Tag: लेखिका निर्मल रानी
नफरत की खाई पाटने में कानून कितना सक्षम ?
- निर्मल रानी - दलित समुदाय को देश का बड़ा वोट बैंक मानकर की जाने वाली राजनीति का सिलसिला इन दिनों पूरे शबाब पर...
धर्मनिरपेक्षता,उदारवाद हमारा राष्ट्रीय स्वभाव
- निर्मल रानी -
आजकल यदि आप टेलीविज़न पर समाचार सुनने बैठें या समाचार पत्रों-पत्रिकाओं पर नज़र डालें तो एक बार तो ऐसा प्रतीत होगा...
चुनावः राजनीति में स्वच्छता अभियान चलाने का शुभ अवसर
- निर्मल रानी -भारतीय गणतंत्र के कई प्रमुख राज्य अगले कुछ दिनों में विधानसभा के आम चुनावों से रूबरू होने जा रहे हैं। इन...
चुनाव भीड़ प्रबंधन – राज करने की एक कला ?
- निर्मल रानी -हमारा देश अपनी लोकतंात्रिक व्यवस्थाओं के प्रति कितना जागरूक है इसका अंदाज़ा केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि...
आज की मुस्लिम महिलाएं और क़ाज़ी जी मजहबी ” बाज़ी “
- निर्मल रानी -
अपनी चिंता छोड़ पड़ोसी के विषय में ‘सामान्य ज्ञान’ हासिल करना, दूसरों के चरित्र या उसके कार्यकलापों की जानकारी रखना अथवा...
जन के मन की वह जाने और उनके मन की राम जाने
- निर्मल रानी -प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जबसे सत्तासीन हुए हैं तबसे उन्होंने जनता को संबोधित करने के लिए एक नई परिपाटी शुरु की है।...
संकट में अन्नदाता किसान
- निर्मल रानी -
हमारे देश का अन्नदाता यानी भारतीय किसान वैसे तो लगभग प्रत्येक वर्ष देश के किसी न किसी हिस्से में आने वाली...
लोकतंत्र को कलंकित करता भीड़तंत्र
- निर्मल रानी -
पिछले दिनों नागालैंड के दीमापुर में घटित हुई लोमहर्षक घटना ने पूरे देश के न्यायप्रिय तथा भारतीय संविधान व लोकतंत्र पर...
राष्ट्रीय एकता की संदेशवाहक : पूर्वोत्तर की लोक कला
- निर्मल रानी -
साहित्य,गीत-संगीत,कला तथा लोककला आदि ऐसे माध्यम हैं जिनके द्वारा क्षेत्रीय आधार पर देश में एकता व मज़बूती सुनिश्चित की जा सकती...
आत्महत्या करते किसान आत्ममुग्ध होते नेता
- निर्मल रानी -
कहने को तो हमारा देश कृषि प्रधान देश कहा जाता है। इस लिहाज़ से कम से कम देश के किसानों को...