बांगलादेश पर चुप्पी क्यों ?

{संजय कुमार आजाद**}

विश्व में सर्वाधिक दलित यदि कोई समूह है तो वह ‘हिन्दू’ हीं है। सम्पूर्ण दक्षिण एशियाई देशोँ में तो इसकी जो बुरी गति होती आई है खासकर भारत के हीं जम्मू और कश्मीर,केरल, पश्चिम बंगाल एवं सीमाक्षेत्रों के राज्य सहित पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में तो इस समूह से अच्छा जीवन-बसर चौपायों की होती है। विश्व में सभी के लिये मानवाधिकार है किन्तु हिन्दूओं के लिये विश्व में कहीं भी मानवाधिकार नही है।लगभग 30 करोड़ हिन्दू भारत के अलावे दूसरे देशोँ में बसे हैं। आए दिन हिन्दूओं को धर्मान्तरण, यौन-उत्पीड़न, अपहरण, आक्रमण, इनके उपासना स्थलों का तोड़-फोड़ और उनके संपत्ति का अतिक्रमण तो आम बात है। विश्व में हिन्दू बहुसंख्यक वाला देश भारत है और भारत की सरकार सदा हिन्दूओं की दुर्दशा पर मूक-बधीर बनकर तमाशा देखती रही है। इतिहास साक्षी है आजादी के समय खण्डित भारत और पाकिस्तान में हिन्दूओं के नरसंहार का सबसे बड़ा कारक नेहरू और बांग्लादेश बनने के पूर्व और बाद में बंगालीभाषा के नाम पर वहां जो हिन्दूओं का नरसंहार हुआ उसकी उत्तरदायी इन्दिरा गांधी रही । भारत के टूकड़े धर्म के नाम पर हुए और उन क्षेत्रों में हिन्दूओं की आबादी दिन दूनी रात चौगुनी घटती जा रही है किन्तु यहां भारत में अहिन्दूओं की संख्या सुरसा की भांति बढती जा़ रही है आखिर क्यों? इसलिए नही कि इस्लाम या ख्रीस्तीय मानवता और शांति का मत है बल्कि इसलिए कि ये सब मत अपने जन्मकाल से हीं छल, प्रंपच, लोभ और तलवार के बल पर संख्या विस्तार के षड्यंत्र में संलग्न रहा है। खासकर तथाकथित लोकतांत्रिक इस्लामी देशोँ में तो गैर इस्लामी काफिर होता है जिसका कोई अधिकार नही होता है और जो कहर उन देशोँ में खासकर हिन्दूओं पर बरपाया जाता है वह अन्य मतावलम्बियों पर नहीं। इसका कारण रहता है हिन्दूओं का कायरता और भारत सरकार का दब्बूपन दोनों मिलकर उन आतातायियों को कुछ भी करने की छूट देता आया है। बांग्लादेश में बंग्लाभाषी मुसलमानों और हिन्दूओं का सामूहिक रूप से कत्ल करवाने वाला जमात-ए-इस्लामी जो पाकिस्तान की आईएसआई सहित विश्व के अनेक इस्लामी आतंकी संगठन से जुड़ा है उससे ताल्लुक रखनेवाला जल्लाद और मीरपुर के कसाई के नाम से कुख्यात नरभक्षी अब्दुल कादर मुल्ला को वहां की सरकार ने फांसी दे दिया। मुल्ला समेत जमात-ए-इस्लामी साल 1971 में बांग्लादेश में पाकिस्तान की खान फौजियों के साथ मिलकर बांगलादेश के बांग्लाभाषी समूह को सुनियोजित तरीके से नरसंहार किया था। मानवता का यह खुनी नरपिशाच को उसके कुकर्मो का फल मिला किन्तु उसके फांसी के बाद एकबार फिर बंगलादेश के हिन्दूओं पर  जमात-ए-इस्लामी के गुण्डो ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। इसबार निशाना हिन्दु बन रहें है और वहां के मुल्लों और इस्लामी मदरसों इन गुण्डों को सहयोग दे रहा है। सरकार भी जबसब कुछ लूट जाता है तब खानापूर्ति करने घटनास्थल पर आती है। एमनेस्टी इंटरनेशनल के शोधकर्ता अब्बास फैज ने कहा कि बांगलादेश में हिन्दू खतरे में है। आवामी लीग पार्टी भी इस्लामी गुण्डो के आगे विवश दिखती है।भारत सहित विश्व के सभी मानवाधिकार की झण्डा बुलन्द कर मानवाधिकार पर स्यापा मचाने वाले हिन्दुओं का पाकिस्तान और बांगलादेश में जो नरसंहार हो रहा है उस पर चुप क्यों है? जिस तरह जम्मू-कश्मीर से एक-एक पंडित को वहां से बाहर कर दिया और इस देश की नपुसंक सरकार, कायरों की जमात हिन्दू और इस्लामी-ईसाईयत डॉलरों पर बिके कलमघिस्सुओं और मानवाधिकार के पैरोकारों की चुप्पी उन पंडितों को अपने वतन में हीं शरणार्थी बना दिया और यह सिलसिला नहीं रूका तो आने वाले दिन पीटता हिन्दू, सिमटता हिन्दू पिंजरे में कैद हिन्दू के रूप में शायद किसी इस्लामी तो नहीं हां किसी ईसाई देश के चिड़ीयाघर में शोभायमान होगे।

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sanjay-kumar-azad12**संजय कुमार आजाद

पता : शीतल अपार्टमेंट,
निवारणपुर रांची 834002

मो- 09431162589
(*लेखक स्वतंत्र लेखक व पत्रकार हैं)

*लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं और आई.एन.वी.सी का इससे सहमत होना आवश्यक नहीं ।

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