मैं नदी हूँ
मैं तुम्हारे पास आऊंगी
तुम समन्दर हो
तुम्हे क्यों कर बुलाऊंगी
मैं तटों के बीच बहती आ रही कल.कल
नाम लेती है तुम्हारा हर लहर चंचल
तुम ह्रदय के द्वार अपने खोल कर रखना
मैं सुकोमल भावनासी आ समाऊँगी
मैं नदी हूँ
मैं तुम्हारे पास आऊंगी !
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सरिता शर्मा
निवास दिल्ली
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