पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक जनरल जि़या-उल-हक ने 1970 के दशक में अपने तानाशाही शासन के दौर में पाकिस्तान में सांप्रदायिकता, कट्टरपंथ व रूढ़ीवादिता का जो ज़हर बोया था वह आज पूरे पाकिस्तान के वातावरण को ज़हरीला कर चुका है। जनरल जिय़ा द्वारा बोए गए इन ज़हरीले बीजों की शाखें व बेल-बूटे आज लगभग पूरे पाकिस्तान को अपनी गिरफ्त में ले चुके हैं। और आज इस मुल्क के हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि किसी पड़ोसी देश के लोगों को पाक के बारे में कुछ कहने की क्या ज़रूरत, स्वयं वहां के सेनाध्यक्ष जनरल परवेज़ अशफाक कयानी पाकिस्तान को गृहयुद्ध की कगार पर खड़ा हुआ देश मान रहे हैं। कितने अफसोस की बात है कि आमतौर पर स्वतंत्रता दिवस समारोहों के अवसर पर प्राय: राष्ट्राध्यक्ष, सेनाप्रमुख या लोकतांत्रिक सरकारों के मुखिया स्वतंत्रता से लेकर वर्तमान समय तक की अपने देश की उपलब्धियों, विकास तथा प्रगति आदि की चर्चाएं किया करते हैं। देश की जनता के समक्ष अपने संबोधन में वे भविष्य की योजनाओं का भी कुछ न कुछ जि़क्र करते हैं। परंतु गत् 14 अगस्त अर्थात् यौम-ए-आज़ादी-ए-पाकिस्तान के दिन पाक सेना अध्यक्ष जनरल कयानी ने अपने संबोधन में जो कुछ कहा वह न केवल पाकिस्तान के लिए बल्कि भारत व अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के लिए भी अत्यंत चिंता का विषय है।
इस्लामाबाद स्थित सैन्य अकादमी में जश्र-ए-आज़ादी के अवसर पर पाक सैनिकों व पाक नागरिकों को संबोधित करते हुए जनरल कयानी ने कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण बातें कहीं। उन्होंने कहा कि ‘आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई केवल सेना की अकेली लड़ाई नहीं है बल्कि यह हम सब की अर्थात् पूरे पाकिस्तान की लड़ाई है। चरमपंथ व आतंकवाद के विरुद्ध लडऩा कोई गलती नहीं है। हमें निश्चित रूप से यह लड़ाई लडऩी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि ‘हालांकि किसी भी देश की सेना के लिए अपने ही लोगों के विरुद्ध लड़ाई लडऩा सबसे कठिन कार्य होता है। परंतु यदि कोई दूसरा विकल्प न बचे तो ऐसी स्थिति में लड़ाई करनी भी पड़ती है। जनरल कयानी ने आतंकवाद के विरुद्ध लडऩे हेतु सेना का आह्वान तो किया। परंतु साथ-साथ यह भी स्वीकार किया कि इनके विरुद्ध सैन्य अभियान इतना आसान भी नहीं है। परंतु अपने भाषण में जनरल कयानी ने जहां पाक-अफगान सीमा क्षेत्र के कबाईली इलाकों में आतंकवादियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई किए जाने की प्रबल संभावना की ओर इशारा किया वहीं उन्होंने बड़ी विनम्रता के साथ यह भी स्वीकार किया कि यदि आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई नहीं लड़ी गई तो पाकिस्तान के लोग विभाजित रहेंगे और देश गृह युद्ध की ओर चला जाएगा।
