Tag: लेखिका शालिनी तिवारी
ओछी आधुनिकता मानवीय मूल्यों की विध्वंसक है
- शालिनी तिवारी -
आधुनिकता का अतीत:
'अधुना' यानी यूँ कहें कि इस समय जो कुछ है, वह आधुनिक है. कुछ विचारकों की माने तो आधुनिक...
किंनर उपेक्षा नही, सम्मान के पात्र है
- शालिनी तिवारी -किं + नर, यानी जिनकी योनि और आकृति पूर्णतः मनुष्य की न मानी जाती हो. इनकी उत्पत्ति के सम्बंध में भिन्न...
रक्षा बंधन पर विशेष – शालिनी तिवारी की कविता
सलामती की दुआ मै करती रहूँगीतुम्हारी कलाइयों में रक्षा की राखी,
बरस दर बरस मैं बाँधती रहूँगी,दिल में उमंगे और चेहरे पर खुँशियाँ,
हर एक पल...
सावधान ! शायद आप सेल्फिशनेस की चपेट में हैं ?
- शालिनी तिवारी - स्व-जागृति :
बीती सदियों में जब इंसान सार्थक ज्ञान के सन्निकट पहुँच जाता था तो वह संसारिक झंझावातों से दूर हटकर स्वयं...