हरियाणा की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी श्रीमती सुमिता मिश्रा के कविता संग्रह ‘ज़रा सी धूप’ का विमोचन आज यहां जानेमाने साहित्यकार, चिंतक व कवि श्री अशोक वाजपेयी द्वारा किया गया।हरियाणा पर्यटन विभाग की महानिदेशक श्रीमती सुमिता मिश्रा का यह दूसरा काव्य संग्रह है जोकि उनकी सृजन यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव है। इस कविता संग्रह में कुल 75 कविताओं को संकलित किया गया है, जिसे यूनिस्टार बुक्स द्वारा प्रकाशित किया गया है।
इस संग्रह की सभी कवितायें उनकी सूक्ष्म अनुभूति तथा बौद्धिक प्रखरता का विलक्षण संयोग प्रस्तुत करती है। इन कविताओं का वर्तमान समाज की तमाम विसंगतियों का चित्रण तो है ही, समाज में गुणात्मक परिवर्तन की बेचैनी भी साफ परिलक्षित होती है। रचनाकार की सार्थक तथा सकारात्मक जीवन-दृष्टि ने इन कविताओं को अत्यंत प्रभावित तथा संवेदनशील बना दिया है।
इन संग्रह की कविताओं का फलक जितना विशाल है उतना विविध भी। मानव-मन की सूक्ष्म अनुभूतियों तथा संबंधों की उष्मा से अभिसिंचित कुछ कवितायें इतनी आत्मीय तथा मार्मिक बन पड़ी है कि इनकी अनुगूंज काफी दूर तक मन-मस्तिष्क में गूंजती रहती है। इन कविताओं में भौतिकवाद तथा उपभोक्तावादी अपसंस्कृति की चपेट में आये मानव-मूल्यों की आह और कराह साफ सुनाई देती है।
सुमिता मिश्रा के इन ताज़ा कविता-संग्रह की भाषा और शैली अत्यंत सहज, सरल तथा सृजनात्मक है। जटिल से जटिल मनोभावों का संप्रेषित करने की कला में माहिर श्रीमती मिश्रा की संवेदनशीलता इस संग्रह में अपने चरम पर है। उन्होंने इस पुस्तक को अपनी माता डा० प्रेम कुमारी को समर्पित किया।
पर्यटन एवं सांस्कृतिक कार्य विभागोें के प्रधान सचिव श्री विजय वर्धन ने इस पुस्तक के सार का विस्तारपूर्वक सूफीजम विश्लेषण कर श्रोताओं को मुक्तमोह किया।
श्री अशोक वाजपयी ने अपने सम्बोधन में कहा कि किसी कवि को अपनी रचनाओं के माध्यम से कहे गये सच्च के ऊपर संदेह नहीं करना चाहिए। उन्होंने एक साहित्यकार के जीवन की सच्चाइयों पर प्रकाश डाला। श्री वाजपयी भारत भवन के सम्पादक तथा महात्मा गांधी हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति भी रह चके हैं। वह उत्तर प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के रूप में सेवानिवृत हुए हैं और लगभग 50 साल से हिन्दी साहित्य से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि श्रीमती मिश्रा ने अपनी पुस्तक में सरल हिन्दी के साथ-साथ लखनवी भाषा का इस्तेमाल कर नया लुक दिया है, निसंदेह पाठकों को पसंद आएगा।
यूनिस्टार बुक्स प्रकाशक श्री हरीश जैन ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया।
इस अवसर पर विधायक प्रो० सम्पत सिंह, धर्म सिंह छोक्कर, सूचना, जन सम्पर्क एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग के महानिदेशक श्री सुधीर राजपाल, पुलिस आयुक्त राजवीर देशवाल, हरियाणा सरकार के अनेक वरिष्ठ अधिकारी एवं ट्राईसिटी के साहित्य प्रेमियों के अलावा श्रीमती सुमिता मिश्रा की माता डा० प्रेम कुमारी मिश्रा, उनके पति परमजीत एवं परिवार के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे।