Home Tags कविता संसार

Tag: कविता संसार

अनूदित जर्मन कहानी ” दंपति ” : लेखक : फ़्रैंज़ काफ़्का

0
           ' दंपति '                                   ...

सुशांत सुप्रिय की कविताएँ

0
कविताएँ 1. विडम्बना कितनी रोशनी है फिर भी कितना अँधेरा है कितनी नदियाँ हैं फिर भी कितनी प्यास है कितनी अदालतें हैं फिर भी कितना अन्याय है कितने ईश्वर हैं फिर भी कितना...

साहिल जे सिंह की चार ग़ज़ले

0
 ग़ज़ल 1- रोज़ चाहत में रुसवा सरे आम हो रहे हैं रंज सब इस जहाँ के मेरे नाम हो रहे हैं क्या कहूँ यार तौबा नज़र मुंतज़िर के...

दामिनी यादव की रचनाएँ

1
 रचनाएँ१- आज मेरी माहवारी का दूसरा दिन है। पैरों में चलने की ताक़त नहीं है, जांघों में जैसे पत्थर की सिल भरी है। पेट की अंतड़ियां दर्द से खिंची हुई...

आयुष झा आस्तीक की चिन्ता और चिन्तन व् अन्य चार कविताएँ

0
 कविताएँ1. बिलाने लगा है नींद का लोटा रात के कुंआ से बिलाने लगा है नींद का लोटा... जबसे यक़ीन की गाछि से खसा है हमारे प्रेम का खोता... चिरई! अरी...

सुशांत सुप्रिय की हे राम और अन्य चार कविताएँ

0
 कविताएँ 1. हे राम ! उनके चेहरों पर लिखी थी ' भूख ' उनकी आँखों में लिखे थे ' आँसू ' उनके मन में लिखा था ' अभाव ' उनकी काया पर...

प्रतिभा कटियार की कविताएँ

1
कविताएँ1. राष्ट्रगौरव जगह जगह से आते लोग, म्रगतृष्णा के बीज बो जाते। कहीं पनपता अंधविश्वास, तो कहीं उन्मुक्त रूप से होता हास-परिहास। शिष्टाचार सदा झलकता, एैसे भी हैं कई जिले प्रान्त...
जयश्री राय , लेखिका कहानी खंडित आस्था

जयश्री रॉय की कहानी : खंडित आस्था

0
खंडित आस्था - जयश्री रॉय  -मधु ने उसके सामने गर्म कांजी की थाली रखी थी, “मुंह में कुछ दे रूपा, उस नन्ही  सी जान के...

श्यामल सुमन की गज़लें

0
1. आखिरी में सुमन तुझको रोना ही है तेरी पलकों के नीचे ही घर हो मेरा घूमना तेरे दिल में नगर हो मेरा बन लटें खेलना तेरे...

जयश्री रॉय की कहानी : प्रायश्चित

0
 - प्रायश्चित -   जंगल में जगह-जगह लगी भट्टियों में बनती शराब की गंध से ग्रीष्म ऋतु की संध्या मदिर हो उठी है। वर्ष के...

Latest News

Must Read