जनरल कयानी के भाषण से जो बातें निकल कर आती हैं उनमें एक तो साफतौर पर यह दिखाई देता है कि वे सेना के साथ-साथ पाकिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार व प्रशासन तथा वहां के आम लोगों विशेषकर धार्मिक प्रवृति के लोगों से भी आतंक विरोधी कार्रवाई में पूरा सहयोग चाह रहे हैं। इसके अतिरिक्त कयानी संभवत: यह भी समझ चुके हैं कि पाकिस्तान की जो सेना आज जिन तालिबानों, पाक तालिबानों अथवा अन्य कई आतंकी संगठनों के विरुद्ध कार्रवाई की बात कर रही है यही आतंकवादी काफी समय से स्वयं पाक सेना के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए हैं। पाकिस्तान में गत् कुछ वर्षों के भीतर ऐसे कई हादसे हो चुके हैं जो इस बात का सुबूत हैं कि या तो पाक स्थित चरमपंथी पाक सेना को कुछ नहीं समझते या फिर पाक सेना के भीतर यह अपनी अच्छी घुसपैठ बना चुके हैं। यह कहना इसलिए गलत नहीं होगा क्योंकि चरमपंथ पाकिस्तान में अब हथियारों के अतिरिक्त विचारधारा के रूप में भी आम लोगों पर हावी होता जा रहा है। परिणामस्वरूप सलमान तासीर जैसे पंजाब के प्रगतिशील विचारधारा रखने वाले गवर्नर को एक चरमपंथी विचार रखने वाला उन्ही का अंगरक्षक गोलियों से उड़ा देता है। संभवत: ऐसी ही घुसपैठ अब पाकिस्तान की सेना में भी चरमपंथी संगठन कर चुके हैं।
शायद तभी 14 अगस्त को जनरल कयानी के आतंकियों के विरुद्ध लडऩे के आह्वान के मात्र 48 घंटे के भीतर अर्थात् 16 अगस्त की पूर्व रात के दो बजे के लगभग राजधानी इस्लामाबाद से मात्र 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कामरा में मिन्हास सैन्य हवाई अड्डे पर सैन्य वर्दीधारी पाक तालिबानों ने आक्रमण कर दिया। इन हमलावरों की संख्या 12 बताई गई जोकि सभी सेना की वर्दी पहने हुए थे। सेना व आतंकियों के बीच भीषण गोलाबारी सुबह तक चली। परिणास्वरूप आठ हमलावर व एक सैनिक की मौत हो गई जबकि एक सैन्य कमांडर व तीन सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गए। मिन्हास सैन्य हवाई अड्डे की संवेदनशीलता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां पाक ऐरोनोर्टिकल कॉम्पलेक्स में पाकिस्तान व चीन की चेंगदू एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री कॉरपोरेशन की संयुक्त परियोजना के द्वारा जे एफ-17 लड़ाकू विमान बनाए जाते हैं। सैन्य अड्डे पर आतंकी हमले के समय 30 लड़ाकू विमान खड़े हुए थे। उसी समय आतंकियों ने ग्रिनेड व रॉकेट लांचरों से दो बजे रात में इस सैन्य अड्डे पर भीषण हमला बोल दिया। ज़ाहिर है उनका पूरा इरादा इन लड़ाकू विमानों को ध्वस्त करना ही था। यह आतंकी एक विमान को क्षतिग्रस्त करने में कामयाब भी रहे।
इस घटना से पूर्व मई 2011 में भी मेहरान सैन्य हवाई अड्डे पर आतंकियों द्वारा हमला किया गया था। जिसमें 10 पाक सैनिकों की मौत हो गई थी। यही नहीं बल्कि मेहरान सैन्य अड्डे को आतंकियों से मुक्त कराने में सेना को सत्रह घंटों तक आतंकियों से संघर्ष करना पड़ा था। उसके बाद यह सैन्य अड्डा आतंकियों के नियंत्रण से मुक्त हो सका था। इसी प्रकार कामरा में 2009 में एक सैन्य चौकी पर हुए आत्मघाती हमले में 6 लोगों को अपनी जानें गंवानी पड़ीं थीं। ऐसी ही एक घटना 2007 में कामरा में ही उस समय घटी थी जबकि आतंकियों द्वारा सैन्य कर्मियों के बच्चों को स्कूल ले जाने वाली एक स्कूल बस को एक आत्मघाती कार सवार द्वारा टक्कर मार कर भीषण विस्फोट किया गया था। जिसके नतीजे में सैन्य कर्मियों के पांच बच्चे शहीद हो गए थे। पाक स्थित आतंकवादी और भी ऐसी कई छोटी-बड़ी कार्रवाईयां सैन्य प्रतिष्ठानों, सैन्य चौकियों अथवा सैनिकों को निशाना बनाकर कहीं न कहीं करते ही रहते हैं। आतंकियों की यही कार्रवाई इस नतीजे पर पहुंचने के लिए काफी है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन अब आम लोगों या अपने प्रतिद्वंद्वियों को नहीं बल्कि सीधे तौर पर पाकिस्तान के सबसे ताकतवर समझे जाने वाले प्रतिष्ठान यानी पाक सेना को भरपूर चुनौती दे रहे हैं तथा उनसे सीधेतौर पर टकराने का मन बना चुके हैं।
