गुजरे दस साल के अर्से में कांग्रेस की हालत को देखकर कहावत “धोबी का कुत्ता घर का रहा न घाट का” याद आ रही है। कांग्रेस को इस हाल पर पहुंचाने की जिम्मेदार खुद कांग्रेस है। कांग्रेस जो जन्म से ही गददारी करती रही। सबसे पहले जवाहर लाल नेहरू ने देश का बटवारा कराया। अगर जवाहर लाल ने महात्मा गांधी की बात मानी होती तो शायद देश के टुकड़े न होते लेकिन जवाहर लाल मुसलमान को मजबूत होता नहीं देखना चाहते थे इसलिए जवाहर लाल ने कांग्रेस कमेटी में मुस्लिम विरोधी प्रस्ताव पास कराकर प्रधान मंत्री की कुर्सी पर कब्जा जमाने का रास्ता साफ कर लिया। जवाहर लाल का मन इतने से भी नहीं भरा तो जवाहरलाल ने निजाम हैदराबाद पर सेना से आक्रमण कराकर हजारों बेगुनाह मुस्लिमों की लाशें बिछवादीं। 1965 में पाकिस्तान से हुए युद्व के दौरान भी देश के मुसलमान को जमकर सताया गया यह अलग बात है कि 1965 में कुर्सी पर जवाहरलाल न होकर लाल बहादुर शास्त्री थे लेकिन थे तो कांग्रेसी ही। इसके बाद इन्दिरा गांधी ने अपनी सरकार के दौरान बम्बई दंगे में मुस्लिमों का कत्लेआम कराया गया। इन्दिरा गांधी ने एक बड़ी ही साजिशी योजना के तहत नसबन्दी का हथियार इस्तेमाल किया यह भी मुस्लिम के खिलाफ एक सोची समझी साजिश ही थी।
इस्लाम में नस्बन्दी की मनाही होने के बावजूद इन्दिरा गांधी ने जबरन मुस्लिमों की नसबन्दियां कराई जिससे नाराज हुए मुस्लिम ने 1977 के आम चुनाव में कांग्रेस को उसकी औकात पर पहुंचा दिया। जनता पार्टी की सरकार लूट खसोट की बन्दर बाट के चलते ढाई साल में ही चल बसी। इन्दिरा गांधी ने मुस्लिमों को अपने घडि़याली आसुओं के झांसे में लिया और एक बार फिर कांग्रेस बरसरे रोजगार हो गयी, लेकिन अपनी दगाबाज फितरत नहीं बदल सकी और मुरादाबाद दंगे में इन्दिरा गांधी और कांग्रेस की ही उ0प्र0 सरकार ने पीएसी के हाथों जमकर मुस्लिमों पर जुल्म कराकर 1977 के चुनावों में हुई हार का बदला लिया। राजीव गांधी ने बैठते ही नया गुल खिलाया और बाबरी मस्जिद के ताले खुलवाकर उसमें नमाज की जगह पूजा कराना शुरू करदी। हालांकि राजीव गांधी ने इराक पर आतंकी हमले के दौरान आतंकियों के जहाजों को ईंधन देने पर चन्द्र शेखर के कान मरोड़े जिससे एक बार भी मुस्लिम कांग्रेस के झांसे में आ गये और दे दिया कांग्रेस को लूट खसोट का मौका, लेकिन इस बार कांग्रेसी प्रधान मंत्री नरसिम्हा राव ने मुस्लिमों से गददारी की सारी हदें ही पार करते हुए बाबरी मस्जिद को आतंक के हवाले करने में पूरी साजिश रची, कांग्रेसी प्रधान मंत्री की इस करतूत से एक बार फिर मुस्लिम ने कांग्रेस को सही जगह पर पहुंचा दिया।इस बीच केन्द्र में बीजेपी का कब्जा हो गया और बीजेपी की राज्य व केन्द्र सरकारों ने गुजरात में बेगुनाह मुसलमानों पर आतंकी मला कराकर हजारों बेकसूरों का कत्लेआम कराया क्योंकि इस समय कांग्रेस औकात पर थी तो गुजरात आतंक पर मन ही मन खुश होती रही कोई जश्न नहीं मना सकी और केन्द्र में अटल बिहारी सरकार भी मन ही मन गदगद होती रही लेकिन खुलकर गुजरात आतंक का जश्न नहीं मनाया।
