एक लगी थी आग उनमे कि जिनसे हुआ देश आजाद ,
एक लगी हे आग उनमे कि जिनसे हुआ देश बर्बाद .
आग लगी थी भगत सिंह ,झाँसी ,और सुभाष में ,
जिनके रक्त से लाल हुई थी धरती हिंदुस्तान की.
आज वही आग लगी हे आतंक के इन्सान में ,
खून से लतपथ हे भूमि निर्दोषों की जान से .
ऋषि -मुनियों की पावन भूमि कही जाती थी इतिहाश में
आज वही पावन भूमि हो रही जल कर राख हे
जहाँ बहती थी दूध की नदियाँ ,बहता वहां अब खून हे.
जहाँ की पूजी जाती थी नारी ,आज हो रही नीलाम हे.
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संजय कुमार गिरि