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नई दिल्ली ज्योतिष में मंगल ग्रह की स्थिति का विशेष महत्व होता है, और जब मंगल नीच और वक्री अवस्था में होते हैं, तो इसका जीवन और समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है। विक्रम संवत 2081 के राजा मंगल, जो 9 अप्रैल 2024 से 29 मार्च 2025 तक शासन करेंगे, 20 अक्टूबर 2024 से 7 जून 2025 तक नीच और वक्री रहेंगे। इस साल के राजा मंगल है और किसी राजा का नीच और वक्री होना प्रजा के लिए शुभ नहीं माना जाता है।
इस लेख में हम समझेंगे कि मंगल का नीच और वक्री गोचर – 20 अक्टूबर 2024 से 7 जून 2025 के बीच क्या घटनाएँ घटित होंगी, इसका हमारे जीवन, समाज, और व्यक्तिगत राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, और इसके कुछ ज्योतिषीय उपाय क्या हो सकते हैं।
## मंगल का गोचर: समय और घटनाएँ
मंगल का नीच और वक्री गोचर विभिन्न तिथियों और घटनाओं से जुड़ा हुआ है, जो ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्व रखती हैं। आइए, इसके मुख्य बिंदुओं पर नजर डालते हैं:
- 20 अक्टूबर 2024: रविवार को, मंगल दोपहर 02:46 बजे मिथुन राशि से कर्क राशि में प्रवेश करेगा। कर्क राशि में प्रवेश के साथ ही मंगल नीच का हो जाएगा।
- 7 दिसम्बर 2024: शनिवार को सुबह 05:01 बजे मंगल वक्री हो जाएगा। वक्री अवस्था में मंगल की चाल उलट जाती है और यह प्रभाव ग्रहों की उर्जा में असंतुलन पैदा कर सकता है।
- 21 जनवरी 2025: मंगलवार को सुबह 09:37 बजे मंगल वापस मिथुन राशि में आ जाएगा, लेकिन वक्री स्थिति में ही रहेगा। यह स्थिति संघर्ष और अस्थिरता के संकेत देती है।
- 24 फरवरी 2025: सोमवार को सुबह 07:27 बजे मंगल मार्गी हो जाएगा, यानी उसकी चाल सीधी हो जाएगी। इस बदलाव के बाद कुछ हद तक राहत मिल सकती है।
- 3 अप्रैल 2025: बृहस्पतिवार को मंगल फिर से कर्क राशि में प्रवेश करेगा और नीच के हो जाएगा। यह स्थिति 7 जून 2025 तक रहेगी।
- 7 जून 2025: देर रात 02:28 बजे मंगल सिंह राशि में प्रवेश करेगा। सिंह राशि में प्रवेश के साथ ही मंगल नीचता से उच्चता की ओर बढ़ने लगेगा, जिससे धीरे-धीरे स्थितियों में सुधार होगा।
## मंगल के नीच और वक्री होने का प्रभाव
ज्योतिष में मंगल को ऊर्जा, साहस, संघर्ष, और शक्ति का ग्रह माना जाता है। जब मंगल नीच और वक्री होता है, तो इसका प्रभाव विशेष रूप से प्रतिकूल हो सकता है। नीच और वक्री मंगल के प्रभाव से निम्नलिखित प्रभाव देखे जा सकते हैं:
1. व्यक्तिगत जीवन में अस्थिरता
- मंगल का नीच और वक्री होना व्यक्ति के मानसिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है। मानसिक तनाव, गुस्सा, और अधीरता में वृद्धि हो सकती है।
- इस समय के दौरान वैवाहिक जीवन में भी संघर्ष और मतभेद हो सकते हैं। विशेषकर कर्क और मिथुन राशि वाले लोगों को विशेष ध्यान रखना चाहिए।
- निर्णय लेने में कठिनाई और आत्मविश्वास में कमी महसूस हो सकती है, जिससे करियर और व्यक्तिगत संबंधों में अस्थिरता आ सकती है।
2. आर्थिक प्रभाव
- आर्थिक दृष्टिकोण से यह समय चुनौतियों भरा हो सकता है। निवेश और नए व्यापारिक उपक्रमों में जोखिम हो सकता है।
- वक्री मंगल के कारण वित्तीय निर्णयों में गलतियाँ हो सकती हैं, इसलिए सावधानीपूर्वक योजना बनाना जरूरी है।
- व्यर्थ के खर्चों से बचने और धन के सही प्रबंधन पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी।
3. स्वास्थ्य पर असर
- मंगल की यह स्थिति स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। खासकर रक्तचाप, सिरदर्द, और हड्डियों से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- मानसिक तनाव और अवसाद की समस्या बढ़ सकती है। इस समय योग, ध्यान और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना अत्यंत आवश्यक होगा।
4. समाज और राजनीति पर प्रभाव
