क्या हैं राजनीति के गिरते स्तर के कारण?**

निर्मल रानी**,,
क्वराज करने अथवा राज चलाने स बन्धी नीति को ही राजनीति कहा जाता है। लिहाज़ा स्पष्ट है कि  राज करने या चलाने जैसी अति संवेदनशील  एवं  गंभीर    मेदारी  को अंजाम  देने के लिए इस पेशे में शामिल व्यçक्त को अत्याधिक योग्य, दक्ष, ईमानदार तथा कुशल नेतृत्व प्रदान कर पाने की क्षमता रखने  वाला व्यçक्त होना चाहिए। अशोक सम्राट, चन्द्रगुप्त, चाणक्य जैसे  राजनीति में सिद्ध पुरूषों  से लेकर सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सरदार पटेल , लालबहादुर शास्त्री तथा इंदिरा गांधी सरीखे देश के सुप्रसिद्ध राजनैतिक महापंडितों  तक भारतीय राजनीति का इतिहास ऐसे तमाम राजनैतिक दिग्गजों के नामों से भरा पड़ा है जिन पर  न सिर्फ भारत की जनता बल्कि स्वयं देश की राजनीतिक व्यवस्था भी गर्व करती है।
       हमारे देश का सौभाग्य है कि प्राचीनकाल से ही भारत को राजनीति के क्षेत्र में ऐसी तमाम योग्य एवं विलक्षण प्रतिभाएं मिलीं जिन्होंने अपने तमाम  राजनीतिक फैसलों के द्वारा देश को आगे ले जाने, देशवासियों  को न्याय  देने, तथा देश की प्रगति और विकास में अपनी योग्यताओं  एवं प्रçतभाओं  का भरपूर  इस्तेमाल किया। यदि हम आज के समय में पश्चिमी देशों की साम्राज्यवादी नीतियों के कारण विE के बिगड़ते हुए हालात पर नजर डालें तथा प्रभावित देशों में मच रही तबाही,बबाüदी एवं आए दिन  होने वाले कत्ल-ए-आम पर गौर करें  तो हमें अपने देश के कुशल राजनीतिज्ञों  की योग्यता पर यह सोचकर और भी गर्व होता है कि 200 वर्षो  की  गुलामी के बाद भी बना किसी भीषण संघर्ष किए देश को अंग्रजों की गुलामी की बेçड़यों से किस प्रकार मुçक्त दिलाई। देश की आजादी  को आज 64 वर्ष बीत चुके हैं। स्वतन्त्र भारत दुनिया के अन्य विकासशील देशों की तुलना में तेजी से आगे बढ़ता हुआ विकसित देशों  की श्रेणी में खड़ा होने की तैयारी कर रहा है। यह सत्य है कि देश के विकास स बन्धी इस महान उपलिबध में निश्चित रूप से हमारे ही देश के कुशल नेतृत्व का पूरा योगदान है। परन्तु यदि इसी सिPे के दूसरे पहलू पर नजर डालें तो हमें कुछ ऐसे तथ्य भी नजर आते हैं जिन्हें देखकर हमारी नजरें शर्म से झुक जाती हैं।
       दरअसल हमारे देश के कल के नेताओं में बलिदान का जजबा था, वे निज्स्वार्थ सेवा भाव के साथ अपने पूरे कौशल एवं योग्यता के बल पर प्रभावी राजनीति किया करते थे। ऐसी राजनीति जिसमें कि नैतिकता एवं सिद्धान्त कूट-कूट कर भरे होते थे। ठीक  इसके विपरीत आज की राजनीति मु य रूप से सत्ता प्राप्त करने के उद्देश्य को केन्द्र बिन्दु मानकर किया जाने वाला एक ऐसा पेशा बन कर रह गई है जिसमें  अनेक अनपढ़, गुण्डे, बदमाश, लफंगे, स्वार्थी, धनार्जन की इच्छा रखने वाले, अखबार बाजी व प्रेसनोट की राजनीति कर अपने नाम को जनता के मध्य नियोजित तरीकों से उछालने वाले तथा छल कपट के द्वारा राजनीति के क्षेत्र में अपना नाम रौशन  करने की कोशिश करने वालों की ाीड़ नजर आती है। जिसके परिणाम स्वरूप देश में अपना नाम रौशन  करने की कोशिश करने वालों की ाीड़ नजर आती है। जिसके परिणाम स्वरूप देश में चारों ओर भ्रष्टाचार का वातावरण नज़र आ रहा है। आम लोगों का राजनीति तथा राजनीतिज्ञों पर से विEास कम होता जा रहा है। राजनीति में नैतिकता की न सिर्फ कमी होती दिखाई पड़ रही है बल्कि ऐसा लगने लगा है कि राजनीति  जैसे पवित्र  पेशे के लिए नैतिकता की बात करना ही कोई अनैतिक वार्तालाप बनकर रह गया हो। पारदर्शिता नाम की चीज सियासत से खत्म होती जा रही है । इसी प्रदूषित एवं नि न स्तरीय  स्वार्थी एवं भ्रष्ट राजनीति की वजह से ही स्वयं देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी को यह स्वीकार करना पड़ा था कि विकास  के नाम पर एक रूपया जब केन्द्र सरकार पंचायत के  विकास कायोZके  लिए रवाना करती है तो पंचायत तक आते-आते वह एक रूपया मात्र 2भ् पैसे  ही रह जाता है। स्वगीüय राजीव गांधी का साफ कहना  था कि 7भ् पैसे देश के खोखले राजनैतिक ढांचों  तथा भ्रष्ट राजनैतिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था की भेंट चढ़ जाते हैं। प्रश्न यह है कि यदि देश का राजनैतिक ढांचा चुस्त दुरूस्त एवं पारदर्शी  हो तथा देश की व्यवस्था योग्य,ईमानदार, çज़ मेदार व कुशल लोगों के हाथों में हो तो क्या इस प्रकार के Oास की कल्पना की जा सकती है?
