दिल्ली,
दिल्ली में मतदाताओँ से साफ तौर पर किसी भी पार्टी को पूरा समर्थन नहीं मिलने की वजह से किसकी या फिर कैसे सरकार बने इसे लेकर आज हर कोई माथापच्ची कर रहा है।लेकिन इन सभी अटकलोँ के बीच कभी अरविंद केजरीवाल की सहयोगी रहीं किरण बेदी ने सरकार बनाने का एक फॉर्मूला सुझाया है। किरण बेदी ने ट्वीट करके बताया है कि भले ही दिल्ली के नतीजे त्रिशंकु विधानसभा की ओर इशारा करते हैं पर कांग्रेस विरोधी सरकार अब भी बनाई जा सकती है। सरकार कैसे बने और कैसे चले इसे लेकर किरण बेदी ने कई ट्वीट किए।
किरण बेदी ने लिखा, ‘दिल्ली के लोगों के साथ यह नाइंसाफी है कि उन्हें स्थाई सरकार नहीं मिलेगी और फिर से चुनाव होंगे। ऐसे में बीजेपी और AAP की जिम्मेदारी बनती है कि वो सुशासन दें।’ किरण बेदी ने आगे ट्वीट किया, ‘इस जनादेश का सम्मान करते हुए बीजेपी और AAP के वरिष्ठ नेताओं को मिलकर न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाना चाहिए।वरना फिर से चुनाव का विकल्प तो है ही।
AAP को नसीहत देते हुए किरण बेदी ने कहा, ‘केजरीवाल और उनकी पार्टी चुनाव लड़ने के नए तरीके लाए,इसी तरह अब सरकार चलाने के नए तरीकों की संभावना तलाशी जा सकती है। न्यूनतम साझा कार्यक्रम, उनमें से एक है।’
किरण बेदी ने इस संबंध में आखिरी ट्वीट लिखा है, ‘आप और बीजेपी को एक साथ मिलकर न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाना चाहिए जिसके जरिए वे शासन नहीं सेवा करेंगे।इस बंटे हुए जनादेश से यह एक नई किस्म की उम्मीद है, इसका सम्मान होना चाहिए।’
किरण बेदी ने फॉर्मूला तो सुझा दिया पर इसे बीजेपी या फिर AAP से समर्थन नहीं मिला। दरअसल, सोमवार सुबह को AAP की चुनाव समिति की बैठक हुई जिसमेँ नतीजा निकला कि जनता ने सरकार बनाने का जनादेश नहीं दिया इसलिए विपक्ष की भूमिका निभाई जाए। मनीष सिसोदिया ने कहा कि पार्टी ने तय किया है कि हम विपक्ष में बैठेंगे।किसी से समर्थन न लेना है और न देना है। ऐसे में दोबारा चुनाव के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
वहीं, बीजेपी ने भी सरकार बनाने की संभावनाओं से इनकार कर दिया है। पार्टी के सीएम उम्मीदवार डॉ हर्षवर्धन साफ कर चुके हैं कि उनकी पार्टी के पास वो संख्या नहीं हैं जिसके बूते सरकार बनाई जाए। ऐसे में फैसला दिल्ली के लेफ्टिनेंट गर्वनर नजीब जंग को करना है। सूत्रों की मानें तो आरएसएस ने भी बीजेपी को निर्देश दिया है कि वो किसी तरह के जोड़-तोड़ में शामिल न हो। अगर सरकार प्राकृतिक तरीके से बनती है तो ठीक वरना विपक्ष में बैठना ही पार्टी के लिए सही होगा।