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कविताएँ : कवि मणि मोहन
कविताएँ माथे से बहता हुआ पसीना
कभी - कभी
होंठों तक आ जाता है
कभी - कभी
गालों तक लुढ़कते हुए आँसू भी
आ जाते हैं होंठों तक
कभी -...
गीत – लेखक मणि मोहन
गीतसुबह
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आज फिर खुली रह गई
नींद की खिड़की
आज फिर घुस गया
बेशुमार अँधेरा भीतर तक
आज फिर ज़ेहन में
तैरते रहे
शब्द और सपने
अन्धकार की सतह पर
आज फिर
सुबह हुई
इस...
डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी की कविताएँ
कविताएँ1. जलता हिन्दुस्तान
योगी नहीं
सन्त नहीं
लिप्साओं का
अन्त नहीं
चहुंओर मौत का ताण्डव,
दुर्योधन का वध कैसे
कोई नहीं है जब पाण्डव।
मौत के सन्नाटे में
कैसी आस
परिवर्तित हुआ जीवन परिदृश्य
वाह-...
डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी की कविताएँ
कविताएँ........ द्रोणाचार्य
तुम्हीं ने-
‘अर्जुन’ को सर्वश्रेष्ठ ‘धनुर्धर’
की संज्ञा दी थी
और
‘एकलब्य’ का अंगूठा मांगकर
अपनी जीत
सुनिश्चित किया था।
तुम-
आज के परिवेश में भी
ठीक उसी तरह हो
जैसे-
द्वापर में ‘महाभारत’...
मणि मोहन की कविताएँ
कविताएँ1- घास बेचती औरत
रात के आठ बज चुके हैं
घास बेच रही है एक औरत
गाँधी चौक में
एक छोटा बच्चा
बैठा हुआ है उसकी गोद में
बछ्ड़े की...