– निर्मल रानी –
भारतवर्ष में हिंदू धर्म से जुड़ा सबसे बड़ा त्यौहार दीपावली जिसे सुख,शांति व समृद्धि के त्यौहार के रूप में केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के हिंदू समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है, संपन्न हुआ। प्रत्येेक वर्ष की भांति इस वर्ष भी दीपावली अपने पीछे जहां तरह-तरह की खुशियां,मिठास,आस्था व सद्भाव के अनेक निशान छोड़ गई वहीं इस बार फिर दीपावली प्रदूषण,मिलावटखोरी तथा व्यवसायिकता का शिकार होने से स्वयं को नहीं बचा सकी। दिल्ली से लेकर हरियाणा व पंजाब तक इस बार सिख समुदाय के लोगों द्वारा पंजाब में गुरु ग्रंथ साहब के साथ चंद शरारती तत्वों द्वारा की गई बेअदबी के कारण हालांकि समूचे सिख समुदाय द्वारा रोष स्वरूप दिवाली का त्यौहार पूरे जोश व उत्साह के साथ नहीं मनाया गया। क्योंकि कुछ सिख संगठनों ने अपनी नाराज़गी के चलते इस बार ‘काली दीवाली’ मनाए जाने की घोषणाा की थी। निश्चित रूप से उनकी इस नाराज़गी का प्रभाव बाज़ार से लेकर वातावरण तक में देखने को मिला। तुलनात्मक रूप से आसमान में कम आतिशबाजि़यां छोड़ी गईं। इसके बावजूद वायुमंडल पटाखों की दुर्गंध तथा ध्वनि व धुंए के भारी प्रदूषण से पटा रहा। हालांकि सरकार व अनेक जागरूक संगठनों द्वारा तथा देश के तमाम बुद्धिजीवियों द्वारा प्रत्येक वर्ष देशवासियों से यह अपील की जाती है कि वे दीवाली के अवसर पर आतिशबाजि़यां छोडक़र वायुमंडल को प्रदूषित न करें। चीन से आयातित पटाखों पर प्रतिबंध लगे होने के बावजूद यह अपील की जाती है कि चीन के पटाख़ों का इस्तेमाल न करें। यहां तक कि यह भी समझाने की कोशिश की जाती है कि आतिशबाज़ी छोडक़र दीवाली मनाए जाने के परिणामस्वरूप प्रत्येक दीपावली के दौरान हज़ारों पक्षी अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। परंतु ऐसा लगता है कि उत्साही लोगों द्वारा ऐसी अपील पर अमल करना तो दूर संभवत: यह लोग इस प्रकार की किसी अपील को देखना,पढऩा या इस विषय पर कुछ सोचना ही नहीं चाहते। ऐसी अपील को और मार्मिक बनाने हेतु यह भी कहा जाता है कि यदि पैसों में सीधेतौर पर आग लगाने जैसे आतिशबाज़ी सरीखे प्रदर्शन करने के बजाए किसी गरीब को रोटी या कपड़ा मुहैया करा दिया जाए तो इससे ज़्यादा पुण्य होगा। परंतु ऐसी अपील पर भी अधिकांश लोग ध्यान नहीं देते।
ज़ाहिर है देश का व्यवसायी वर्ग जनता की इस अति अत्साही भावना का पूरा लाभ उठाता है। आतिशबाजि़यों की कीमतें आए दिन बढ़ती जा रही हैं। बेतहाशा बिकने वाली मिठाईयां स्वयं को मिलावटखोरी से बचा नहीं पातीं। ग्राहक को अपने पैसों के बदले में पूरा माल नहीं मिलता। मिठाईयों,बिस्कुट तथा नमकीन आदि के गिफ्ट पैक पूरी तरह से खोखले परंतु चमकीले व आकर्षक बनाए जाते हैं। और आजकल तो बाज़ार में ऐसा चलन चल गया है कि किसी भी गिफ्ट पैक को आप पहले पैसे देकर उसे खरीद लें उसके पश्चात ही आप उसे खोलकर देख सकते हैं कि उसमें क्या, कितना और कैसा है। यानी आपके द्वारा खरीदी जाने वाली सामग्री के दर्शन भी आप बिना पैकिंग फाड़े नहीं कर सकते। बड़े-बड़े डिब्बों में थोड़ा सा सामान रखा जाता है और शेष बची आधी से अधिक जगह को