आई एन वी सी ,
दिल्ली,
रहस्यमय परिस्थितियों में खालिद मुजाहिद की मौत का मामला अब पूरे मुस्लिम जगत ने पकड़ता जा रहा है ,पूरे मुस्लिम जगत में भारी रोष है , मुस्लिम की की ये नाराजगी मुलायम सिंह को 2014 में भारी पड़ सकती है ! जमीयत उलमा ए हिन्द के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने रहस्यमय परिस्थितियों में खालिद मुजाहिद की मौत पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए केंद्र एवं राज्य सरकारों को चेतावनी देते हुए कहा है कि निर्दोष मुस्लिम नौजवानों के खिलाफ यह घिनौना खेल हरगिज बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मौलाना मदनी ने खालिद मुजाहिद की मौत के सिलसिले में पुलिस प्रशासन के दावे को संदिग्ध करार देते हुए मामले की गहनता से जांच करने की मांग की है और उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है कि वह इस घटना से सबक लेते हुए अविलम्ब निमेश आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करे और दूसरे केदी तारिक कासमी की रिहाई को सुनिश्चित करे। खालिद और तारिक को 2007 में गिरफ्तार करने वाले एस टी एफ के 42 लोगों के खिलाफ कार्रवाई को उचित कदम लेकिन अपर्याप्त बताते हुए उन्होंने कहा कि वास्तव में सीओ सर्किल पुलिस अधिकारी संजीव त्यागी समेत आठ अन्य पुलिस वालों को गिरफ्तार करके सख्ती से पूछताछ की जाए, जिनकी हिरासत में फैजाबाद से लखनऊ ले जाया जा रहा था। उन्होंने आगे कहा कि सरकार मृतक खालिद के परिजनों को तत्काल प्रभाव से मुआवजे की घोषणा भी करे। मौलाना मदनी ने कहा कि जिस रहस्यमयी परिस्थितियों में खालिद की मौत हुई है वह पुलिस प्रणाली और देश में मौजूदा परिस्थितियों पर कई गंभीर सवाल खड़ा करती है। अगर उत्तर प्रदेश सरकार जमीयत उलमा ए हिन्द और अन्य मानवाधिकार के लिए काम करने वाले संगठनों की मांग पर ध्यान देते हुए निमेश आयोग की सिफारिशों के अनुसार कार्रवाई करती तो इस जघन्य अपराध एवं हृदय विदारक हादसे से बचा जा सकता था। उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल अविश्वसनीय और समझ से बाहर है कि निमेश आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश क्यों नहीं किया जा रहा है जिसमें खालिद मुजाहिद और तारिक कासमी की गिरफ्तारी के संबंध में एस टी एफ की भूमिका को संदिग्ध करार देते हुए, अपहरणकर्ता पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्रभावी कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की गई है। मौलाना मदनी ने जेल में बंद अन्य निर्दोष नौजवानो की सुरक्षा पर ध्यान आकर्षित करते हुए आशंका जताई कि अन्य उन लोगों को भी मौत के घाट उतारा जा सकता है जिनके कारण पुलिस अधिकारियों को अपनी गिरफ्तारी की आशंका है। पुलिस एजेसियों को खतरा है कि उनके द्वारा गिरफ्तार किए गए निर्दोष लोगों की रिहाई से अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका सच्चाई में बदल सकती है। इसी तरह की घटना कतील सिद्दीकी, फैज उस्मानी और जावेद के साथ घटित हुई थी। आशंका है कि खालिद मुजाहिद भी इसका शिकार हुए हैं। इसलिए जरूरत इस बात की है कि ऐसे केदियों की सुरक्षा की उचित व्यवस्था की जाए ताकि भविष्य में फिर अन्य कोई ऐसा घटना घटित न हो।
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