लव बनाम जिहाद,सियासत की नई बुनियाद !

–  सज्जाद हैदर – 

 
देश की सियासत के लिए कुछ भी कहना असंभव है। इसका मुख्य कारण यह है कि सियासत का कोई भी पैरामीटर निर्धारित नहीं है। इसलिए सियासत का ऊँट कब किस करवट बैठ जाए कुछ भी नहीं कहा जा सकता। क्योंकि राजनीति प्रत्येक दिन नया से नया पैंतरा अपनाती है जिसमें देश की तमाम राजनीतिक पार्टियोँ का दो धड़ों में बँटना तय होता है। जिसमें एक खेमा पक्ष की भूमिका में होगा तो दूसरा खेमा विपक्ष की भूमिका में होगा। फिर रस्साकसी आरंभ होना भी तय है। जिसमें बात तो देश की जनता के सरोकार के नाम पर होगी लेकिन आश्चर्य की बात यह होगी कि धरातल पर उस शून्य स्तर पर खड़े पंक्ति के अंतिम व्यक्ति से कोई भी पूछने वाला नहीं है कि तंग गलियों में उसकी जरूरी एवं अति आवश्यक समस्याएं क्या हैं। जिसका अबतक उपचार नहीं हो सका। जिससे आम जनमानस पूरी तरह पीड़ित है। लेकिन राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने हिसाब से जिस मुद्दे को चाहती हैं उसे गढ़कर तैयार कर देती हैं। और फिर क्या देखते ही देखते जनता के सिर पर लाकर पटक देती हैं। फिर क्या सियासी गलियारों में तेजी के साथ मुद्दे को गर्म भी किया जाता है। और फिर उस मुद्दे रूपी पुतले में सियासी जान फूँकना आरंभ होना शुरू हो जाता है। जिसका जिन्न बोतल से बाहर निकलकर टीवी चैनलों के माध्यम से उछल-उछलकर और कूद-कूदकर सामने आने लगता है। जिससे कि पूरे देश में एक नया राजनीतिक माहौल गढ़ने का प्रयास बखूबी किया जाता है। फिर गढ़े हुए सियासी माहौल को राजनीति के ढ़ांचे में तराश कर बड़ी ही खूबसूरती के साथ जनता के सामने परोस दिया जाता है। उसके बाद सियासत दानो के द्वारा उसी गढ़े हुए ढ़ाँचे में खूब सियासी हवाएं दी जानी शुरु हो जाती हैं। और फिर देश की जनता दर्शक बनकर निहारती रहती है। देश के मंझे हुए खिलाड़ी राजनेता अपनी-अपनी सियासी रोटियों को लेकर बैठ जाते हैं और फिर सियासी रोटियों को गढे हुए मुद्दे की आग पर सेंकने का करतब दिखाना शुरू कर देते हैं।  

