– ज्योति गुप्ता –
“प्रेम” बिना किसी दस्तक के ज़िन्दगी में दाखिल हो जाता है बगैर यह देखे कि समाज के दरवाजे पर किस धर्म, जाति और उम्र की तख्ती लगी है। प्रेम जो सबसे सरल है और ‘कॉम्प्लिकेटेड’ भी, समर्पित है इसी प्रेम को फ़रवरी की 14 तारीख — ‘वैलेंटाइन डे’।
जिसे दुनिया भर में मनाया जाता है। अंग्रेजी बोलने वाले देशों में, ये एक पारंपरिक दिवस है जिसमें प्रेमी एक दूसरे के प्रति अपने प्रेम का इजहार ग्रीटिंग कार्ड, फूल, या उपहार आदि देकर करते हैं। ये छुट्टी की शुरुआत थी जिसे क्रिश्चियन शहीदों में से दो, जिनके नाम वेलेंटाइन थे, के नाम पर रखा गया है।मध्य युग में, जब सभ्य प्रेम की परंपरा पनप रही थी, इस दिवस का सम्बन्ध रूमानी प्रेम के साथ हो गया।
ये दिन प्रेम पत्रों के “वेलेंटाइन” के रूप में पारस्परिक आदान प्रदान के साथ गहरे से जुड़ा हुआ है। आधुनिक वेलेंटाइन के प्रतीकों में शामिल हैं दिल के आकार का प्रारूप, कबूतर और पंख वाले क्यूपिड का चित्र.19वीं सदी के बाद से, हस्तलिखित नोट्स की जगह बड़े पैमाने पर बनने वाले ग्रीटिंग्स कार्ड ने ले ली है। ग्रेट ब्रिटेन में उन्नीसवीं शताब्दी में वेलेंटाइन का भेजा जाना एक फैशन था।
युवाओं में अत्यधि लोकप्रिय वैलेंटाइन डे, इन दिनों प्रेमी प्रेमिका के रिश्तों से यह दिवस आगे बढ़ कर प्रेम के अन्य रूपों जैसे- दोस्त या पारिवारिक सदस्य, को भी अपना चूका है । दोस्त को पीले फूल दे कर यह वैलेंटाइन डे सेलिब्रेट किया जा रहा है और 14 फ़रवरी अब वैश्विक तौर पर मनाया जाने लगा है।
तोहफों में आमतौर पर शामिल होता है, गुलाब और चॉकलेट को लाल साटन में पैक कर के एक दिल के आकार वाले डिब्बे में देना.1980 के दशक में, हीरा उद्योग ने गहने देने के लिए एक अवसर के रूप में वेलेंटाइन दिवस को बढ़ावा देना शुरू किया। एक सघन विपणन प्रयास की वजह से, वेलेंटाइन दिवस कुछ एशियाई देशों में भी मनाया जाता है। इस सहस्राब्दी की शुरुआत पर इंटरनेट लोकप्रियता की वृद्धि नई परम्पराएँ पैदा कर रही है। हर साल लाखों लोग वेलेंटाइन दिवस की शुभकामना संदेशों को बनाने और भेजने के लिए डिजिटल तरीकों, जैसे की ई-कार्ड, प्रेम कूपन और छपने योग्य ग्रीटिंग कार्ड अदि, का इस्तेमाल करते हैं।
वैलेंटाइन डे महिलाओं के बीच भी उतना ही लोकप्रिय है, लेकिन जब उपहार के लिए सवाल जेब ढीली करने का हो तो वे पुरुषों से थोड़ा पीछे रहती हैं। पुरुष महिलाओं से ज्यादा आगे रहते हैं। एक दिलचस्प अध्ययन में यह बात सामने आई है। वैसे अब वैलेंटाइन सप्ताह की शुरुआत हो चुकी है। 7 फरवरी से शुरू यह सप्ताह 14 फ़रवरी को अपने चरम पर होता है। माना जाता है प्रेम अँधा होता है फिर यह दौर तो बाज़ार का है जँहा प्रेम भी वस्तु तुल्य परोसा जा रहा है, यहाँ प्रेम के नाम से प्रचलित खोटे सिक्के भी हैं।
आप जब प्रेम में होते हैं कई ख्वाहिशें खुद-ब-खुद दिल में घर बना लेती हैं और सजा लेती हैं एक आसमान। ख्वाहिशों का यह आसमान सजाने से पहले यह जरूर सोचना चाहिए कि हर ख्वाहिश पूरी हो यह मुमकिन नहीं, चाहे वह प्रेम की ही क्यों ना हो। मशहूर शायर निदा फ़ाज़ली जी का एक शेर है — कभी किसी को मुक्कमल जंहा नहीं मिलता/ कंही जमीं तो कंही आसमां नहीं मिलता। प्रेम प्रयोजनहीन हो तो प्रेम में कोई अपराध भी नहीं होगा न किसी तरह की हिंसा ।
प्रेमिल हो जाएँ हम सब स्वभाव से तो विश्व और भी सुन्दर हो जाए।कुछ नहीं तो प्रकृति प्रेमी ही हो जाएँ, वसंत की चंचल हवा को वृक्ष की छाया में लेटकर रगों में दौड़ने दें। लता के पत्तों का जो हरा तजा टटका रंग है, उतर जाने दें उसे धड़कन की लय में और मुट्ठी में मिट्टी बिखेर कर प्रकृति हो जाएँ।
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ज्योति गुप्ता
लेखिका व् कवयित्री
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बेहतरीन लेख ज्योति जी…!!!
Jai hind jyoti ji
आज का आपका लेख प्यार करने वालों के लिए समर्पित देख और पढ़ कर बहुत अच्छा लगा और आपके लेख में
वैलेंटाइन के बारे में बहुत सी जानकारी मिली |
आपको वैलेंटाइन डे कि हार्दिक बधाई …..