अनिल सिन्दूर कि कविता – बोधसत्य

मित्र,
चली गयी वो
जिसे हम सभी
समझा करते थे ना समझ
और बेअक्ल
छोड़ कर सारी
सुलझी अनसुलझी शिकायतें
और दे गयी हमें
त्याग कर नश्वर शरीर
श्बोधसत्यश्

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anil-sindoor**लेखक श्री अनिल सिन्दूर वरिष्ठ पत्रकार है । पिछले 22 सालो में कई समाचार पत्रों में विभिन्न पद पर कार्य किया है । अंतर्राष्ट्रीय समाचार एवम विचार निगम में राष्ट्रीय विशेष संवाददाता के पद पर कार्यरत है ।

अनिल सिन्दूर
संपर्क : anilsindoor2010@gmail.com
:  09415592770

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