नित्यानन्द गायेन की टिप्पणी : कवयित्री सोनी पाण्डेय की कविताओं से गुजरते हुए हम प्रेम की फटी चादर के अंदर घुस जाते हैं, मतलब यह कि इन कविताओं में कुछ नया नही है, बावजूद इसके ये कविताएँ हमें रूमानी लगती हैं क्योंकि ये एक स्त्री की प्रेम कविताएँ हैं . वैसे भी भारत के वर्तमान राजनैतिक वातावरण में प्रेम कविता लिखना सबसे कठिन विधा है. इसलिए ऐसे कठिन दौर में जब कोई महिला प्रेम कविताएँ लिखती हैं तो वह स्वागत योग्य है !
सोनी पाण्डेय की छ कविताएँ
1.प्रेम की चादर
इस प्रेम की चादर मेँ
तुम बार -बार करते रहे
छेद दर छेद
और मैँ अपनी
रेशमी साडी को काटकर
टांकती रही नेह की पैबन्द
कभी हँस कर
कभी रो कर
कभी रुठ कर
कभी मनाकर
तुम्हेँ सिखाती रही
जीवन का मधुर गान
और अन्ततः तुम मान ही गये
कि ये प्रेम की चादर
किसी धर्म की पताका नहीँ
न हिन्दू है न इस्लाम
न बाईबिल है न कुरान
ये किसी गुरुद्वारे से निकली
अरदास की धुन भी नहीँ
मेरा प्रेम
तुम्हारे लिये
अलमस्त कबीर की पैबन्द लगी झोली है ।
2.तुम केवल एक रंग हो . . . . . .
तुम मेरे लिये
उस वक्त सूर्ख लाल रंग हो
जब मुस्कुराते हो ।
जब मुझे देख कर गुनगुनाते हो
एक दम से हरा रंग फैल जाता है
तप्त रेगिस्तान मेँ ।
कभी – कभी तुम क्वार के
सुनहरे धूप की तरह लगते हो
जब थाम लेते हो हाथ कसकर
जीवन समर मेँ ।
हाँ तुम मेरे लिये रंग हो
आशा के
प्यार और तकरार के गुलदस्ते मेँ
सजे फूलोँ की तरह प्रेम की फूलवारी मेँ ।
3. मैँ तटबंधोँ मेँ बंधी नदी हूँ . . . . . . . . .
मैँ तट बंधोँ मेँ बधी
नदी हूँ
हाँ तुम्हारे लिये तो
हँसते – हँसते सह गयी
बहती रही
अविरल
पर काश तुम अति न करते
तो ये तट बंध
कभी न टूटते ।
4.कामना
ये घर
ईँट – पत्थरोँ का नहीँ
मेरी भावनाओँ का है
जिसे मैँने बडे जतन से बनाया है
तुम सहेजना
आँगन की किलकारियोँ को
डोली की रस्मोँ को
भावना , सिँनोहरा , सिन्दूर को
भाँवर की कसमोँ को ।
5.मैँ श्रमिक हूँ
मैँ श्रमिक हूँ
बडी श्रम से गढा है
इन खंडित प्रतिमाओँ को
स्थापित तो तुम्हेँ ही करना होगा
विश्व मन्दिर मेँ इन्हेँ
जानते हो न
मैँ प्रकृति हूँ
तुम पुरुष
चलो सजा देँ
कुछ नये प्रतिमानोँ के साथ ।
6. तुम्हारे साथ जीये हर लम्हेँ को
तुम्हारे साथ जीये हर
लम्हेँ को बाँध लेना चाहती हूँ
आँचल के छोर मेँ
गठिया लेना चाहती हूँ
शब्दोँ मेँ डूबे
यहसासोँ को
रख देना चाहती हूँ
बचपन के गुल्लक मेँ
जिसे सिराहने रख कर
रात भर सजोती रहूँ
तुम्हारी हँसी की खनक
शायद ये एहसास ही
अकथ प्रेम है ।
प्रस्तुति
नित्यानन्द गायेन
Assitant Editor
International News and Views Corporation
सोनी पाण्डेय
शिक्षा – एम.ए. हिन्दी, बीएड, पीएचडी
संप्रति – अध्यापन. गाथांतर हिन्दी त्रैमासिक का संपादन.
संपर्क – कृष्णानगर , मऊ रोड , सिधारी , आजमगढ , उत्तर प्रदेश.
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सचमुच अद्भुत कवितायेँ बार बार पढ़ने योग्य
बहुत सुंदर रचना!
बहुत सुन्दर प्रेम कवितायें
डॉ. सोनी के पास शब्दों की थाती है, और वो हर तरह की कविता में पारंगत हैं ……….. बेहतरीन रचनाएँ !!
सोनी पाण्डेय को पढ़ते हुए लगता है….अपने लेखन के विकिरण के जरिये सारी सचाई टटोल कर बेबाकी से सामने ला देती है…..अंतर्मन को गहराई से पढने की पढने की कला में सिद्ध हस्त है….सादर….अरविन्द.
आभार
सभी रचनाएँ गहन भाव लिए . प्रेम की चादर बहुत अच्छी लगी .