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वीना श्रीवास्तव की कविता -बचपन
कचरे के ढेर पर बचपन तलाशते हुएबचपन को देखा हैकभी पॉलीथीन के आइने मेंउन्नींदें चेहरे में जगती उम्मीदेंया/मैले-कुचैले कागज़ों में लिखीअपनी जिंदगी की इबारतक्या...
वीना श्रीवास्तव की कविता – यामिनी
भोर जागने को है,पर उससे पहले जाग जाती है यामिनी
टूटे सपनों को बुहारती,आँगन द्वार पूरती चौक हल्दी आटे से
भीगी धोती में लिपटी,लटों से झरती...