आज पूरे देश यही हो रहा है लव-जिहाद का मामला बडी तेजी के साथ तूल पकड़ रहा है। जिसमें कई राज्‍यों ने इसके खिलाफ सख्‍त कानून बनाने की तरफ अपने कदमों को भी बढ़ा दिया है तो कुछ इस राह पर आगे चल रहे हैं। हरियाणा, मध्‍य प्रदेश और उत्‍तर प्रदेश में इसको लेकर जबरदस्‍त पहल की गई है। कुछ ही दिन पहले हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने कहा था कि इस तरह के कानून का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। मध्य प्रदेश की सरकार ने नियम के ढ़ांचे की आकृति उकेरकर न्याय विभाग को भेज दिया तो उत्तर प्रदेश में भी बड़े पैमाने पर सियासी माहौल गर्म है। उत्तर में इसकी शुरुआत मुख्‍समंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने की जिन्होंने सख्‍त लहजे में संदेश देते हुए कहा कि बहन, बेटियों की इज्‍जत से खेलने वालों का अब अंत हो जाएगा। केवल शादी करने के लिए धर्म को बदलना किसी भी सूरत से स्‍वीकार नहीं किया जा सकता है। न ही इस तरह के कृत्‍यों को मान्‍यता दी जाएगी। हरियाणा एवं मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में बनाए जाने वाले इस प्रस्‍तावित कानून में 5 वर्ष तक की सजा का प्रावधान होने की खबरें आ रही हैं। हरियाणा उत्तर प्रदेश और मध्‍य प्रदेश की ही तरह दूसरे भाजपा शासित राज्‍यों में भी इस तरह की कवायद तेज होती दिखाई दे रही है। इसमें असम और कर्नाटक का नाम भी शामिल है। मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो वहां हुए विधानसभा उपचुनाव से एक दिन पहले ही इसका एलान किया था। इस कानून के तहत गैर जमानती धाराओं में कार्रवाई की जा सकेगी। इस कानून के तहत धर्म परिवर्तन करवाने वाले और जबरन शादी करवाने वाले आएंगे। इसके अलावा गलत जानकारी देकर, बहला-फुसलाकर और धोखे से शादी करने वाले भी इसकी जद में आएंगे। दोषी पाए जाने पर शादी को अमान्‍य करार दिया जाएगा। इस कानून की खास बात यह है कि कार्यवाही की दृष्टि से इस तरह के अपराध के पीडि़त व्‍यक्ति या उसके अभिभावक शिकायत दर्ज करवा सकेंगे। मामला दर्ज होने के बाद आरोपी की गिरफ्तारी संभव हो सकेगी। इस मामलों में आरोपी के सहयोगियों पर भी समान धाराओं में मुकदमा चलाया जा सकेगा।

विभिन्‍न राज्‍यों द्वारा इस ओर की जा रही कवायद पर कानूनी जानकार मानते हैं कि जब तक कोई कानून पूर्ण रूप से सामने नहीं आ जाता है तब तक उसके बारे में बात करना मुश्किल होगा। हालांकि राज्‍यों के एक्‍ट बनाने में वह इसके तहत फैमिली कोर्ट को लाते हैं या नहीं, या इस कोर्ट को कितने अधिकार देते हैं यह राज्‍यों पर ही निर्भर करेगा। जोकि राज्य सरकारों के अपने-अपने नियम के अनुसार निर्भर करेगा।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उपचुनाव में चुनावी जनसभाओं को संबोधित करते हुए लव जिहाद करने वालों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा था कि लव जिहाद करने वाले अगर नहीं सुधरे तो अब राम नाम सत्य की यात्रा पर निकलने वाले हैं। जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का जिक्र करते हुए कहा था कि शादी-व्याह के लिए धर्म परिवर्तन करना मान्य नहीं है। इसलिए सरकार भी निर्णय ले रही है कि हम लव जिहाद को शख्ती से रोकने का काम करेंगे। इसके लिए एक प्रभावी कानून बनाएंगे। मुख्यमंत्री ने आगे कहा हम लोग मिशन शक्ति को इसीलिए चला रहे हैं। इस मिशन शक्ति के माध्यम से ही हम बेटी और बहन को सुरक्षा की गारंटी देंगे। लेकिन उन सब के बावजूद अगर किसी ने दुस्साहस किया तो ऑपरेशन शक्ति अब तैयार है। ऑपरेशन शक्ति का उदेश्य है कि हम हर हाल में बहन-बेटियों की सुरक्षा और सम्मान की रक्षा करेंगे। इसी दृष्टि से ऑपरेशन शक्ति को आगे बढ़ाने के साथ अब हम चल रहे हैं। न्यायालय के आदेश का भी पालन होगा और बहन-बेटियों का भी सम्मान होगा।