गत्ते के खा़ली डिब्बों से भरकर उसे पैक कर दिया जाता है। मीडिया द्वारा जनता को दीवाली के समय मिठाईयों में बड़े पैमाने पर होने वाली मिलावटखोरी को लेकर सचेत किया जाता रहा है। यह भी बताया जाता रहा है कि किस प्रकार दीपावली से तीन-चार महीने पहले से ही मिष्ठान निर्माता दीपावली की मिठाईयां तैयार कराकर कोल्ड स्टोरेज में रखवा दिया करते हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि काफी बड़ी संख्या में जागरूक ग्राहकों ने मिठाईयां खरीदनी बंद कर दीं और वे बिस्कुट व नमकीन अथवा ड्राई फ्रूट जैसे दूसरी गिफ्ट सामग्रियां खरीदने लगे। परंतु उधर भी खोखली परंंतु आकर्षक पैकिंग ने दीपावली के ग्राहकों को अपना निशाना बनाने से नहीं बख्शा।
बहरहाल भारतवर्ष की गिनती चूंकि दुनिया के सबसे बड़े बाज़ारों में की जाती है इसलिए यहां दीपावली जैसे त्यौहार को निश्चित रूप से व्यवसायी वर्ग एक बड़े अवसर के रूप में देखता है। ऐसे में जागरूकता संबंधी तमाम पाठ पढ़ाए जाने के बावजूद भारतवासी मिलाावखोरी, कम नापतौल,मंहगाई आदि विडंबनाओं का शिकार होने से स्वयं को बचा नहीं पाते। इन सब बातों के बावजूद हमारा देश प्रत्येक वर्ष दीपावली के अवसर पर परस्पर प्रेम,सद्भाव तथा भाईचारे का संदेश भी देता आ रहा है। इस वर्ष भी पूरे देश में हिंदू-मुस्लिम,सिख-ईसाई के भाईचारे की अनेक मिसालें दीपावली के अवसर पर देखने को मिलीं। देश के अनेक इलाकों से ऐसी खबरें आईं कि मुस्लिम लोगों ने कहीं मदरसों में दीए जलाकर दीपावली मनाई तो कहीं मुस्लिम भाईयों व बहनों ने रंगोली सजाकर व दीप जलाकर दीपावली की खुशियां अपने हिंदू भाई-बहनों के साथ सांझा की। राजनैतिक दृष्टिकोण से भी इस वर्ष की दीपावली बिहार राज्य के लोगों के लिए कुछ खास ही रही। पिछले दिनों बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में जहां भारतीय जनता पार्टी व उनके सहयोगियों के लिए यह दीवाली उतनी अधिक उत्साहपूर्ण नहीं रही वहीं राज्य की चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाले महागठबंधन के नेताओं व कार्यकर्ताओं के लिए इस वर्ष की दीवाली ने उनके जोश व उत्साह को दोगुना कर दिया।
इस वर्ष की दीपावली केवल राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण से भी खासतौर पर पड़ोसी देश पाकिस्तान के परिपेक्ष्य में एक अहम संदेश दे गई। पाकिस्तान में ऐसा पहली बार हुआ कि वहां के किसी प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान में हिंदुओं के किसी त्यौहार में शिरकत की हो। कराची में दीपावली के दिन हिंदू समुदाय द्वारा आयोजित एक रंगारंग कार्यक्रम में पाक प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने पूरे उत्साह के साथ शिरकत की। इस कार्यक्रम में उन्होंने जो भाषण दिया वह भी पाकिस्तान के हिंदू समाज के लिए काफी तसल्ली व दिलासा देने वाला था। गौरतलब है कि पाकिस्तान का अल्पसंख्यक समुदाय खासतौर पर वहां के हिंदू-सिख,शिया व अहमदिया समुदाय के लोग कट्टरपंथियों व आतंकवादियों के ज़ुल्मो-सितम का शिकार होते रहते हैं। उन्हीं घटनाओं को मद्देनज़र रखते हुए पाक प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने कहा कि-‘पाकिस्तान में यदि हिंदुओं के विरुद्ध अत्याचार होता है और अत्याचारी मुसलमान है तो मैं मुसलमान के विरुद्ध एक्शन लूंगा- जो भी ज़ुल्म करता है मैं उसके िखलाफ आपके(हिंदुओं )के साथ मिलकर खड़ा रहंूगा’। शरीफ ने कहा कि मेरा मज़हब मुझे यही सिखाता है और सिर्फ इस्लाम ही नहीं बल्कि हर मज़हब यही सिखाता है कि ज़ालिम का नहीं बल्कि मज़लूम का साथ दो। सांप्रदायिक एकता से परिपूर्ण अपने भाषण में नवाज़ शरीफ ने कहा कि-‘हम एक कौम और एक मुल्क हैं। जितना हो सके हम आपस में एकता पैदा करें, एक-दूसरे की मदद करें, मुसलमान हिंदुओं से खुशियां बांटे और हिंदू मुसलमानों और सिखों से। रब भी इसी में राज़ी है, रब इसमें राज़ी नहीं कि हम एक-दूसरे में फर्क करें’। उन्होंने अपने भाषण के अंत में यह इच्छा भी जताई कि उन्हें भविष्य में हिंदू समुदाय द्वारा रंगों के त्यौहार होली में भी शिरकत करने हेतु आमंत्रित किया जाए। शरीफ ने इस कार्यक्रम में उपस्थित अपने हिंदू मित्रों से कहा कि वे उन्हें प्रत्येक उन स्थानों पर आमंत्रित किया करें जहां वास्तव में उनके त्यौहार मनाए जाते हैं। शरीफ ने यह भी कहा कि यदि होली के अवसर पर हिंदू भाई उनपर रंग फेंकेगे तो उन्हें और खुशी होगी।
पाक प्रधानमंत्री ने दीपावली का जश्र मनाए जाने के साथ-साथ भगत कंवर राम मेडिकल कांपलेक्स तथा बाबा गुरु नानक गुरुद्वारा बनाए जाने की न केवल घोषणा की बल्कि यह भी कहा कि इन परियोजनाओं का वे स्वयं शिलान्यास भी करेंगे। पाकिस्तान में प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के अतिरिक्त पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो तथा तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान द्वारा भी देश के अलग-अलग भागों में हिंदू समुदाय के लेागों के साथ दीपावली का त्यौहार पूरे जोश व उत्साह के साथ मनाए जाने का समाचार है। समाचारों के अनुसार यह पहला अवसर है जबकि पाकिस्तान की विभिन्न प्रमुख राजनैतिक पार्टियों के सरबराह हिंदू समुदाय के लोगों के किसी धार्मिक त्यौहार में इतने उत्साह के साथ शरीक हुए हों। हालांकि हमारे देश में रहने वाले गैर हिंदू समाज द्वारा हिंदू समुदाय के लोगों के त्यौहारों में शिरकत करना व उन्हें पूरे उत्साह के साथ मनाना भी कोई नई बात नहीं है। परंतु इस प्रक्रिया में और अधिक तेज़ी लाए जाने की भी ज़रूरत है। जिस प्रकार मुस्लिम समाज के लोग होली,दीपावली,गणेश पूजा व दशहरा जैसे त्यौहारों में पूरे उत्साह के साथ शिरकत करते हैं उसी प्रकार अन्य सभी धर्मों के लोगों को भी एक-दूसरे धर्म के त्यौहारों में पूरी सद्भावना के साथ शिरकत करनी चाहिए। अनेकता में एकता की पहचान रखने वाले भारतवर्ष में समाजिक एकता व समररसता के लिए ही नहीं बल्कि इस विशाल राष्ट्र को एक सूत्र में बांधे रखने के लिए तथा इसे तरक्की की राह पर निरंतर आगे बढ़ते रहने के लिए भी यह कदम उठाना बेहद ज़रूरी है।
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निर्मल रानी
लेखिका व् सामाजिक चिन्तिका
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं !
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