और यही वजह है कि जनरल परवेज़ कयानी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में न केवल आतंकवादियों को पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा खतरा स्वीकार किया बल्कि इनसे न निपटने की स्थिति में पाकिस्तान में गृहयुद्ध जैसी स्थिति के आसार भी व्यक्त किए। जनरल कयानी ने अपने भाषण में यह भी कहा है कि दुनिया का कोई भी देश समानांतर प्रणाली या चरमपंथी सेना को स्वीकार नहीं करता। उनके इस कथन से भी साफ़ ज़ाहिर होता है कि पाकिस्तान में सेना को टक्कर देने की स्थिति में आने वाले चरमपंथी सेना ने पाकिस्तान में एक समानांतर शासन प्रणाली की ओर अपने कदम बढ़ा दिए हैं। सवाल यह है कि यदि पाकिस्तान स्थित कट्टरपंथी संगठन वैचारिक रूप से पाक सेना में भी घुसपैठ कर चुके हों। और ऐसे लोग जनरल जि़या-उल-हक की विचारधारा को ही आदर्श मानकर चल रहे हों, ऐसे में आतंकवाद के विरुद्ध आरपार की लड़ाई लडऩे का जनरल कयानी का आह्वान कहां तक कारगर साबित हो सकेगा? अपनी इस बात के समर्थन में मैं यहां तीन वर्ष पूर्व वज़ीरिस्तान क्षेत्र में घटी उस घटना का उल्लेख करना चाहूंगा जिसमें कि बड़ी संख्या में सशस्त्र पाक सैनिकों ने अपने दर्जनों वाहनों व बख्तरबंद गाडिय़ों के साथ आतंकवादियों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था। उस घटना के समय ही पूरी दुनिया में दो प्रकार के संदेह व्यक्त किए जा रहे थे। एक तो यह कि क्या तालिबानी लड़ाके इतने मज़बूत हो गए हैं कि वे पाकिस्तान की एक पूरी सैन्य टुकड़ी का अपहरण कर सकें और उनके हथियार व गोला-बारूद तथा वाहन आदि भी अपने कब्ज़े में ले लें। और दूसरा यह कि कहीं इस घटना में पाकिस्तानी सेना के लोगों की ही संदिग्ध भूमिका तो नहीं थी?
जो भी हो पाक स्थित आतंकवादियों की ताकत का अंदाज़ा तो इसी बात से लगाया जा सकता है कि जो चरमपंथी नाटो सेना के सैन्य क़ाफले, उनकी सप्लाई के काफले, उनके गोला-बारूद व तेल के डिपो आदि को बड़ी सफलता से निशाना बना देते हों उनकी नज़रों में पाकिस्तान स्थित सैन्य ठिकाने क्या आखर क्या मायने रखेंगे। इन हालात में इस निष्कर्ष पर बड़ी आसानी से पहुंचा जा सकता है कि पाकिस्तान में यदि एक सेनाध्यक्ष ने ज़हर के बीज बोए थे तो आज वर्तमान सेनाध्यक्ष के लिए वही ज़हरीले फल-पौघे पूरे पाकिस्तान के लिए ज़हरीली हवा फैलाने का कारण बन चुके हैं। यह स्थिति जहां पाकिस्तान के शांतिप्रिय लोगों, वहां के जि़म्मेदारों के लिए चिंता का विषय है वहीं भारत जैसा पड़ोसी देश भी पाकिस्तान के इन मौजूदा हालात से बेखबर कैसे रह सकता है।
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**Tanveer Jafri ( columnist),(About the Author) Author Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also a recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.
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