समलैंगिक यौन संबंध अपराध : सुप्रीम कोर्ट

supreme-court-Indiaआई एन वी सी ,

दिल्ली,

आज सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक यौन संबंध केस में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को फैसला अपना अहम् फैसला सुनाते हुए समलैंगिक यौन संबंध को अपराध की श्रेणी में फिर से रख दिया है,

जस्टिस जी एस सिंघवी और जस्टिस एस जे मुखोपाध्याय की खंडपीठ हाईकोर्ट के 2009 के फैसले के खिलाफ समलैंगिक अधिकार विरोधी कार्यकर्ताओं, सामाजिक और धार्मिक संगठनों की याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया. हाई कोर्ट ने इस तरह की गतिविधियों को अपराध के दायरे से बाहर रखने की व्यवस्था दी थी.

गौरतलब है की दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर इस मामले में 15 फरवरी, 2012 से नियमित सुनवाई के बाद पिछले साल मार्च में कहा था कि फैसला बाद में सुनाया जाएगा. इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध के दायरे से मुक्त करने के मसले पर ‘ढुलमुल’ रवैया अपनाने के लिए केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया था. कोर्ट ने इस मसले पर संसद में भी चर्चा नहीं होने पर चिंता व्यक्त की थी.

ने 2 जुलाई, 2009  दिल्ली हाईकोर्ट को भारतीय दंड संहिता की धारा 377 में प्रदत्त समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध के दायरे से मुक्त करते हुए व्यवस्था दी थी कि जिसमे कोर्ट ने कहा था की एकांत में दो व्यस्कों के बीच सहमति से स्थापित यौन संबंध अपराध नहीं होगा ,सबको समानता के साथ जीने का अधिकार है

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