Tag: कविता लेखन
कमल जीत चौधरी की कविताएँ
कमल जीत चौधरी की कविताएँलोकतंत्र
नीचे
चार बेतलवा
पंजीरी खाते लोकतंत्र के जूतों में हैं
छालों सने समाजवाद के पाँव
...
जूतों तले एक जैसे लोग
बनते भोग -
ऊपर
भोगी इन्द्रि एक
रूप...
राजकुमार धर द्विवेदी के मुक्तक
राजकुमार धर द्विवेदी के मुक्तकबातें करता गांव-गली की, अमराई , खलिहान की,
गेहूं, सरसों, चना, मटर की, अरहर, कुटकी, धान की।
नेताओं के कपट, छलावे, लिखता दर्द...
वीणा पाण्डेय की पाँच कविताएँ
वीणा पाण्डेय की पाँच कविताएँ 1.वसुंधरा
सच है
एक सर्वविदित सच
कि आसमां झुकता है
वसुंधरा की आेर।जानता है कि
सामर्थवान नहीं वह
जो धार सके धरती की तरह
अपने पर सबकुछ
अनवरत...
पंकज त्रिवेदी की चार कविताएँ
पंकज त्रिवेदी की चार कविताएँ(1)
साँस से शब्द सूर हो सोऽहं ओहम
ब्रह्मनाद के स्वर में भीगता सावनझमझम बरसात फुहार मन चंचल
नभ गरजत कड़डड बिजली सोहतघोर...
कच्ची उम्र के कच्चे रिश्ते
- राजस्थान के बढ़ रहा कच्ची उम्र में शारीरिक संबंध बनाने का चलन, छह जिलों में हालात सबसे भयानक, गांवों में तेजी से पैर...
अमित बैजनाथ गर्ग की कविताएँ
अमित बैजनाथ गर्ग की कविताएँ जिंदगी मेरी वैसे काम आए
जैसे एक 'औरत' की आती है
और मिटे तो हीना की मानिंद
जो पिसकर भी निखर जाती है...
- अमित...
राजकुमार धर द्विवेदी के ताटंक छंद
राजकुमार धर द्विवेदी के ताटंक छंदस्नेहलता बोस की टिप्पणी : ताटंक छंद पर दो शब्द
कविता में छंदों का बड़ा ही महत्त्व है। नई कवित्ता, अकविता...
प्रोमिला क़ाज़ी की पांच कविताएँ
प्रोमिला क़ाज़ी की पांच कविताएँ शिव कुमार झा टिल्लू की टिप्पणी : प्रोमिला क़ाज़ी हिन्दी साहित्य जगत की रास चर्चित कवयित्री हैं. इनके काव्य विग्रह और...
कमल जीत चौधरी की पांच कविताएँ
कमल जीत चौधरी की पांच कविताएँ 1.वे लोग
वे लोग
घर में तैरती
मछलियाँ दिखाकर
डल झील सत्यापित करवाना चाहते हैं -
बर्फ को डिब्बों में बंद करके
वे आग लगाना...
रवि भूषण पाठक की तीन कविताएँ
रवि भूषण पाठक की तीन कविताएँ शिव कुमार झा टिल्लू की टिप्पणी : रवि जी की कवितायें यथार्थ का उद्बोधन करती हैं , यह जीवन के...