कोबरापोस्ट दर्जनों ऐसे नए मामलों का खुलासा कर रहा है जिनसे ये जाहिर हो जाता है कि HDFC, ICICI और Axis बैंक की दर्जनों शाखाओं में मनी लॉन्डरिंग से जुड़ी गतिविधियां अपवाद नहीं हैं, बल्कि उनकी व्यवस्था का अभिवन्न हिस्सा हैं।
आई एन वी सी ,
दिल्ली,
कोबरापोस्ट ने 14 मार्च के अपने खुलासे ऑपरेशन रेड स्पाइडर में देश के सामने ये दिखाया था कि मनी लॉन्डरिंग HDFC, ICICI और Axis बैंक जैसे बड़े बैंकों की कार्यपद्धति का किस तरह हिस्सा बन चुकी हैं। आज कोबरा पोस्ट के संपादक अनिरुद्ध बहल ने प्रेस रिलीज़ करके में बताया की हमारे खुलासे में ये भी साबित हुआ था कि बिना किसी संदेह के बैंककर्मी किस तरह अपने वॉक इन कस्टमर को ब्लैकमनी को लॉन्डर करने के लिए खुलेआम पेशकश कर रहे हैं। इसके लिए उसे विकल्प भी सुझा रहे हैं और बेशर्मी से नियमों को ताक पर भी रख रहे हैं। चौंकाने वाली बात ये भी है कि इस तरह के प्रयास न केवल बैंक के स्तर पर किए जा रहे हैं बल्कि RBI और वित्त मंत्रालय इस तरह की खतरनाक सच्चाई को या तो खारिज कर रहा है या फिर इसे हल्के में ले कर ये कह रह है कि इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। ये मामले इक्का दुक्का या अपवाद नहीं हैं, बल्कि देश भर में चलाए जा रहे रैकेट का हिस्सा हैं। ये सच्चाई है कि इन बैंकों में मनी लॉन्डरिंग का गोरखधंधा बेरोकटोक चलाया जा रहा है। दर्जनों बेंककर्मियों से जुड़े ये कोई इक्कादुक्का मामले या अपवाद नहीं हैं, जैसा कि उन्हें साबित करने की कोशिश की जा रही है। बल्कि ये सारे मामले पूरी तरह देश भर में फैले हुए रैकेट का हिस्सा हैं ! इस सच को फिर से मजबूती से स्थापित करने के लिए इन्हीं बैंकों से जुड़े दर्जनों ताजा मामले रख रहे हैं, और ये बता रहे हैं कि ये मामले अपवाद नहीं है। बल्कि देश भर में फैले इन बैंकों की कार्यप्रणाली का अभिन्न हिस्सा हैं। ये ताजा मामले इन दावों को खोखला साबित करते हैं कि भारतीय बैंक प्रणाली चुस्त दुरुस्त है। इनसे हम सोचने के लिए मजबूर हो जाते है कि भारत की बैंकिंग प्रणाली कहीं उन ताकतों के लिए अपनी गतिविधियों की फंडिंग का जरिया तो नहीं बन रही है, जो देश की अर्थव्यवस्था और उसके सामाजिक तानेबाने को नुकसान पहुंचाना चाहती हैं।
मनी लॉन्डरिंग की पेशकश एक स्टैंडर्ड प्रोडक्ट है
गौरतलब है कि कोबरोपोस्ट के एसोसियेट एटिडर सैयद मसरूर हसन ने देश भर में इन बैंकों की दर्जनों शाखाओं में जाकर ये पाया कि मनी लॉन्डरिंग को इन बैंकों में एक प्रोडक्ट की तरह बेचा जा रहा है। न तो किसी बैंक अधिकारी ने एक कल्पित नेता की करोड़ों रुपए की ब्लैकमनी के निवेश करने के प्रस्ताव को खारिज किया और न ही इससे किनारा करने की कोशिश की। इसके बजाय बैंक कर्मियों ने बेखाता ब्लैकमनी को रेगुलर बैंकिंग सिस्टम में किस तरह खपाकर व्हाइट किया जाए, इसके तरीके बताए। बैंक कर्मियों ने कोबरापोस्ट के रिपोर्टर को कुछ इस तरह की पेशकश दी:
Ø बगैर रुपए का स्रोत जाने बिना खाता के बड़ी राशि स्वीकार करना
Ø बगैर आवश्यक पैन कार्ड के खाता खोलना, KYC के नियमों का उल्लंघन है।
Ø मॉनिटरिंग ऑथोरिटी को ट्रांजेक्शन की जानकारी नहीं देना PML एक्ट, 2000 के, आरबीआई की गाइडलाइन्स और उसके प्रावधानों का उल्लंघन है।
Ø लॉन्ग टर्म इंश्योरेंस प्रोडक्ट में कैश को निवेश करना
Ø अपने बैंक या दूसरे बैंक के ज़रिए क्लाइंट के कैश को डिमांड ड्राफ्ट में बदलने का इंतजाम करना
Ø करोड़ों रुपए की ब्लैकमनी के लिए लॉकर का इंतजाम करना
Ø ब्लैकमनी की बड़ी रकम को समायोजित करने के लिए कई एकाउंट खोलना
Ø नेता की पहचान को गुप्त रखना
Ø NRE और NRO एकाउंट के जरिए ब्लैकमनी को विदेश में रूट करने की सुविधा देना, इसके अलावा कुछ ने ऐसे रास्ते भी सुझाए जो बैंकिंग सिस्टम का हिस्सा नहीं हैं।
उपरोक्त सुझावों के अलावा इन बैंकों के अधिकारियों ने नीचे लिखे सुझाव भी दिए थे।
§ नगद को बाहर भेजने के लिए एकाउंट खोल सकते हैं और निवेश की दूसरी योजनाओं की मदद ले सकते हैं।
§ कैश को टुकड़ों में बैंकिंग सिस्टम में डलवाइए ताकि किसी को इसकी भनक न लग सके।
§ ब्लैक मनी को व्हाइट मनी में बदलने के लिए बेनामी खातों का इस्तेमाल कर सकते हैं
§ ब्लैकमनी को ठिकाने लगाने के लिए दूसरे कस्टमर के खातों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
§ ब्लैक मनी को निवेश करने के लिए अलग- अलग लोगों के नाम पर अलग-अलग खातों का इस्तेमाल किया जासकता है, चाहे वो एक परिवार से हो या नहीं।
§ बैंक के अधिकारी और कर्मचारी ब्लैक मनी के लिए कस्टमर के घर पर व्यक्तिगत तौर पर जाते हैं और इस रकमको गिनने के लिए मशीन भी देते हैं।
§ फॉर्म 60 जैसे प्रावधानों का