जानें तीज व्रत के निर्जलीय और साधारण व्रत में अंतर

“जानें तीज व्रत के निर्जलीय और साधारण व्रत में अंतर, चार गुना पुण्य का महत्व और इस व्रत के धार्मिक एवं स्वास्थ्य लाभ। हरितालिका तीज पर व्रत करने की सही विधि और मान्यताएं।”

आई एन वी सी न्यूज़
नई दिल्ली : इस साल हरतालिका तीज 6 सितंबर 2024, दिन शुक्रवार को है , तीज व्रत भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है, जिसे विशेष रूप से महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। तीज व्रत में दो प्रकार के व्रत का पालन किया जाता है: निर्जलीय व्रत और साधारण व्रत। आइए, इन दोनों के बीच के अंतर और इनके महत्व को विस्तार से समझते हैं:

1. निर्जलीय व्रत:

  • परिभाषा: निर्जलीय व्रत वह व्रत है जिसमें व्रती (व्रत रखने वाली महिला) पूरे दिन बिना जल ग्रहण किए उपवास करती है। इसमें अन्न, जल, फल या कोई भी अन्य खाद्य पदार्थ का सेवन नहीं किया जाता।
  • कठिनाई का स्तर: यह व्रत अत्यधिक कठिन माना जाता है क्योंकि इसमें कोई भी आहार नहीं लिया जाता है, जिससे शारीरिक तपस्या की पराकाष्ठा होती है।
  • धार्मिक महत्व: इस व्रत का उद्देश्य आत्मसंयम, शारीरिक और मानसिक शुद्धि के साथ-साथ देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करना होता है। माना जाता है कि इस कठोर तपस्या के कारण व्रती को विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है।
  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण: निर्जलीय व्रत से शरीर में विषाक्त पदार्थों का निष्कासन होता है, जिससे स्वास्थ्य में सुधार होता है और मानसिक शांति मिलती है।

2. साधारण व्रत:

  • परिभाषा: साधारण व्रत में व्रती दिनभर उपवास करती है, लेकिन इसमें जल, फल, दूध आदि का सेवन किया जा सकता है।
  • कठिनाई का स्तर: यह व्रत अपेक्षाकृत सरल होता है और इसे अधिक लोग आसानी से कर सकते हैं। इसमें कठोर तपस्या की आवश्यकता नहीं होती, इसलिए यह अधिक व्यावहारिक और सुविधाजनक होता है।
  • धार्मिक महत्व: साधारण व्रत भी धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाता है, लेकिन इसमें निर्जलीय व्रत की तुलना में थोड़ा कम तपस्या होती है।

3. तीज व्रत पर चार गुना पुण्य का महत्व:

  • तीज व्रत का महत्व भारतीय शास्त्रों में अत्यधिक माना गया है। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से व्यक्ति को उसके पापों से मुक्ति मिलती है और उसे चार गुना पुण्य प्राप्त होता है।
  • तीज व्रत देवी पार्वती और भगवान शिव की उपासना के लिए रखा जाता है। माना जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए इसी प्रकार का कठिन तप किया था, जिससे व्रत रखने वाली महिलाओं को विशेष पुण्य फल मिलता है।
  • इस व्रत का पालन करने से पति की लंबी आयु, परिवार में सुख-समृद्धि और जीवन में शांति प्राप्त होती है।

विशेष विधान और मान्यताएं: तीज के दिन महिलाएं विशेष रूप से देवी पार्वती की पूजा करती हैं और उन्हें सिंदूर, श्रृंगार सामग्री और वस्त्र अर्पित करती हैं। इस दिन तीज की कथा सुनना और व्रत का पालन करना महिलाओं के लिए अत्यधिक शुभ और पुण्यदायक माना जाता है।

इस प्रकार, तीज व्रत का पालन करने से न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ होते हैं, बल्कि यह व्रत हमारे शरीर और मन की शुद्धि के लिए भी लाभकारी होता है।

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