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नई दिल्ली — : गंगा दशहरा 2025, एक अत्यंत पुण्यदायी और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पर्व, इस बार गुरुवार, 5 जून को मनाया जाएगा। इस दिन के महत्व और विधियों के बारे में ज्योतिष और वेदों के प्रकांड विद्वान “पंडित अजय कौशिक” ने महत्वपूर्ण जानकारी दी है, जो इस लेख में विस्तार से प्रस्तुत है।
गंगा दशहरा 2025: शुभ तिथि और मुहूर्त
पंडित अजय कौशिक के अनुसार, इस वर्ष दशमी तिथि का शुभारंभ 4 जून 2025 को रात्रि 11:54 बजे से होगा और यह तिथि 6 जून 2025 को प्रातः 2:15 बजे तक मान्य रहेगी। साथ ही, इस दिन हस्त नक्षत्र और व्यतीपात योग का भी विशेष महत्व है, जो इसे और अधिक शक्तिशाली और दिव्य बनाता है।

पंडित अजय कौशिक ने बताया गंगा दशहरा का आध्यात्मिक रहस्य
पंडित कौशिक के अनुसार, गंगा दशहरा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक शुद्धिकरण की प्रक्रिया है। यह वह दिन है जब मां गंगा ने पृथ्वी पर अपने दिव्य प्रवाह से न केवल भौतिक जल की धारा, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा की लहर भी प्रवाहित की।
उनके अनुसार, गंगा दशहरा पर किए गए स्नान, जप, दान और स्तोत्र पाठ का फल हजार गुना बढ़ जाता है। इस दिन का पवित्र गंगाजल पीने या घर में छिड़कने से नकारात्मकता का नाश होता है और घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
गंगा अवतरण की पौराणिक कथा
पंडित अजय कौशिक बताते हैं कि यह वही दिन है जब राजा भगीरथ की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा स्वर्ग से धरती पर उतरीं थीं, ताकि उनके पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त हो सके। भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में धारण कर प्रलयकारी वेग को नियंत्रित किया और उन्हें पृथ्वी पर अवतरित किया। इसी ऐतिहासिक घटना की स्मृति में गंगा दशहरा मनाया जाता है।
गंगा दशहरा पर क्या करें? पंडित अजय कौशिक की सलाह
1. गंगा स्नान अवश्य करें
जो लोग गंगा किनारे नहीं जा सकते, वे घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
2. गंगा स्तोत्र का पाठ करें
पंडित जी के अनुसार, निम्न स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से शुभ है:
“ॐ नमः शिवायै गङ्गायै शिवदायै नमो नमः…”
यह स्तोत्र व्यक्ति के जीवन के समस्त पापों का नाश करता है और आध्यात्मिक चेतना को जाग्रत करता है।
3. दान-पुण्य करें
विशेषकर जल, पंखा, छाता, तिल, वस्त्र, अन्न और स्वर्ण का दान अत्यंत फलदायी होता है।
4. ध्यान, साधना और मंत्र जाप करें
पंडित जी के अनुसार इस दिन ॐ नमः शिवाय या ॐ गंगे नमः मंत्र का जप विशेष प्रभावशाली रहता है।
गंगा दशहरा के दिन बटुक भैरव जयंती और रामेश्वरम सेतु प्रतिष्ठा
पंडित अजय कौशिक ने यह भी बताया कि इस वर्ष गंगा दशहरा के साथ-साथ बटुक भैरव जयंती और सेतुबंध रामेश्वरम प्रतिष्ठा दिवस भी पड़ रहा है। यह संयोग अत्यंत दुर्लभ है और इन तीनों पर्वों का एक साथ होना धार्मिक रूप से महाशक्तिशाली माना जा रहा है।
वाराणसी और प्रयागराज में भव्य आयोजन
पंडित अजय कौशिक ने यह भी कहा कि इस बार वाराणसी के दशाश्वमेध घाट और प्रयागराज के संगम तट पर गंगा दशहरा को लेकर विशाल धार्मिक आयोजन किए जाएंगे। इन स्थानों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ेगी, और विशेष गंगा आरती का आयोजन होगा।
गंगा दशहरा: एक आध्यात्मिक जागृति का अवसर
पंडित जी कहते हैं कि यह दिन केवल धार्मिक रस्में निभाने का नहीं है, बल्कि अपने जीवन की दिशा बदलने का भी दिन है। इस दिन गंगा मां से क्षमा याचना करें, सकारात्मक संकल्प लें और अपने जीवन को पवित्र और पुण्यपूर्ण कार्यों की ओर अग्रसर करें।
गंगा दशहरा 2025 का पर्व हमें जीवन की शुद्धता, समर्पण और साधना का संदेश देता है। पंडित अजय कौशिक के अनुसार, यदि इस दिन पूरे श्रद्धा और विधि-विधान से मां गंगा की स्तुति, स्नान और सेवा की जाए, तो अनेक जन्मों के पाप, कष्ट और रोग समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष का मार्ग प्राप्त होता है।
इस वर्ष का गंगा दशहरा केवल एक तिथि नहीं, बल्कि एक दिव्य अवसर है जो हमें धार्मिक कर्तव्यों, मानवता की सेवा, और आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करता है।
ग़लतफ़हमी दूर करें
🔸 गंगा दशहरा को गंगा जयंती न समझें।
🔹 गंगा जयंती माता गंगा के पुनर्जन्म का पर्व है, जबकि गंगा दशहरा उनके धरती पर अवतरण का दिन है।