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आयुष झा आस्तीक की पांच कविताएँ
पांच कविताएँ1. ओ पश्मीना!ऊन की लच्छी था रिश्ता
कुछ हिस्से के स्वेटर बुने तुमने
और मुक्त हुई मुझे "बुनकर" बना कर।
लिखना पूस की ठंडी रात है...
कवि आयुष झा आस्तीक की प्रेम कविताएं
प्रेम कविताएं (1) कविता और तुम
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वह एक कविता
जो धूप पर लिखी थी मैंने,
पसीने में गल गयी...
झरने पर
लिखी गयी कविता की एड़ी
पहाड़ से फिसल गयी...
पहाड़ वाली...
कवि आयुष झा आस्तीक की दस कविताएँ
दस कविताएँ (1) इन दिनों
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सुईया-धागा प्रतियोगिता में
अव्वल आती रही
किसी लड़की के स्वप्न में
बहत्तर छेद है।
चलनी में पइन भरती आ रही
कुछ महिलायें
पारंगत हो चुकी है
जलोढ़ मिट्टी...