दलित आदिवासियों को आस्था के नाम पर भड़काती वीएचपी **

{ वसीम अकरम त्यागी * } अक्सर चुनाव से पहले एक सवाल अधिक जोर शोर से उठता है कि मुसलमानो किधर जा रहा है। कांग्रेस पर या बसपा, सपा, रालोद, इत्यादी पार्टियों पर क्योंकि भाजपा पर तो जायेगा नहीं जिसकी वजह वहां पर नरेंद्र मोदी, प्रवीण तोगड़िया, उमा भारती, अशोक सिंघ, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जैसे सांप्रदायिक लोग हैं। जो इस देश को हिंदुत्व राष्ट्र बनाना चाहते हैं यहां की अवाम दलित अगड़े पिछड़े लोगों को फिर उसी गर्त में धकेलना चाहते हैं जहां वे हजारों सालों से पड़े थे। और इस देश का दूसरा सबसे बड़ा समुदाय मुसलमान तो इनके अनुसार विदेशी है इसलिये पहले उनसे निपटा जाये फिर उसके बाद दलितों को ठिकाने लगाया जाये। सामाजिक कार्यकर्ता राम पुनियानी ने पिछले दिनों दिल्ली में आयोजित एक सेमिनार में बोलते हुऐ कहा था कि मनुवादी सोच अब दलितों को मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भड़का रही है ताकी इनके हस्तक्षेप के बगैर ही दोनों समुदाय आपस में लड़ मरें। और इनका उद्देश्य पूरा हो सके बात कुछ हद तक तो सही है क्योंकि गुजरात दंगे के दौरान आदिवासी समाज की आस्था भी जाग गई थी और उसने भी दंगों में वीएचपी, आरएसएस, की कच्छा बनियानधारी फौज का भरपूर साथ दिया था। ऐसे में रामपुनियानी जैसे बुद्धीजीवी ने अगर यह कहा तो इसमें गलत ही क्या है ? राम पुनियानी गुजरात नरसंहार इंसाफ द्वारा गठित दल की रिपोर्ट के हवाले से कहते हैं कि गुजरात के वादीवामनपुर गांव में दलितों और मछुआरों को मुसलमानों के खिलाफ गोलबंद किया गया और बड़ोदा जिले के एक छोटा उदयपुर स्थान पर रथवा समूह के आदिवासियों को पैसा दिया गया और एक के बाद एक गांव में मुसलमानों पर आक्रमण करने के लिये उन्हें प्रेरित किया गया। इस तरह से दलितों और आदिवासियों को गौलबंद करने की प्रक्रिया में विश्व हिंदू परिषद अपने उस केंद्रीय एजेंडे को अंजाम देने में सफल होता जा रहा है, जिसका मकसद उनकी संस्कृति और पहचान को खत्म कर उन्हें हिंदू वर्ण व्यवस्था की सबसे निचली श्रेणी पर स्थायी रूप से कैद कर दिया जाये। दलितों और आदिवासियों की निरक्षरता, उनकी गरीबी और बेकारी के चलते हिंदू ब्रिगेड की चालाकी को न समझ पाने के कारण यह प्रक्रिया और आसान होती जा रही है। इस हिंदूवादी सोच के तहत हिंदूवादी व्यवस्था से मुसलमानों को नरसंहार के माध्यम से ही बाहर किया जा सकता है।

कुछ ऐसे ही हालात झारखंड के आदिवासियों के साथ भी पैदा कर दिये गये हैं मुसलमानों के खिलाफ उनकी मोर्चाबंदी के लिये उनका धर्मांतरण किया कराया गया हिंदू आस्था और राम मंदिर को बचाने के लिये उन्हें कसमें खिलाई गईं थी उन्हें उनके पारंपरिक हथियारों लैस होकर बड़ी संख्या में अयोध्या जाने के लिये प्रेरित किया गया था। जब इस मुद्दों पर प्रसिद्ध दलित विचारक डॉ. कंवल भारती इस बारे में कहते हैं कि भाजपा और आरएसएस राष्ट्रवाद और संस्कृति का लालच देकर अब इन लोगों को एक विशेष समुदाय के खिलाफ भड़का रही है. क्योंकि आदीवासी और दलितों को मनुवादी सोच अपना सहधर्मी नहीं मानती है इसलिये एक को दूसरे के खिलाफ भड़काकर हिंदू राष्ट्र बनाने के अपने एंजेंडे में ये संगठन सफलता की और अग्रसर होते दिख रहे हैं। कंवल भारती कहते हैं कि कहने को हम लोकतंत्र में जी रहे हैं मगर ये हैरत की बात है कि लोकतंत्र भी सत्ता में बैठे और विपक्ष में बैठे लोगों द्वारा हाईजैक कर लिया गया है जो देश के लिये अधिका खतरनाक है। जब उनसे इसकी रोकथाम के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसकी रोकथाम की जिम्मेदारी सरकार की बनती है उसके पास हमसे ज्यादा साधन हैं इसलिये सरकार को देश हित में इन बुराईयों का खातमा करने की जरूरत है। वह कहते हैं कि बहुसंख्यको का संप्रदायवाद आज के दौर के आतंकवाद से अधिक खतरनाक है।

सवाल ये है तथाकथित सैक्यूलर पार्टियों और मुस्लिम हितेषी होने का कत्थक करने वाले राजनीतिक लोगों को ये सब नहीं दिख रहा है ? जब देश का एक आम नागरिक एक सामाजिक कार्यकर्ता इतना कुछ तलाश कर सकता है तो सरकारें क्यों नहीं कर सकतीं ? क्या उनके पास वित्त की कमी है या अधिकारों की ? जो समाज के देश के इतने संवेदनशील मुद्दों पर आंख मूंदे हुऐ हैं। क्या अल्पसंख्यकों की रक्षा करने की जिम्मेदारी उनकी नहीं बनती। क्या केवल राजनीतिक दल केवल वोट लेने के उद्देशय् से ही उनके जज्बातों से खेलते हैं ? ऐसे में किसी शायर द्वारा कहा गया यह शेर जीत ही जाता है कि ……….

तेरे दौर ऐ रहबरी में यही सुबह शाम होगा

कहीं बस्तियां जलेंगी कहीं कत्ल ऐ आम होगा।
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वसीम अकरम त्यागी*

वसीम अकरम त्यागी
उत्तर प्रदेश के जिला मेरठ में एक छोटे से गांव में जन्म 

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एंव संचार विश्विद्यलय से पत्रकारिता में स्नातक और स्नताकोत्तर

समसामायिक मुद्दों और दलित मुस्लिम मुद्दों पर जमकर लेखन। यूपी में हुऐ जिया उल हक की हत्या के बाद राजा भैय्या के लोगों से मिली जान से मारने की धमकियों के बाद चर्चा में आये ! फिलहाल मुस्लिम टूडे में बतौर दिल्ली एनसीआर संवाददता काम कर रहें हैं

9716428646. 9927972718

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his own and do not necessarily reflect the views of INVC.

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