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डॉ राजीव राज की कविताएँ

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  कविताएँ1 सब जले आचार जले सुविचार जले। मानवी लोक व्यवहार जले। हर चौखट पर लपटंे लिपटीं, अवतारों के दरबार जले। परिवर्तन की तोड़ खुमारी जाग बाबरे जाग। आग लगी है...

डॉ राजीव राज के मुक्तक

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डा0 राजीव राज के मुक्तक- मुक्तक  -हैं सियासी गिद्ध नभ में नोंचने को बोटियाँ। बिछ गयीं देखो बिसातें चल रहे हैं गोटियाँ। जल रहा है अन्नदाता...

कमल जीत चौधरी की कविताएँ

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 कमल जीत चौधरी की कविताएँलोकतंत्र नीचे चार बेतलवा पंजीरी खाते लोकतंत्र के जूतों में हैं छालों सने समाजवाद के पाँव ... जूतों तले एक जैसे लोग बनते भोग - ऊपर भोगी इन्द्रि एक रूप...

जयश्री राय की लघु कथा चाँद समंदर और हवा

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जयश्री रॉय की लघु कथा  चाँद समंदर और हवा -  चाँद समंदर और हवा - मेरी ने फिर बाहर जाकर देखा – सूरज डूब चुका है।...

राजकुमार धर द्विवेदी के मुक्तक

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राजकुमार धर द्विवेदी के मुक्तकबातें करता गांव-गली की, अमराई , खलिहान की, गेहूं, सरसों, चना, मटर की, अरहर, कुटकी, धान की। नेताओं के कपट, छलावे, लिखता दर्द...

आभा द्धिवेदी की पांच कविताएँ

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आभा द्धिवेदी की पांच कविताएँ 1) 'तुम' तुम सुपात्र नहीं हो नायक भी नहीं हो मेरी कहानी के किसी भी रचना में पर तुम हो तुम ना जाने क्यूँ हो तुम्हारा...

प्रियंका की पांच कविताएँ

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प्रियंका की पांच कविताएँ1. *खामोशियाँ* चलो आज फिर मैं जला दूँ एक दिया और तुम गुज़र जाना वैसे ही लापरवाही से बड़ा खामोश सा है वो मोड़ जहाँ से...

अजेय “कामता-शिवा” शुक्ला की कविता : ठुल्ला

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अजेय "कामता-शिवा" शुक्ला की कविता : ठुल्ला ठुल्ला तुमने आते ही ये क्यों पूछा ? मैं इतना आवारा कैसे हुआ ? तुमने देखी हैं भीड़ से भरी वो...

शिव कुमार झा टिल्लू की कलम से गद्य लघु नाटिका : दृष्टिकोण

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शिव कुमार झा टिल्लू की कलम से गद्य लघु नाटिका : दृष्टिकोण* विशेष रूप से आगामी अंतराष्ट्रीय महिला दिवस ( 8 मार्च )पर जमशेदपुर की...

दर्श वीर संधू की कविताएँ

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 दर्श वीर संधू की कविताएँ1 . कितनेखामोश होंगे लफ्ज़, जो ढल पाए सन्नाटे ...... वरना सुरों तक को उठानी पड़ती है उधारी, इनसे महज़ नब्ज़ तक पहुँचने को...... औ कंठ क्या हैं, बेवजह बहती कल कल का बेआवाज़ रुदन एक...

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