महाबोधि ब्लास्ट, एक बड़ी साजि़श

Own ph{ इमरान नियाज़ी  ** } पटना (गया)-मुस्लिमों को फंसाने के लिए एक और ड्रामा रच दिया गया। देश में किये गये दूसरे धमाकों की तरह ही रविवार सुबह बिहार राज्य के बोधगया में महाबोधि मंदिर के पास एक के बाद एक 8 सीरियल ब्लास्ट किये गये। इन धमाकों में 5 लोगों के मामूली घायल होने की खबर है। हालांकि मंदिर को इन धमाकों से कोई बड़ा ज ानी माली नुकसान नहीं हुआ है। यह हमला किसने कराया, अभी धमाके से उत्पन्न राख और मलवा भी ठण्डा नहीं हुआ था, लेकिन मीडिया, आईबी और भाजपा उपासक नितिश पुलिस से उम्मीद है कि इन धमाकों के असल कर्ताधर्ताओं को बचाने के लिए अपने ही दिमागों की उपज इस्लामी नामों वाले संगठनों में से इण्डियन मुजाहिदीन के नाम की घोषणायें शुरू कर दीं, जाहिर है कि हमेशा की ही तरह थोकभाव में मुस्लिमों को उठाया जायेà ��ा।
बोधगया के महाबोधि मंदिर के बाहर रविवार सुबह 6 बजकर 5 मिनट पर पहला धमाका हुआ और इसके बाद लगातार 7 और धमाके हुए. पुलिस ने धमाकों की पुष्टि करते हुए कहा है कि मंदिर सुरक्षित है। अजीब सी बात है कि कोई मुस्लिम धमाके करे लेकिन इसका पूरा ध्यान रखे कि कोई जानी माली नुकसान भी न हो, मन्दिर को भी किसी तरह की हानि न पहुंचे, ऐसा कैसे हो सकता है कि सिर्फ आवाज़ वाले पटाखà �‡ छोड़े गये, किसी मुस्लिम को मन्दिर को बचाने की या उसमें मौजूद लोगों को बचाकर धमाके करने की क्या जरूरत होगी, क्यों करेगा कोई पाकिस्तानी ऐसा? वह भी तब जबकि इतना आसान मौका मिला हो कि आराम और तसल्ली से मन्दिर परिसर में जगह जगह बम लगा दिये? हर समय भरे रहने वाले मन्दिर परिसर में कोई बाहरी व्यक्ति बम लगाता हो, एक दो नहीं बल्कि पूरे आठ बम फिर भी उसे किसी ने देखा नहीं? क्या बम लगाने वाला, नांद�¥ �ड बम धमाके करने वाले संघ कार्यकर्ता राजकोंडवार जैसा था कि उसके पास से नकली दाढ़ी, शेरवानी, कुर्ता पायजामा बरामद हुआ। गौरतलब यह भी है कि हर धमाके की तरह ही इस धमाके की खबर आईबी को थी कि इस मन्दिर पर हमला हो सकता है लेकिन किसी तरह की सुरक्षा का कोई बन्दोबस्त नहीं किया गया, क्यों? और आईबी तो बड़ी बात है मीडिया का कहना है कि ‘‘ इसकी सूचना मन्दिर के मुख्य पुजारी को भी थी’’ इसी को बहाना बन�¤ �ते हुए उसने ‘‘ हथियार की मांग भी की थी,’’ अजीब सी बात है कि आतंकी हमले की सूचना पर एक पुजारी (धार्मिक व्यक्ति) हथियार की मांग करता है नाकि पुलिस सुरक्षा की, क्यों? आखिर क्या खेल खेला जा रहा था। धमाके हुए बमों की आवाज सुनाई पढ़ने से पहले ही गुजरात व संघ पोषित मीडिया ने जिम्मेदारों के नाम की घोषणा करदी। आईबी का भी इशारा इसी तरफ है यह अलग बात है कि स्थानीय पुलिस मौके पर मौजूद सबूतों के मà ��ताबिक जांच के कदम बढ़ा रही है जोकि काफी सही दिशा में चल रही है। हांलाकि अमरीका और गुजरात पोषित मीडिया और आईबी अभी भी अपने दिमागों की उपज मुस्लिम नामों वाले संगठनों का ही राग अलाप कर मालेगांव, अजमेर शरीफ, मक्का मस्जिद, समझौता एक्सप्रेस के मामलों की तरह ही एक सोची समझी साजिश को कामयाब कराने की जुस्तजू में दिखाई पड़ रही है। यह हकीकत लगभग सारी दुनिया ही जान चुकी है कि भारत में धमाके