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रीता विजय की कविता ”निस्तेज और बेजान”
ज़ब आप सामने होते हैंदबी हुई सिसकिओं की तरहनिगाहें आप पर उठ जाती हैंदिलों को छू लेती हैंआपकी तहज़ीब और आपके अदबसर्द रातों की...
”वक़्त से बातेँ” रीता विजय की कविता
''वक्त से बातें''चेतना थीनिराशा थीविस्मय भी थाकोलाहल से दूरपरिक्रमा करती दृष्टिक्या खोज़ रही थी मै ?वो उल्लास या फिरआपकी उपस्थिति का अभावया फिर आपकेस्नेह...