सर जोड़ के बैठो कोई तदबीर निकालो
हर बात पे ये मत कहो शमशीर निकालो
हालात पे रोने से फ़क़त कुछ नहीं होगा
हालात बदल जाएँ वो तदबीर निकालो
देखूँ ज़रा कैसा था मैं बेलौस था जब तक
बचपन की मेरे कोई सी तस्वीर निकालो
सय्याद को सरकार सज़ा बाद में देना
पहले मेरे सीने में धँसा तीर निकालो
दुनिया मुझे हैवान समझने लगी,अब तो
गर्दन से मेरी धर्म की ज़ंजीर निकालो
———ओम प्रकाश नदीम
बेलौस –निश्छल ,सय्याद –बहेलिया
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ओम प्रकाश नदीम
एकाउन्ट आफीसर, लखनऊ
निवासी – फतहेपुर उ. प्र.