à ��रता कौन है और फंसाया किसे जाता है इस बार भी यही कोशिशें की जा रही है कुछ अखबार तो बाकायदा एलान करने में लगे हैं कि ये धमाके आईएम ने किये हैं यहीं तककि कुछ अखबारों ने तो यह तक बता दिया कि आईएम ने जिम्मदारी लेली है, मज़े की बात तो यह है कि बार भी साईबर का सहारा लिया जा रहा है। सभी को याद होगा कि दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर धमाकों की धमकियों और बाद में जिम्मेदारी लेने के ईमेल संघ पोषित एक न्�¤ �ूज़ चैनल के पास आने की चीख पुकार की जा रही थी। ईमेल, या किसी भी सोशल नेटवर्क साइट पर अपना एकाउण्ट बनाने के लिए किसी तरह के पहचान-पत्र को प्रमाणित कराकर देना नहीं होता। सभी जानते है कि कोई भी किसी के भी नाम पते से अकाउण्ट बना लेता है, ऐसे में इस बात का क्या सबूत है कि जिस ईमेल पते से उस चैनल के पते पर ईमेल भेजी गयी थी वह वास्तव में ही किसी मुसलमान का था, हो सकता है कि संघ या संघ पोषित कोई स रकारी या गैरसरकारी अमला मुस्लिम नामों से अकाउण्ट चलाता है, या फिर चैनल ही खुद इस तरह की आईडी बनाकर काम दिखाता हो? इसी तरह इस बार ईमेल की जगह ‘‘ ट्वीटर ’’का सहारा लिया जा रहा है। जिस तरह ईमेल आईडी में इसका बात का कोई प्रमाण नहीं होता कि जो अकाउण्ट बनाने और चलाने वाला अपने ही नाम पते से बना व चला रहा है इसी तरह ट्वीटर व अन्य दूसरी नेटवर्किंग साइटों पर भी अकाउण्ट बनाने व चलाने के समय किà ��ी तरह के पहचान प्रमाणित करने की जरूरत नहीं होती। हम यहां ईमेल, ट्वीटर, फेसबुक की एक एक आई लिख रहे है। क्या कोई यह प्रमाणित कर सकता है कि इन तीनों अकाउण्ट को बनाने व चलाने वाला हिन्दू है या मुसलमान, शरीफ है या अपराधी? देखिये और बताई, जवाब के लिए नीचे हमारी ईमेल लिखी जा रही है। Email- kadwi.baat@gmail.com, Facebook A/c- Ramesh Gupta, Twiter A/c- Adil Shamsi@MERI_CHUNAUTI क्या कोई बता सकता है कि ये अकाउण्ट किस किस व्यक्ति के हैं इन अकाउण्टों म ें दी गयी जानकारियां सही है या झूठी? हम दावे के साथ कह सकते है कि किसी भी ईमेल, ट्वीटर, फेसबुक अकाउण्ट को बनाने इस्तेमाल करने वाले की वास्तविक पहचान कोई नहीं बता सकता केवल यह जरूर पता लगाया जा सकता है कि किस क्नैक्शन (फोन नम्बर) से चलाया जा रहा है वह भी तब जबकि प्रयोग कर्ता एक ही नम्बर से चलाये लेकिन कैफे सुविधा के दौर में यह बताना भी नामुम्किन है कि किस नम्बर से चलाया जा रहा। साथ ही हà �® चैलेंज के साथ कह सकते है कि देश में आज भी 50 फीसद से ज्यादा मोबाइल क्नैक्शन फर्जी पहचान-पत्रों से चल रहे हैं ऐसी स्थिति में असल गुनाहगार की पहचान करना मुम्किन ही नहीं।
इन सारी सच्चाईयों को जानने के बाद भी दिल्ली हाईकोर्ट ब्लास्ट के सम्बन्ध में सिर्फ एक ही चैनल को मिलने वाली मेल का विस्वास कैसे किया जा सकता है? अब बोधगया के मामले में ट्वीटर अकाउण्ट की बा त की जा रही है तो क्या गारन्टी है कि यह अकाउण्ट फर्जी नहीं है ब्लास्ट करने कराने वाले ने ही यह अकाउण्ट बनाया हो जिससे कि मुस्लिमों को आसानी से फंसाया जा सके, जैसा कि मीडिया, संघ, आईबी कोशिशें करती नज़र आ भी रही है। संघ लाबी ने कहा कि म्ंयामार के बदले में किये