लेकिन एक सवाल यह भी है कि देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कई बार कह कि शादी करने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 21 में मिले जीवन के अधिकार के तहत आता है इस अधिकार को कोई नहीं छीन सकता। न्यायालय के अनुसार अगर लड़की और लड़का संविधान के नियमानुसार अपनी उम्र पूरी कर ली है तो वह शादी कर सकते हैं उनकी शादी में जाति, धर्म, क्षेत्र और भाषा जैसी चीजें बाधा नहीं बनती हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत सीधे हाईकोर्ट और अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं। अगर नवदंपति को अपने परिजनों से जान-माल का खतरा है तो वह सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से सुरक्षा की मांग भी कर सकते हैं। किसी भी लड़के या लड़की को शादी करने के लिए किसी की इजाजत की जरूरत नहीं है शादी के लिए शर्त सिर्फ इतनी है कि लड़का या लड़की की दिमागी स्थिति ठीक होनी चाहिए ताकि वह शादी के लिए अपनी सहमति दे सकें। नियम के अनुसार शादी के लिए हिंदू मैरिज एक्ट, स्पेशल मैरिज एक्ट, इंडियन क्रिश्चियन मैरिज एक्ट और फॉरेन मैरिज एक्ट समेत कई एक्ट बनाए गए हैं इनके तहत शादी लड़की और लड़के की मर्जी से होती है इसके लिए किसी से इजाजत की जरूरत नहीं होती। सुप्रीम कोर्ट यहां तक कह चुका है कि अनुच्छेद 21 के तहत जीवन जीने के अधिकार में गरिमा के साथ जिंदगी जीना भी आता है इसके लिए व्यक्ति को अपनी मर्जी से जीवन साथी चुनने और शादी करने का अधिकार है।

लेकिन मौजूदा राजनीतिक समीकरणों के अनुसार भविष्य में सियासी ऊँट किस करवट बैठता है कुछ भी अभी से नहीं कहा जा सकता। क्योंकि जिस प्रकार से देश की सियासी हवा गर्म हो चली है उससे तो यह सत्य है कि हर गली और हर चौराहे पर चर्चों का बाजार गर्म होना तय है। एक बात तो तय है कि इस मुद्दे को जनसमर्थन मिलना भी तय है उसका कारण यह कि देश 99 प्रतिशत नागरिक यह नहीं चाहता कि उसकी संताने उसकी इच्छा के विपरीत जाकर विवाह करें परन्तु कहीं न कहीं माता-पिता अपनी संतानों के आगे विवश एवं असहाय हो जाते हैं और कानून एवं न्यायालय के दुहाई देकर शांत हो जाते हैं। लेकिन जब से इस प्रकार का कानून अपने मूल ढ़ांचे में आ जाएगा उससे माता-पिता की चिंता समाप्त होना स्वाभाविक है। क्योंकि आज हमारे समाज में प्रत्येक स्थानों पर बहुत बड़ा परिवर्तन देखने को मिल रहा है वह यह कि कालेज और स्कूल से लेकर नौकरी के क्षेत्रों तक जिस प्रकार से आज की जनरेशन अपने तर्कों के आधार पर अपने निजी जीवन का फैसला करती है उस पर निश्चित ही पूर्णविराम लगेगा। जिससे कि सामाज में एक बड़ा संदेश जाएगा। क्योंकि प्रत्येक नौजवानों के साथ उनके माता पिता की आशाएं एवं आकाक्षाएं जुड़ी हुई होती हैं। जोकि संतानो के द्वारा इस प्रकार से स्वयं के द्वारा लिए गए फैसलों के सामने कमजोर हो जाती हैं। अतः इस कानून से समाज के उन अभिभावकों को बल मिलना तय है जोकि अबतक इस दिशा में बढ़ते हुए युवाओं के प्रति चिंतित थे। यह अलग बात है कि तमाम राजनेता इस कानून को अपने-अपने अनुसार गढ़कर तैयार करेंगें। जिससे की सियासत की नयी ज़मीन तैयार होना भी स्वाभाविक है। जिसका लाभ लेने के लिए सियासी पार्टियां अपने-अपने अनुसार बखूबी गढ़ने का प्रयास भी करेंगी।

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परिचय -:

सज्जाद हैदर

वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक

 

संपर्क –  mh.babu1986@gmail.com

 

Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely her/ his own and do not necessarily reflect the views of INVC NEWS.

 
 

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