रितु शर्मा की कविताएँ

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 रितु शर्मा की कविताएँ

१ सन्नाटा

सुनो
ऐसा तो नही होता
ये बिलकुल गलत है,
नही लगता कभी
चौथ को ग्रहण
बताओ भला
किसी ने देखा है कभी
चौथ को ग्रहण लगे हुए
तुमने सुना है कभी?’
लाल जोड़े में खड़ी
खूबसूरत सी
लडकी के चेहरे पर
दर्द के परछाई
गहरा गई
कैसी बहकी-बहकी बातें
सोच रही हूँ
वो देखो चाँद तो
अपनी जगह चमक रहा है’…
‘चाँद नहीं मैं तो तुम्हारी…’
वो घबराकर पलटी…
छत पर काला,
गहरा सन्नाटा पसरा था
और
वो एकदम अकेली खड़ी थी.

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२ इंकलाब

जो इन्कलाब
तुम लाना चाहते हो
इस देश में वो
तब ही सम्भव
हो सकता हैं
जब
इमानदारी के मुंह पर
बार बार पढ़ रहे
तमाचो की गूँज से
इन बहरे कानो वाले
चीख नही पढ़ते
क्योकि
तुम भी
वारिस हो
उस वक्त के
जिन
बहरो को सुनाने
के लिए
बम तक फैकना पढ़ा था …!!

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३ **थक गई हूँ ***

बहुत थक गयी हूँ
इस युग के शहर,गाँव
गलियों में घुमते घुमते …
तुम मुझे अपनी जटाओ के जंगल
में छुपा लो तो
हो जाएगा अन्धेरा चारो
दिशाओ में
फिर गहरी नींद आयेगी…
जब तुम जंगल की करवट
बदलोगे तो मैं जाग
जाउंगी और उठ कर बच्चो
की तरह किलकारी मारूंगी,
उछलकूद करूंगी
तेरे सीने पर दौड़ लगाऊँगी
तेरी मिट्टी पर अपने निशान छोड़
फिर गुम हो जाऊँगी
इस युग की गलियों में ही
खामोश कही …
यू मुझे पता हैं तुझे तंग करता हैं
मेरा हर वक्त बच्चा होना …
सदा के लिए नही आयी
बहुत थक गयी हूँ बस
उकताई नही हूँ
इसलिए
वापिस आ जाउंगी ..!!

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4 रात

सुनो
मै रात हूँ!
होता हैं मेरा बसर
नीरवता में…
करती हूँ रहगुजर
नीरवता से…
सन्नाटा सुनती हूँ,
जीती हूँ…
पल,पल,
पहर,पहर
गुज़रती जाती हूँ!
हैं मेरे मुक़द्दर में सहर …
क्योंकि हैं मेरे गर्भ में दिन ….
छाती हैं जब पूरब में लालिमा…
धीरे धीरे
रंग बिखरता है तो
करना ही होता हैं मुझे समर्पण
स्याह अंधेरों में
सितारे मेरा सिंगार
चाँदनी रातों में
चाँद मेरे माथे का झूमर!
हूँ चिरयौवना दुल्हन
फिर भी
मर मिटती आयी हूँ
युगों से!
रूप बदलती हूँ…
सदियों से!

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5 कहा जाओगी …

दर्द,अश्क,जख्म
समुद्र पहाड़
और सफीनो को
अपने स्याह दामन में
छुपाये बैठी हैं
बरसों बाद
खिज़ा का मिजाज़ और
मेरा हाले दिल
एक सा हैं
हमारा नगमा-ए-रंजोगम
और संगीत
एक सा हैं
छुपा हैं कोई
जलजला
इस घर की
बुनियाद में
उफ्फ ..!
आरजुओ की
कांपती लौ
लेकर
ए बाती
तुम कहा जाओगी …??

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ritu-sharma-poem-of-ritu-sharmaपरिचय –:

रितु शर्मा

सम्प्रति – शिक्षिका

 मन के भावो को उकेरना अच्छा लगता हैं

Address – S-17 ,Shiwalik Nagar ,B.H.E.L ,Haridwar , Uttranchal-pin code 249403

E-Mail –  ritusharma342@yahoo.in

2 COMMENTS

  1. रितु शर्मा जी की पाँचों कविताएँ बेहतरीन लगी… उन्हें और संपादक को बधाई
    – पंकज त्रिवेदी
    संपादक – विश्वगाथा

  2. वाह ….क्या खूब लिखा है ….दिल गहराई से लिखी हुई रचना ….

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