गये धमाके। क्या बात है सारे अन्तरयामी इकटठे हो गये संघ लाबी में। म्यांमार आतंकवाद का बदला अब एक साल बाद लेगें मुसलमान? चलिये �¤ �न अन्तरयामियों की बात ही मान लेते है तो याद करे कि म्यांमार में आतंकियों ने सैकड़ों बेगुनाह मुसलमानों का कत्लेआम किया था बोधगया में तो एक भी नहीं मारा गया, क्यों? क्योंकि पिछले सभी धमाकों की तरह ही ये धमाके भी मुसलमानों को फंसाने और इस्लाम को बदनाम करने के लिए पूरी सूझबूझ व एहतियात के साथ किये गये जिससे कि न मन्दिर को नुकसान पहुंचे ओर न ही वहां आने वाले श्रद्धालुओं को। इसी तरह गु जरे दिनों अफजल गुरू के कत्ल के बाद मोके का फायदा उठाते हुए हैदराबाद में भी धमाके किये गये ओर बड़ी ही आसानी से मुसलमानों को जिम्मेदार ठहराकर जुल्म शुरू कर दिये गये। मालेगाँव के बम धमाके आतंकी कर्नल श्रीकांत, आतंकी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और उसके गैंग ने किये शुरू में ही दर्जनों मुस्लिमों को फंसाया गया, लेकिन हेमन्त करकरे ने बेनकाब कर दिया।
अजमेर दरगाह में बम विस्फोट आतंकी असीमाà ��ंद, आतंकी इंद्रेश कुमार (आरएसएस का सदस्य), आतंकी देवेंद्र गुप्ता, आतंकी प्रज्ञा सिंह, आतंकी सुनील जोशी, आतंकी संदीप डांगे, आतंकी रामचंद्र कलसांगरा उर्फ रामजी, आतंकी शिवम धाकड, आतंकी लोकेश शर्मा, आतंकी समंदर, आतंकी आदित्यनाथ ने किये शुरू में इन धमाकों की जिम्मेदारी मुसलमानों पर थोपने की भरपूर कोशिशें की गयीं लेकिन ईमानदार अफसर ने जल्दी ही साजिश से पर्दा उठा दिया। इसी तरह मक्का �¤ �स्जिद और समझौता एक्सप्रेस के बम विस्फोट भी आतंकी असीमानंद ओर उसके गिरोह ने किये। नांदेड बम विस्फोट संघ कार्यकर्ता राजकोंडवार ने किये उसके पास से नकली दाड़ी और शेरवानी , कुरता , पायजामा भी बरामद हुआ। गोरखपुर का सिलसिलेवार बम विस्फोट को आफताब आलम अंसारी पर थोपा गया लेकिन इशरत जहां ओर अफजल गुरू के मामलों में तेयार किये गये सबूत और अस्लाह बारूद का इन्तेजाम न कर पाने की वजह से पुलिà �¸ अंसारी को पूरी तरह नहीं फंसा सकी, बाइज्जत बरी कर दिये गये। असल जिम्मेदारों को बचाने के लिए मामला अज्ञात में तरमीम कर दिया। मुंबई ट्रेन बम विस्फोट काण्ड, घाटकोपर में बेस्ट की बस में हुए बम विस्फोट, वाराणसी बम विस्फोट, में किसी मुस्लिम को फंसाने के लिए पूरा इन्तेजाम नहीं हो सका तो अज्ञात में दर्ज करके दबा दिया गया। कानपुर बम विस्फोट बजरंग दल कार्यकर्ता आतंकी भूपेन्द्र सिंह छावड ़ा और राजीव मिश्रा ने किया। गौरतलब बात यह है कि इन सभी आतंकियों सरकार दस-दस साल से सरकारी महमान बनाकर पाल रही है आजतक अदालतें सजा सुनाने तक नहीं पहुंची जबकि कस्साब ओर अफजल गुरू के मामलों दो साल के अन्दर ही सजा सुना कर ठिकाने लगा दिया गया।