राजनीति में सक्रिय लोगों  तमाम नेताओं पर हम नजर  डालें तो हमें  यह देखकर दुज्ख होगा कि  इनमें अनेक ऐसे लोग  दिखाई देते हैं जो अशिक्षित  होने के अलावा अपने जीवन के तमाम क्षेत्रों में असफल होने के बाद  सफेद कुतेü-पायजामे  सिलवा कर  समाज सेवा को बहाना बनाकर राजनीति में सक्रिय हो गये हैं। ऐसे तत्वों  की सक्रियता एक ओर तो राजनीति के क्षेत्र में इसलिए भी बढ़ती गई क्योंकि देश की जनसं या के साथ-साथ बेराजगारी भी अपने चरम पर पहुंच चुकी है। दूसरी तरफ ऐसे अपरिपक्व एवं असमाजिक लोगों के राजनीति में बढ़ते प्रवेश को दे ाकर योग्य, ईमानदार तथा देश सेवा का जज़्बा रखने वाले उन तमाम  लोगों ने अपने आपको  राजनीति के क्षेत्र से दूर रखना शुरू कर दिया जो असमाजिक तत्वों की राजनीति में  घुसपैठ को कतई  उचित नहीं समझते थे। शरीफ एवं सज्जन व्यक्तियों  द्वारा राजनीति से मुंह मोड़ लेने की घटना ने  तीसरे दजेü के ऐसे लोगों को इतना अधिक  प्रोत्साहित किया कि  आज राजनीति में जहां इनका वर्चस्व साफ नजर आता है वहीं योग्य  एवं सज्जन  राजनीतिज्ञ या तो राजनीति के दल-दल से दूर होता  जा रहा है या फिर सक्रिय  होते हुए भी स्वयं  को असहाय  एवं  निष्प्रभावी महसूस करने लगा है। आज का आधारहीन तथाकथित नेता अपने आकाओं को तोहफे भेंट कर, अखबार नवीसों  को तमाम प्रकार की क्वभेंटं देकर  अपने राजनैतिक आकाओं के पक्ष में उसकी तारीफों के पुल बांधने वाले प्रेस नोट  जारी कर स्वयं को सफल राजनीतिज्ञ मानता है। कोई दूसरे देशों के झण्डे जलाकर अपनी राजनीति चटकाता है तो कोई अफसरों व अन्य वरिष्ठ नागरिकों को स्मृति चिन्ह भेंटकर उन्हें स मानित  करने के बहाने अपना ही मान-स मान बढ़ाने का प्रयास करता है। कोई अपने साथ चार लोगों  को लेकर सड़कों पर दहशत फैलाने, कारों व जीपों में बैठकर तेज र ़तार से गाड़ी चलाने को ही सफल राजनीति मानता है तो कोई राष्ट्रीय  राजमार्ग पर शहीदों की फोटो से लैस गाçड़यों पर पिकनिक मनाए जाने की घटना को क्वरथयात्रां का नाम देकर स्वयं को लाल कृष्ण अडवाणी  की श्रेणी में  स्थापित करने का प्रयास करता है। राजनीति में अपराधी भी काफी सक्रिय भूमिका अदा कर रहे हैं। इन अपराधियों की सक्रियता  का केवल  एक ही उद्देश्य होता है, अपनी जान बचाना तथा शासन प्रशासन का संरक्षण प्राप्त करना। जाहिर है अपने इस उद्देश्य  के लिए वे किसी  एक राजनैतिक  दल के  साथ किन्हीं सिद्धांतों के तहत बंधे नहीं होते। वे उसी  दल के साथ होते हैं जो दल उनकी सुरक्षा की पूरी गारन्टी लेता हो।
        उपरोक्त  हालात को देखकर इस निर्णय पर पहंुचा जा सकता है कि देश की राजनीति के वर्तमान गिरते हुए स्तर के लिए काफी हद तक अकुशल,अयोग्य, भ्रष्ट व व्यवसायिक मानसिकता रखने वाले ढोंगी नेताओं की राजनीति में घुसपैठ  मेदार है। यदि  देश को इस नासूर से मुçक्त दिलानी है तो ऐसी व्यवस्था करनी पड़ेगी जिससे कि शिक्षित, योग्य, ईमानदार एवं नीतियों व सिद्धांतों पर विEास रखने वालेे समर्पित लोग ही सक्रिय  राजनीति में  भाग ले सकें।

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं.

Nirmal Rani (Writer)
1622/11 Mahavir Nagar
Ambala City  134002
Haryana
phone-09729229728

*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC

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