- विक्रम संवत 2081 के राजा मंगल हैं, और किसी राजा का नीच और वक्री होना प्रजा के लिए शुभ नहीं माना जाता। इसलिए, इस समयावधि में सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता की संभावना है।
- सरकार और शासन से जुड़े निर्णयों में देरी या गलतियाँ हो सकती हैं, जिससे जनता में असंतोष फैल सकता है।
- कानून और व्यवस्था की स्थिति भी तनावपूर्ण रह सकती है, और संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
## राशि अनुसार मंगल के गोचर का प्रभाव
हर राशि पर मंगल के नीच और वक्री गोचर का प्रभाव अलग-अलग हो सकता है। आइए, कुछ मुख्य राशियों पर इसका प्रभाव जानें:
1. मेष राशि
- मेष राशि के जातकों के लिए मंगल का नीच होना आत्मविश्वास और साहस में कमी ला सकता है।
- स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, विशेषकर सिर और आँखों से संबंधित।
- करियर में संघर्ष बढ़ सकता है, लेकिन संयम और धैर्य से काम लें।
2. वृषभ राशि
- वृषभ राशि के लिए यह समय भावनात्मक अस्थिरता ला सकता है। वैवाहिक जीवन में तनाव हो सकता है।
- आर्थिक मामलों में जोखिम उठाने से बचें।
- रिश्तों में धैर्य रखें और संवाद में पारदर्शिता बनाए रखें।
3. मिथुन राशि
- मिथुन राशि के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण हो सकता है। कार्यक्षेत्र में संघर्ष और अस्थिरता की संभावना है।
- निजी जीवन में कुछ असामान्य परिणाम हो सकते हैं।
- स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें, खासकर पाचन तंत्र और मानसिक स्वास्थ्य।
4. कर्क राशि
- कर्क राशि वालों के लिए यह गोचर विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण रहेगा। भावनात्मक अस्थिरता और मानसिक तनाव हो सकता है।
- परिवारिक विवादों से बचने का प्रयास करें।
- आर्थिक मामलों में सावधानी से निर्णय लें।
5. सिंह राशि
- सिंह राशि के जातकों के लिए मंगल का यह गोचर साहस और ऊर्जा में कमी ला सकता है।
- करियर में कुछ रुकावटें आ सकती हैं, लेकिन धैर्य और संयम से हालात सुधर सकते हैं।
- स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी, खासकर हड्डियों और रक्त से जुड़ी समस्याओं पर।
## वक्री और नीच मंगल के दौरान क्या करें?
मंगल का नीच और वक्री गोचर कठिनाइयाँ लेकर आता है, लेकिन ज्योतिषीय उपायों और धैर्य से इस समय को बेहतर बनाया जा सकता है। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:
- हनुमान जी की उपासना: मंगल से संबंधित समस्याओं के निवारण के लिए हनुमान जी की पूजा और हनुमान चालीसा का पाठ करें। यह मंगल के अशुभ प्रभाव को कम करने में सहायक होता है।
- लाल रंग का दान: लाल वस्त्र, लाल चंदन, या लाल रंग की वस्तुओं का दान करना इस समय शुभ माना जाता है।
- मंगल मंत्रों का जाप: ‘ॐ अंगारकाय नमः’ मंत्र का जाप करें। यह मंगल के कुप्रभाव को कम करने में सहायक हो सकता है।
- धैर्य और संयम: इस समय धैर्य बनाए रखें और किसी भी प्रकार के जल्दबाजी में लिए गए निर्णयों से बचें।
## निष्कर्ष
मंगल का नीच और वक्री गोचर – 20 अक्टूबर 2024 से 7 जून 2025 निस्संदेह जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करेगा। यह समय सावधानी, संयम, और समझदारी से कार्य करने का है। चाहे वह व्यक्तिगत जीवन हो, आर्थिक स्थिति, या समाज और राजनीति—इस गोचर का प्रभाव हर क्षेत्र में महसूस किया जा सकता है।
ज्योतिषीय उपायों और आत्मसंयम से इस समय को आप सफलतापूर्वक पार कर सकते हैं। ध्यान रखें कि हर कठिन समय के बाद एक नया अवसर आता है, और यह समय भी आने वाले अच्छे अवसरों की नींव रखने का मौका हो सकता है।
नोट: यह लेख केवल जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। कोई भी ज्योतिषीय उपाय या निर्णय लेने से पहले किसी विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य करें।