गुजरात आतंक से झल्लाये मुस्लिमों को लगा कि कांग्रेस ही बेहतर है और कांग्रेस में नौटंकीबाजों की कमी नहीं रही इस बार सोनिया गांधी ने ड्रामा करके मुस्लिमों को झांसे में ले लिया और बेचारा सीधा शरीफ मुस्लिम वोट फिर फंस गया कांग्रेसी जाल में। सत्ता में आते ही कांग्रेस ने गुजरात आतंक में शहीद बेगुनाहों की लाशों पर अपनी खुशी का इजहार करते हुए गुजरात आतंक के मास्टर माइण्ड को सम्मान व पुरूस्कार दिया, अगर यही जश्न बाजपेई सरकार मनाती तो शायद कुछ हद तक ठीक होता, यही नहीं कांग्रेस सरकार के पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने गोधरा साजिश को बेनकाब करने के लिए नानावटी आयोग गठित करके जांच कराई जांच ने सारा सच सामने लाकर रख दिया जिसपर कानूनी कार्यवाही करने की बजाये सोनिया नामक रिमोट से चलने वाली कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार उस रिपोट्र को ही दफ्ना दिया।
इसके साथ ही असम में आतंकियों के हाथों किये गये मुस्लिम कत्लेआम को रोकने की बजाये उलटे उसपर करराहने वालों की आवाज बन्द करने की कोशिश यानी असम आतंक की खबरें आरएसएस पोषित न्यूज मीडिया तो दे नहीं रहा था इसलिए लोग सोशल मीडिया के सहारे ही खबर दे रहे थे इसलिए सोशल को बन्द करने के लिए कांग्रेसी सरकार ने हाथ पैर मारे। अफजल गुरू को ठिकाने लगाने के लिए बड़े बड़े हथकण्डे अपनाये कांग्रेस की सरकार ने और लगा दिया ठिकाने, पाकिस्तान से आये सैकड़ों आतंकियों को सरकारी खर्च पर पाला गया और आज तक बादस्तूर पाला जा रहा है जबकि बीसों साल पहले पाकिस्तानी महिलाओं को जो कि यहां शादियां करके रह रही थी कई कई बच्चे थे, उनको उनके मासूम बच्चों तक को छोड़कर देश से निकाला गया। मुजफ्फर नगर में मुस्लिमों पर साजिश के तहत आतंक बरपाया गया कांग्रेस और कांग्रेस की केन्द्र सरकार मौज मस्ती में रही।
रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्ट भी दीमक के हवाले करदी। कांग्रेस की असलियत धीरे धीरे जाहिर होती गयी ओर कांग्रेस जगह जगह से बाहर की जाती रही। जीता जागता प्रमाण है दिल्ली विधान सभा के लिए कुछ ही महीनों के अन्तराल से हुए दोनों चुनावों में कांग्रेस की हालत। कांग्रेस की इस हालत को देखते हुए ये कहावतें साकार नजर आ रही है कि “धोबी का कुत्ता, घर का रहा ना घाट का।”, दूसरी कि “ना खुदा ही मिला ना विसाले सनम”, दरअसल कांग्रेस हमेशा से ही आरएसएस के एजेण्ट के रूप में रही और आरएसएस के इशारे पर ही थिरकती रही। कांग्रेस के इस हाल को देखकर कम से कम इतना तो समझ आ ही गया कि “देर आयद दुरूस्त आयद” देरी से ही सही पर कम से कम देश के मुस्लिमों की आंखे खुली तो, शुक्र है कि मुसलमानों ने कांग्रेस के असल रूप को पहचाना तो।
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परिचय -:
इमरान नियाजी
वरिष्ठ पत्रकार
लेखक-इमरान नियाजी वरिष्ठ पत्रकार एंव “अन्याय विवेचक” के सम्पादक हैं
संपर्क -: anyayvivechak@gmail.com
*लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं और आई.एन.वी.सी का इससे सहमत होना आवश्यक नहीं।