अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को: 17 साल बाद रोहिणी नक्षत्र और बुधवार का महासंयोग
आई एन वी सी न्यूज़ नई दिल्ली – अक्षय तृतीया का दिन भारतीय संस्कृति में अत्यधिक महत्व रखता है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष है, बल्कि इसे भारतीय पंचांग में समृद्धि और समृद्धि की परिभाषा भी माना जाता है। इस वर्ष, 30 अप्रैल को मनाई जाने वाली अक्षय तृतीया एक विशेष कारण से और भी महत्वपूर्ण बन गई है। दरअसल, इस बार अक्षय तृतीया पर एक दुर्लभ संयोग बन रहा है—बुधवार और रोहिणी नक्षत्र का महासंयोग, जो पिछले 17 वर्षों में पहली बार बन रहा है। यह संयोग अपनी विशेष ज्योतिषीय विशेषताओं के कारण व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में भी सकारात्मक बदलाव की संभावना को बल देता है। इस दिन के महत्व को समझना केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि ज्योतिष शास्त्र और आध्यात्मिक धारा से भी जरूरी हो जाता है।
अक्षय तृतीया: गंगा अवतरण और परशुराम का जन्म
अक्षय तृतीया को भारतीय इतिहास और संस्कृति में अत्यधिक महत्व प्राप्त है। कहा जाता है कि इस दिन गंगा माता का स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। यह दिन एक विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक प्रतीक बन चुका है, जब धरती पर पवित्रता और शुद्धता का वास हुआ। साथ ही, परशुराम का जन्म भी इस दिन हुआ था, जिनका संबंध धार्मिक पुनर्निर्माण और धर्म की स्थापना से है। साथ ही, त्रेतायुग का प्रारंभ भी अक्षय तृतीया को हुआ था, जिस कारण इसे युगादि तिथि भी कहा जाता है। इन ऐतिहासिक और धार्मिक घटनाओं का संगम इस दिन को अत्यधिक पवित्र और फलदायी बनाता है।

स्वयं सिद्ध मुहूर्त: बिना पंचांग के शुभ कार्य
एक ऐसी तिथि जो स्वयं सिद्ध मुहूर्त मानी जाती है, वह है अक्षय तृतीया। इसका अर्थ यह है कि इस दिन बिना पंचांग देखे भी कोई शुभ कार्य प्रारंभ किया जा सकता है। इस दिन ग्रहों की शुभ स्थिति हर प्रकार के कार्य को दीर्घकालिक सफलता और समृद्धि प्रदान करती है। विशेष रूप से इस दिन गृह प्रवेश, व्यापार प्रारंभ, वाहन खरीदारी और संपत्ति खरीदारी के लिए यह सबसे शुभ दिन माना जाता है। भारतीय समाज में इसे एक ऐसा अवसर माना जाता है जब जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि के द्वार खुलते हैं।
17 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग: बुधवार और रोहिणी नक्षत्र
इस साल अक्षय तृतीया पर एक दुर्लभ ज्योतिषीय संयोग बन रहा है। बुधवार और रोहिणी नक्षत्र का महासंयोग 17 साल बाद बन रहा है, और यह संयोग इस दिन को और भी ज्यादा महत्व प्रदान करता है। पंडित अजय कौशिक, एक प्रमुख ज्योतिषाचार्य, के अनुसार इस दिन पारिजात योग, गजकेसरी योग, केदार योग, काहल योग, हर्ष योग, उभयचरी योग, वाशी योग, सर्वार्थसिद्धि योग, शोभन योग और रवियोग जैसे महायोग बनेंगे। इन महायोगों का निर्माण व्यापार, निवेश और नई शुरुआत के लिए अत्यधिक शुभ फलदायी होगा। यह संयोग इस दिन किए गए निर्णयों को स्थायी सफलता और समृद्धि की ओर ले जाएगा।
सोने-चांदी की खरीदारी: धन और सौभाग्य का प्रतीक
अक्षय तृतीया का दिन विशेष रूप से सोने और चांदी खरीदने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे धन और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। विशेष रूप से सोने को लक्ष्मी का प्रतीक और चांदी को चंद्रमा का प्रतीक माना गया है। इस दिन उत्तर और पूर्व दिशा से सोने की खरीदारी को अत्यधिक शुभ माना जाता है। यह न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से फायदेमंद है, बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी यह लम्बे समय तक लाभकारी साबित होती है। स्कन्द पुराण और पद्म पुराण में इस दिन की सोने-चांदी खरीदारी को विशेष रूप से लाभकारी बताया गया है।
ग्रहों की शुभ स्थिति और अक्षय तृतीया के शुभ कार्य
अक्षय तृतीया पर ग्रहों की शुभ स्थिति इस दिन किए गए सभी कार्यों को दीर्घकालिक सफलता और समृद्धि देती है। इस दिन दान, हवन, पूजन और नवीन कार्यों की शुरुआत अत्यधिक फलदायी होती है। विशेष रूप से इस दिन किए गए व्यापारिक निर्णय और निवेश जीवनभर स्थायी लाभ और सफलता देते हैं। यह दिन न केवल व्यक्तिगत जीवन को सशक्त करता है, बल्कि पूरे समाज और देश के लिए भी एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है।
अक्षय तृतीया के दिन क्या करें?
अक्षय तृतीया पर कुछ विशिष्ट कार्यों को करना अत्यधिक लाभकारी होता है। इनमें शामिल हैं:
दान: इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना सबसे अधिक पुण्यदायक होता है। खासकर अन्न, कपड़े और धन का दान इस दिन अत्यधिक फलदायी माना जाता है।
हवन और पूजन: इस दिन हवन और पूजन का आयोजन करने से घर में शांति और समृद्धि का वास होता है। इससे व्यक्तिगत जीवन में भी सकारात्मक बदलाव आते हैं।
सोने-चांदी की खरीदारी: इस दिन सोना और चांदी खरीदने से धन और सौभाग्य का वास होता है। यह जीवन में समृद्धि और सुरक्षा का प्रतीक है।
गृह प्रवेश: गृह प्रवेश इस दिन करने से घर में शांति और समृद्धि का वास होता है।
निष्कर्ष
अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण दिन है, जो धन, सौभाग्य, समृद्धि और सुख की प्राप्ति का प्रतीक है। इस दिन का धार्मिक, ज्योतिषीय और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक गहरा है। इस दिन किए गए शुभ कार्य न केवल व्यक्तिगत जीवन को बल्कि समाज और देश को भी सकारात्मक दिशा में ले जाते हैं। यह एक विशेष अवसर है जब हम अपनी आध्यात्मिक और भौतिक समृद्धि के लिए कदम उठा सकते हैं।