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आयुष झा आस्तीक की पांच कविताएँ

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पांच कविताएँ1.  ओ पश्मीना!ऊन की लच्छी था रिश्ता कुछ हिस्से के स्वेटर बुने तुमने और मुक्त हुई मुझे "बुनकर" बना कर। लिखना पूस की ठंडी रात है...

कवि आयुष झा आस्तीक की प्रेम कविताएं

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 प्रेम कविताएं  (1)  कविता और तुम ________ वह एक कविता जो धूप पर लिखी थी मैंने, पसीने में गल गयी... झरने पर लिखी गयी कविता की एड़ी पहाड़ से फिसल गयी... पहाड़ वाली...

कवि आयुष झा आस्तीक की दस कविताएँ

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दस  कविताएँ (1)  इन दिनों ______ सुईया-धागा प्रतियोगिता में अव्वल आती रही किसी लड़की के स्वप्न में बहत्तर छेद है। चलनी में पइन भरती आ रही कुछ महिलायें पारंगत हो चुकी है जलोढ़ मिट्टी...

आयुष झा आस्तीक की चिन्ता और चिन्तन व् अन्य चार कविताएँ

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 कविताएँ1. बिलाने लगा है नींद का लोटा रात के कुंआ से बिलाने लगा है नींद का लोटा... जबसे यक़ीन की गाछि से खसा है हमारे प्रेम का खोता... चिरई! अरी...

आयुष झा आस्तीक की पाँच कविताएँ

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आयुष झा आस्तीक की पाँच कविताएँ(1) शिकारी और शिकार ________________पश्चिमी तट आशंका से पूर्वी तट संभावना तक बहने वाली नदी में परिस्थितीयों के असंख्य मगरमच्छ । संभावना यह है कि नदी के...

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