अमिताभ ठाकुर के काव्य संग्रह “आत्मादर्श” का विमोचन

amitabh thakur ipsआई एन वी सी ,
लखनऊ,

आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर के काव्य संग्रह “आत्मादर्श” के विमोचन तथा इस सम्बन्ध में एक विचार गोष्ठी का आयोजन प्रेस क्लब, लखनऊ में हुआ. विचार गोष्ठी का विषय था- “आत्मादर्श के सन्दर्भ में आधुनिक कविता के मायने”. इस विचार गोष्ठी में कोई अलग से मुख्य अतिथि नहीं था. विधान परिषद पुस्तकालयाध्यक्ष अरुणेन्द्र त्रिपाठी द्वारा पुस्तक का विषय प्रवेश प्रस्तुत किया गया. ठाकुर ने अपनी कुछ कविताओं का पाठ प्रस्तुत किया. वरिष्ठ समाजवादी चिन्तक के सी मिश्रा और युवा समाजवादी विचारक दीपक मिश्र ने इस काव्य संग्रह में लोहिया, आचार्य नरेन्द्र देव और जयप्रकाश नारायण के विचार देखे और कहा कि इनमें ठाकुर लोहियावादी नज़र आते हैं. पूर्व डीजीपी महेश चन्द्र द्विवेदी ने इन कविताओं की सीधी-सरल भाषा में भाव संप्रेषण की चर्चा की जबकि पूर्व आईपीएस और कथाक्रम के संपादक शैलेन्द्र सागर ने साहित्य के जन सारोकारों तथा जनता से दूर होते जाने की स्थिति पर चिंता व्यक्त की.
एससीईआरटी के निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम सिंह ने इन कविताओं को ठाकुर के सीधी-सरल व्यक्तित्व का प्रतिबिम्ब बताया. सामाजिक सारोकार के संपादक सुभाष राय ने ठाकुर की कविताओं के विचार प्रभाव को उभारा. पूर्व प्रमुख वन संरक्षक एवं कवि मोहम्मद अहसन ने काव्य में काव्यात्मकता की जरूरत पर बल दिया और यही बात साहित्यकार सुभाष कुशवाहा ने भी कही. उन्होंने कहा कि अभी ठाकुर की कविताओं में जल्दीबाजी दिखती है और उन्हें अपने काव्य कौशल पर मेहनत करने की जरूरत है.

पीयूसीएल की वंदना मिश्रा ने ठाकुर की कविताओं की प्रशंसा की और आधुनिक जीवन में कविता के महत्व पर प्रकाश डाला. कवि और पत्रकार दयानन्द पाण्डेय ने ठाकुर की कविताओं को सत्य की प्रतिमूर्ति कहा जबकि पत्रकार राजा रिजवी, प्रेमेन्द्र श्रीवास्तव और कुलसुम तल्हा ने इन्हें हिंदी कविता का महत्वपूर्ण दस्तावेज़ और ठाकुर की संघर्षशील प्रकृत्ति का प्रतीक बताया. सञ्चालन विनोद शंकर मिश्रा ने किया.

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