रति- कैलिफोर्निया में अपना व्यवसाय।
ईमेल- darshvir@gmail.com
शानदार कविताएँ बहुत बहुत बधाई !
बेजोड़ कविताओं का बेहतरीन संकलन…ईश्वर आपकी लेखनी और समृद्ध करे नित्य नयी ऊंचाइयां छुएं !!
बधाई एवं शुभकामनाएं !!