– राजस्थान के बढ़ रहा कच्ची उम्र में शारीरिक संबंध बनाने का चलन, छह जिलों में हालात सबसे भयानक, गांवों में तेजी से पैर पसार रही शहरी संस्कृति –
– अमित बैजनाथ गर्ग –
राजस्थान के छह जिलों जयपुर, अजमेर, जोधपुर, उदयपुर, अलवर और बाड़मेर के करीब 70 प्रतिशत नाबालिग लड़के-लड़की 18 साल का होने से पहले एक या उससे अधिक बार शारीरिक संबंध बना चुके हैं, वह भी असुरक्षित। चौंकिए मत, इन जिलों के 480 गांवों में किए गए एक सर्वे में ये तथ्य सामने आए हैं। 13 से 19 वर्ष की उम्र के कुल 933 बच्चों (463 लड़कियां और 450 लड़के) पर किए गए इस सर्वे में 32 फीसदी ने माना है कि उन्होंने कच्ची उम्र में शारीरिक संबंध बनाए हैं। 56 फीसदी ने मना किया और 12 फीसदी ने सवाल को कोई उत्तर नहीं दिया। संबंध बनाने वालों में 64 फीसदी ने पड़ोसी, रिश्तेदार अथवा दोस्त के साथ संबंध बनाना स्वीकारा। 45 फीसदी ने एक से अधिक लोगों के साथ संबंधों की हामी भरी। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम, अंतरराष्ट्रीय संगठन ऐटी एट एक्शन, नेशनल एड्स कंट्रोल सोसाइटी और राजस्थान स्टेट कंट्रोल सोसाइटी की ओर से कराया गया यह सर्वे प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की उन भयावह परिस्थितियों की पोल खोलता है, जहां नाबालिगों के कदम बहकने के लिए हर पल आतुर हो रहे हैं।
इस सर्वे ने राज्य सरकार के उस दावे की भी पोल खोल दी है, जिसमें सरकार ने कहा था कि प्रदेश में अब बाल विवाह होते ही नहीं। सर्वे के 933 बच्चों में से सौ से अधिक विवाहित हैं। इनमें से 36 फीसदी ने माना है कि उन्होंने अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाए हैं। अब जहां तक सुरक्षित संबंधों की बात है तो जयपुर और अलवर के नाबालिगों को अपेक्षाकृत सुरक्षित माना गया है, वहीं उदयपुर, जोधपुर और बाड़मेर के नाबालिग सबसे असुरक्षित संबंध बनाने वाले माने गए हैं।
सर्वे में दो बड़े सवाल उभरकर सामने आए हैं। पहला, नाबालिगों के कदम बहकने और एक से अधिक लोगों के साथ संबंध बनाने की प्रवृत्ति के चलते एचआईवी संक्रमण का खतरा तेजी से फैल रहा है। हाल ही में प्रदेश के गुजरात में रहले वाले एक नाबालिग के एचआईवी पॉजिटिव होने के बारे में पता चला। पूछने पर उसने बताया कि उसके गांव की एक ऐसी लड़की के साथ संबंध थे, जिससे उसके 11 दोस्त भी संबंध बना चुके हैं। दूसरा सवाल, गांवों की विवाहित महिलाओं के गांव के नाबालिग लड़कों के साथ संबंध बनाने के चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं। इनके पति महीनों घर से बाहर रहते हैं।
इस बारे में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. लाडकुमारी जैन का कहना है कि उम्र के साथ बच्चों से माता-पिता व परिवारजनों का संवाद कम होता जा रहा है। इसे हर हाल में बढ़ाना होगा। एजुकेशन, अटेंशन और मोटिवेशन से ही इस समस्या पर अंकुश लगाया जा सकता है। वहीं वरिष्ठ समाजशास्त्री डॉ. मोना शर्मा कहती हैं कि युवाओं पर टीवी और उपभोक्तावादी संस्कृति हावी है। मनोरंजन के नाम पर भी अधिकतर दिशाहीन कार्यक्रमों की भीड़ है। इनसे बचने के लिए हमें युवाओं के मोटिवेशन की ओर ध्यान देना होगा।
– हाल ही में हुए एक सर्वे में सामने आया है कि कुल सेक्स करने वालों में से 70 फीसदी ऐसे हैं, जिन्होंने इस दौरान सुरक्षा के कोई उपाय नहीं अपनाए।
– गांवों के नाबालिग लड़कों के संबंध ऐसे विवाहित महिलाओं के साथ बन रहे हैं, जिनके पति नौकरीपेशा-कामकाजी हैं और जो महीनों बाहर रहते हैं।
– असुरक्षित सेक्स के चलते इन नाबालिगों में बढ़ रहा है एचआईवी संक्रमण का खतरा। कई युवाओं के एचआईवी संक्रमित होने के मामले आए हैं सामने।
केस-1
प्रदेश के एक आवासीय विद्यालय में 11वीं कक्षा की एक छात्रा ने बच्चे को जन्म दिया। विद्यालय प्रबंधन ने मामला दबाने की कोशिश की। बाद में छात्रा ने बताया कि गर्मी की छुट्टियों में ननिहाल में उसके कदम बहक गए।
केस-2
स्कूल की 10वीं कक्षा की एक छात्रा से स्कूल प्रशासन ने लगातार आठ स्मार्ट फोन जब्त किए। इसी छात्रा को ग्रामीणों ने एक दिन गांव में लगे एटीएम के सुरक्षाकर्मी के साथ केबिन में आपत्तिजनक अवस्था में देख लिया।
रिचय -:
अमित बैजनाथ गर्ग
कवि. लेखक. गीतकार. पत्रकार. प्रेस सलाहकार
कुछ मेरे बारे में : पेशे से कवि, लेखक, गीतकार, पत्रकार और प्रेस सलाहकार. अलवर कॉलेज से ग्रेजुएशन, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि., भोपाल से पत्रकारिता एवं जनसंचार में ग्रेजुएशन, राजस्थान विवि. से पत्रकारिता एवं जनसंचार तथा हिंदी साहित्य में पोस्ट ग्रेजुएशन. राजस्थान पत्रिका, जयपुर से कॅरियर का आगाज. फिर बेंगलूरु, कर्नाटक में दो साल तक पत्रकारिता-लेखन. सुनहरा राजस्थान, डेकोर इंडिया, दैनिक लोकदशा, राजस्थान डायरी व खुशखबर पोस्ट के जरिए एडिटिंग और फीचर एडिटर तक का सफर. एक पुस्तक काव्य संग्रह ‘खामोश सहर’ प्रकाशित. पीआर कैंपेन और प्रेस एडवाइजिंग के साथ बतौर फ्रीलांसर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, शख्सियतों, राजनीतिज्ञों, समूह-संस्थाओं के लिए स्पीच, आर्टिकल, क्रिएटिव एड और स्लोगंस लिखने तथा अनुवाद करने का काम जारी
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