दरअसल देश में धमाके करने वाले यह जानते है कि अब कोई दूसरा हेमन्त करकरे पैदा नहीं होगा जो इनके चेहरो से नकाब हटाकर दूध का दूध पानी का पानी करके दिखा दे, और हरेक मामले की जांच भी सीबीआई से नहीं कराई जाती इसलिए साजिशें करने वालों सभी रास्ते पूरी तरह आसान हो गये हैं, पूरे इत्मिनान के साथ बम लगाकर धमाके कर रहे हैं। ऐसा नहीं कि मुसलमानों के खिलाफ की जा रही साजिशों में सिर्फ आरएसएस, आईबी, मीडिया ही शामिल हो बल्कि इसमें कांग्रेस भी पूरी तरह से शामिल है। गुजरात आतंक के हाथों किये गये मुस्लिम कत्लेआम से खुà �¶ होकर मास्टरमाइण्ड को सम्मानन व पुरूस्कार दिये जाने की कांग्रेसी करतूत को देख लें या इशरत जहां के कत्ल का मामला ही उठाकर देखें, ‘‘ आईबी ’’ सोनिया गांधी नामक रिमोट से चलने वाले केन्द्र की कांग्रेस बाहुल्य यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार के नियन्त्रण में है और इसके बावजूद आईबी ने बेगुनाह लड़की इशरत जहां के कत्ल की साजिश रचकर उसका कत्ल करा दिया, हैदराबाद ब्लास्ट को लेकर भी मुस्लिमों à ��ो फंसाने के साथ ही अब बोधगया मन्दिर में ब्लास्ट करने वालों को बचाने के लिए मुस्लिमों को जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया, और केन्द्र सरकार आईबी की कारसाजि़यों को देखकर गदगद हो रही है। क्यों नहीं रोक रही आईबी को मुसलमानों के खिलाफ संघ लाबी के साथ मिलकर साजिशें रचने से? क्योंकि कांग्रेस आरएसएस का ही दूसरा रूप है और सोने पर सुहागा कांग्रेस की लगाम हमेशा से ही नेहरू परिवार के हाथों म�¥ �ं रही है नेहरू की मुसलमानों के खिलाफ साजिश का ही नतीजा है कि देश का बटंवारा हुआ।
खैर, अब बात करें बोधगया मन्दिर में किये गये धमाकों की। सवाल यह है कि बोधगया में धमाके करने का उद्देश्य क्या था? हम बताते हैं इन धमाकों का उद्देश्य क्या है। धमाके कराने के दो मुख्य उद्देश्य हैं पहला यह कि मन्दिर जैसे धार्मिक स्थान पर धमाके होने से हिन्दू वोट का एकीकरण होगा ज�¤ �सका पूरा पूरा फायदा आगामी लोकसभा चुनावों में आरएसएस यानी (बीजेपी) को होना तय है और बीजेपी की सीटें बढ़ने का मतलब है प्रधानमंत्री की कुर्सी हासिल करके पूरे देश में गुजरात आतंकवाद को दोहराये जाने की योजना। दूसरा मकसद यह कि मन्दिर में धमाके की जिम्मेदारी आईबी ओर मीडिया के साथ मिलकर मुसलमानों पर थोंपकर मुसलमान और इस्लाम को पूरी तरह से आतंकी मजहब घोषित कर देने की योजनायें।
धमाके करने वालों की मजबूती यह है कि वे जानते हैं कि न तो इन धमाकों की जांच सीबीआई से कराई जायेगी और न ही अब हेमन्त करकरे वापिस आकर असल आतंकियों को बेनकाब करेंगे।
कुल मिलाकर अब मुसलमान को सोचना होगा कि उसे क्या करना है? वोटों के सौदागर मुल्लाओं के झांसे में आकर वोट बर्बाद करके पूरे देश में गुजरात कायम कराना है या फिर गुजरे उ0प्र0विधान�¤ �भा चुनावों की तरह ही लोकसभा चुनावों में भी मुस्लिम वोट की ताकत का एहसास कराना है। हमारा मतलब यह नहीं कि इस लोकसभा चुनावों में भी सपा को ही चुना जाये बल्कि मतलब यह है किअपने अपने क्षेत्र में सिर्फ उस प्रत्याशी को एकजुट होकर वोट करें जो बीजेपी प्रत्याशी को हराने की स्थिति में हो, साथ ही कांग्रेस से बच कर रहने में ही मुसलमान की भलाई है।

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Own ph**इमरान नियाज़ी वरिष्ठ पत्रकार  एंव अन्याय विवेचक के सम्पादक हैं

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*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC

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