खुशियाली के बुनकर

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Weavers of Happiness in indiaअमित गुईन*

भोपाल से लगभग 230 किलोमीटर की दूरी पर पारंपरिक बुनकरों का एक समूह रहता है जिनके द्वारा हाथ से बुनी गई रेशम और सूती साड़ियां हर तरह से बेजोड़ होती हैं। मध्य प्रदेश की चंदेरी साड़ियों ने फैशन की दुनिया  में तहलका मचा दिया और इसके खूबसूरत रंगों और आकर्षक डिजायनों ने ग्राहकों को खूब लुभाया। किंतु चंदेरी साड़ियों के बुनकरों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिनमें कार्यशील पूंजी की अनुपलब्धता, उपयुक्त और विश्वसनीय बाजार संपर्क का अभाव, निरंतर पारिश्रमिक भुगतान की समस्या और अधिक मात्रा में आर्डर नहीं प्राप्त होना शामिल हैं।

इन समस्याओं की ओर ध्यान देते हुए सरकार ने हथकरघा बुनकरों के विकास के लिए एक विशेष पहल की है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए देश के 12 राज्यों के 20 शीर्ष कलस्टरों में कपड़ा मंत्रालय के अधीन हथकरघा विकास आयुक्त का कार्यालय स्थापित किया गया है। समन्वित हथकरघा विकास योजना के अधीन चंदेरी कलस्टर का भी चयन किया गया है।

कलस्टर के विकास की दिशा में पहले कदम के रूप में चंदेरी के बुनकरों ने स्व-सहायता समूह स्थापित किये हैं। इन समूहों को प्रदर्शनियों और विक्रय के बारे में जानकारी देकर उन्हें उत्पादन से लेकर बाजार चक्र से अवगत कराया गया। उनकी समझ में यह बात भी आई कि प्रत्येक सहायता समूह की भागीदारी की यह प्रक्रिया काफी खर्चीली है और स्व-सहायता समूहों से संसाधन जुटाने की आवश्यकता है।

उनकी आशंकाओं को दूर करने के लिए बुनकरों को एक परिसंघ स्थापित करने का सुझाव दिया गया। कई परिचर्चाओं के बाद उन लोगों ने एक उत्पादक कंपनी लिमिटेड के रूप में एक परिसंघ को पंजीकृत कराने का निर्णय लिया। चंदेरी हैंडलूम कलस्टर विकास उत्पादक कंपनी के नाम से 10 प्रारंभिक सदस्यों के साथ एक कंपनी का पंजीकरण 29 मई 2008 को किया गया। इस प्रकार की एक कंपनी के निर्माण का समाचार तेजी से फैला और अन्य समूहों तथा हितधारकों ने इसमें शामिल होने के प्रति अपनी रूचि दिखाई। पंजीकरण के शीघ्र बाद पांच निदेशकों को डिजाइन विकास, आयोजना और उत्पादन, निगरानी और गुणवत्ता नियंत्रण, विपणन और विभिन्न विभागों के साथ समन्वय और वैधानिक औपचारिकताओं का उत्तरदायित्व सौंपा गया।

उसके बाद कंपनी के निदेशकों ने एक वर्ष के लिए कंपनी की व्यापार योजना की रूपरेखा तैयार की जिसमें लगभग 400-500 साड़ियों के एक संग्रह के साथ 40-50 विशेष डिजायनों वाले 60-70 करघे स्थापित करने का निर्णय लिया गया। संयोगवश 75 विभिन्न डिजायनों में प्रति माह 1,000 साड़ियों के संग्रह के साथ करघों की संख्या बढ़कर 100 हो गयी।

इन सभी बदलावों के बल पर बुनकरों के आत्मविश्वास को बल मिला और कंपनी ने अपने संचालन के पहले वर्ष में 30 लाख रूपये मूल्य की साड़ियों और परिधान सामग्रियों का उत्पादन किया। वर्ष 2008-09 के दौरान कंपनी ने बुनकरों के पारिश्रमिक में 20 प्रतिशत वृद्धि करने के अलावा अपने हित धारकों को 40 प्रतिशत लाभांश भी दिया। वर्ष 2009-10  के दौरान कंपनी ने पारिश्रमिक वृद्धि के उसी अंक को जारी रखा तथा लाभांश को बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दिया। वित्तीय मामले पर सकारात्मक समाचार के बाद कंपनी ने नई डिजायनों वाली साड़ियों और अन्य परिधान सामग्रियों का उत्पादन करके अपनी पहचान कायम की और गैर पारंपरिक परिधान सामग्रियों में रूचि रखने वाले ग्राहकों को भी अपनी ओर आकर्षित किया। विपणन टीम के सदस्यों द्वारा किये गए प्रयासों के बल पर लाइफस्टाइल्स, केंद्रीय कुटीर उद्योग निगम, रंजना फैब्रिक्स, तहिलियानी डिजायन्स और कई अन्य कंपनियों के साथ सम्पर्क कायम हुए।

कंपनी की स्थापना से बुनकरों का आत्मविश्वास बढ़ा और वे यह समझ पाए कि वे भी अच्छे मुनाफे के साथ व्यापार कर सकते हैं। दूसरी ओर, कंपनी द्वारा पारिश्रमिक में वृद्धि के साथ बुनकरों ने मालिक बुनकरों से भी बेहतर परिश्रमिक की मांग करना शुरू कर दिया। इसके कारण मालिक बुनकर भी धीरे-धीरे बुनकरों का पारिश्रमिक बढ़ाने लगे। इसके अलावा बुनकरों की युवा पीढ़ी भी कंपनी में शामिल होने के प्रति रूचि दिखा रहे हैं क्योंकि वे यहां अपने लिए बेहतर अवसर पाते हैं। युवा बुनकरों से बड़ी संख्या में प्राप्त अनुरोध से इस बात का पता चलता है।जागरूकता बढ़ने के कारण लगभग शत-प्रतिशत बुनकर स्वास्थय बीमा सुविधाओं का लाभ प्राप्त कर रहे हैं।

इस प्रकार चंदेरी के बुनकरों ने अपने लिए खुशियाली बुनी है।

*लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। लेखकपड़ा मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के आधार पर है !

*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC.

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