जागरूकता के अभाव तथा अफसरों की मानसिकता नें अपशिष्ट प्रबन्धन का किया बेड़ा गर्क

anil sindoorअनिल सिन्दूर**,,

उच्चतम न्यायालय के निर्देश भी न आये काम

केंद्र का सॉलिड बेस्ट मैनेजमेन्ट कानून का नहीं हुआ पालन

कानपुर – बढ़ती आबादी ने जहां एक ओर खाद्य पदार्थों का संकट खड़ा किया है वहीं खेती लायक जमीन का क्षेत्रफल भी कम किया है। एक सर्वे के अनुसार यदि इसी तरह आबादी बढ़ती रही तो वर्ष 2050 तक खेती लायक जमीन एक चौथाई हिस्सा ही बचेगा बाकी बची जमीन कूड़े के डम्पिंग ग्राउण्ड बन जायेंगे। क्यों कि प्रति व्यक्ति 24 घण्टे में 400 ग्राम कूड़ा जेनरेट करता है।

सर्वे से निकलने वाले आकड़ो की भयावयता को देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र सरकार को निर्देश दिए कि कूड़े का हर सम्भव प्रबन्धन किया जाय। उच्चतम न्यायालय से मिले निर्देश को मद्देनजर रख केन्द्र सरकार ने सॉलिड बेस्ट मैनेजमेन्ट एक्ट-2000 बनाया जिससे कूड़े के प्रबन्धन पर कारगर दबाब बनाया जा सके। तमाम मसक्कत के बाद वर्ष 2009 में उ.प्र. के कानपुर शहर में जेएनएनयूआरएम योजना के तहत पहला पीपीपी मॉडल बेस्ट मैनेजमेन्ट संयत्र नगर निगम कानपुर, सीएण्डडीएस तथा ए2जेड इन्फ्रास्ट्रक्चर लि. ने स्थापित किया जिसने पूरी तरह से सितम्बर 2010 से शहर में परिवारों तथा व्यापारिक प्रतिष्ठानों से कूड़ा लेना प्रारम्भ कर दिया। कूड़े को काम्पेक्टर (एक तरह की मशीनी गाड़ी जो कूड़े को कमप्रेस करती है) द्वारा संयत्र पर ले जाया गया। संयत्र पर कूड़े का प्रबन्धन कर जैविक खाद बनायी जाने लगी। कूड़े से निकलने वाले ज्वलनशीन पदाथों को पावर प्लांट को जेनरेट करने में प्रयोग लिया जाने लगा। संयत्र को स्थापित करने तथा कूड़े को संयत्र तक ले जाने तक में संसाधन जुटाने में आने वाला व्यय का 70 प्रतिशत केन्द्र तथा राज्य सरकार ने जुटाया बकाया का 30 प्रतिशत ए2जेड ने प्रबन्ध किया। कूड़े को संयत्र तक पहुचाने का खर्च ए2जेड टिपिंग फीस के रूप में नगर निगम परिवारों तथा व्यापारिक प्रतिष्ठानों से उठाये जाने वाले कूड़े के एवज में मिलने वाले यूजर चार्ज से करेगा एक करार के तहत तय किया गया। कूड़ा संयत्र पर ले जाने के साथ-साथ यूजर चार्ज जनता से वसूल कर नगर निगम तथा ए2जेड के संयुक्त खाते में जमा करेगा। संयुक्त खााते को संचालित करने का अधिकार नगर निगम ने अपने पास रखा। पहले ही वर्ष में कानपुर शहर को इम्प्रूवमेन्ट इन सॉलिड बेस्ट मैनेजमेन्ट 2011 पुरस्कार से प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने नवाजा जो बेहद खुशगवार था।

गड़बड़ शुरू हुई दूसरे वर्ष से जब नगर निगम ने ए2जेड को टिपिंग फीस देना कम कर दिया क्यों कि अनुबन्ध के हिसाब से नगर निगम को जनता से वसूले जाने वाले यूजर चार्ज से ही टिपिंग फीस देनी थी लेकिन जनता से ए2जेड यूजर चार्ज अनुबन्ध के अनुसार नहीं वसूल पाया। ए2जेड ने यूजर चार्ज न वसूल पाने का ठीकरा नगर निगम के सिर फोड़ दिया और आरोप लगाया कि नगर निगम ने अपेक्षित सहयोग नहीं दिया। जब कि वास्तविक स्थिति इतर है जनता को न तो नगर निगम ने ही जागरूक किया और न ही ए2जेड ने ही जनता पेशोपेश में थी कि वर्षों से जो कार्य नगर निगम करता आ रहा है यह कार्य नगर निगम का है फिर वह यूजर चार्ज क्यों दे। जनता को यूजर चार्ज एक अतिरिक्त बोझ से ज्यादा कुछ नहीं लगा। यदि शहर के सभी घरों तथा व्यापारिक प्रतिष्ठानों से कूड़ा उठाने का कार्य ए2जेड ने किया होता और सभी ने यूजर चार्ज दिया होता तो यूजर चार्ज लगभग दो करोड़ रुपए एकत्रित होता जो ए2जेड के लिए तो बेहतर होता ही, नगर निगम के लिए भी फायदेमन्द सौदा होता। लेकिन दोनो ही संस्थान लाभ की सोचते रहे इस योजना को सफल बनाने के लिए जो कारगर उपाय किए जाने चाहिए थे नहीं किए गये।

ए2जेड ने कानपुर संयत्र को मॉडल मानते हुए तमाम ऐसे प्रयोग किए जो असफल होने ही थे। नगर निगम की ऑंखों के सामने असफलता के प्रयोग होते रहे लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया। यूजर चार्ज अधिकतम 72 लाख रुपए तक प्रतिमाह जनता से वसूला जा सका। बीते माह 45 लाख वर्तमान माह में यूजर चार्ज लगभग 30 लाख रुपए तक वसूल होने की उम्मीद जताई जा रही है। शहर से कूड़ा उठान की तादाद भी दिनों दिन कम होती चली गयी। जहां शुरू के दिनों में 1100 से 1200 टन प्रतिदिन कूड़ा शहर से संयत्र ले जाया जाता था वर्तमान में 350 से 400 टन प्रतिदिन ले जाया जाने लगा। शहर एकबार फिर गंदगी से पटने लगा।

ए2जेड ने जो तस्वीर नगर निगम को अपनी आखों से दिखाई उसी पर नगर निगम ने भरोसा कर लिया। संसाधन इन दो वर्षों में पूरी तरह ध्वस्त हो गये मेन्टीनेन्स पर ध्यान नही नहीं दिया गया। वर्तमान की स्थिति यह है कि कूड़ा ढोने वाली गाड़िया सड़कों पर न के बराबर दिखाई देती है। उ.प्र. में ए2जेड के बनारस, गाज़ियाबाद, मेरठ, अलीगढ़, बस्ती, मुजफ्फरनगर, बलिया, बदायूॅं, जौनपुर, मिर्जापुर तथा मुरादाबाद शहरों में भी संयत्र स्थापित हैं लेकिन लगभग सभी जगह यही स्थिति है।

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anil-sindoor**लेखक श्री अनिल सिन्दूर वरिष्ठ पत्रकार है । पिछले 22 सालो में कई समाचार पत्रों में विभिन्न पद पर कार्य किया है । अंतर्राष्ट्रीय समाचार एवम विचार निगम में राष्ट्रीय विशेष संवाददाता के पद पर कार्यरत है ।

अनिल सिन्दूर
संपर्क : anilsindoor2010@gmail.com
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*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC.

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