दिल्ली चुनाव में भाजपा की हर पर कोई मंथन करने को अभी भी तैयार नहीं । तैयार क्यूँ नहीं इसका मतलब अभी तक कोई क्यूँ नहीं समझता । कारण साफ़ है जिस तरह से भाजपा के शीर्ष नेताओं ने संघ की सेवा के बाद देश सेवा के लिये भाजपा में भेजे गये सभी मूल काडर नेताओं को नज़र अंदाज़ किया । जिस तरह भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्सामीदवार के साथ साथ कई और विधान सभा के उम्मीदवार भी पैराशूट के साथ साथ बैक डोर से अन्दर लाये गये, उससे भाजपा का मूल काडर हाशिये पर आ गया और जिसका खामियाज़ा भाजपा को विधान सभा के चुनाव में बुरी तरह हार के साथ भुगतना पड़ा ।
भाजपा के काडर या यूँ कहे कि मूल वोटर, कार्यकर्ता, नेता बहुत सारे ऐसे भी हैं ! जो जनम से पहले या या जन्म के साथ भाजपा के कार्यकर्ता हो जाते हैं अर्थात परिवार का माहौल ऐसा संघमय होता है कि बच्चा जब दुनिया आता है,आँखें खोलता है तो सब से पहले सरसंघचालक की फोटो देखता हैं उसके बाद किसी और की । यह जन्म जात संघ या भाजपा का
कार्यकर्ता पैदा होने से लेकर बड़े होने तक दुनिया को संघ की नज़र या भाजपा के चश्मे से देखता है । यह वह कार्यकर्ता होता हैं जिसका परिवार संघ के प्रचारकों का व्यय पत्र ,उनका आयोजन ,भोजन, आवागमन सभी बाकी ज़रूरतों का वर्षो से प्रबंधन करता आया हैं । तबसे ,जबसे भाजपा तो क्या संघ के पास भी अपने प्रचारकों को प्रचार के लिये यात्रा पर भेजने के पर्याप्त संसाधन मौजूद नहीं थे । भाजपा के मूल कार्यकर्ता की यही परिभाषा होती थी और यही है ।
भाजपा के सभी मूल कार्यकर्ता हमेशा से ही भाजपा के लियें भीड़ ,पैसा ,वोट इकट्ठा करने से लेकर गली मोहल्लों,शहरों, कस्बों और दूरदराज के गावों में संघ प्रचारको के साथ साथ भाजपा नेताओं के लिये दरी कुर्सी बिछाने तक का कम करता आया हैं । संघ का यह मूल कार्यकर्ता संघ के लियें फंड जुटाने के लिये गुरु दक्षिणा कार्यक्रमों का आयोजन करवाता आया है । इसी मूल कार्यकर्ता ने संघ के गुरूदक्षिणा कार्यक्रमों को चंद रुपयों से लेकर हजारों से लाखों ,लाखों से करोडों तक पहुचाया हैं । आज संघ के पास जो कुछ भी है, वह इस मूल कार्यकर्ता, उसके परिवारों के कई दशकों के त्याग और वलिदान के साथ साथ संघ के लियें निष्ठा का फल हैं। इसी मूल कार्यकर्ता के कारण भाजपा आज 2 से २८० सीट तक की पार्टी बनी हैं ।
दिल्ली भाजपा के साथ साथ आज पूरे देश में लगभग सभी बड़े नेता भाजपा के मूल काडर के नेता ही हैं । इन सभी मूल भाजपा नेताओं का न सिर्फ अपने अपने क्षेत्रो एक बहुत बड़ा जनाधार हैं बल्कि समाज के लगभग सभी धर्मो, जातिओं में भी अपनी एक अलग पहचान भी हैं । क्योकि ये भाजपा के मूल काडर के नेता अपने – अपने क्षेत्रों में सभी के साथ सामाजिक परिवेश बनाये रखते हैं । भाजपा के इस मूल काडर का यही सामजिक परिवेश्य और अपने अपने क्षेत्रो में पकड भाजपा की जीत और हार तय करता है । यह मूल काडर अपने अपने क्षेत्रो में सभी धर्मों के साथ साथ सभी जातिओं की अच्छी बुरी बातो के साथ साथ सभी सवाल का जबाब देने के लिये बाध्य होता है । भाजपा का शीर्ष नेतृत्व जैसा भी अच्छा या बुरा फैसला करता है, जनता के बीच जबाबदेही इसी मूल काडर की होती हैं क्योकि सभी बड़े नेता तो बड़ी जगह पर बैठ जाते हैं या आम जानता की आँख से ओझल हो सकते हैं पर यह मूल काडर का नेता अपना क्षेत्र छोड़कर नहीं भाग सकता। इस भाजपा के मूल काडर के नेता की हर हाल में जबाबदेही तय हो ही जाती हैं ।
दिल्ली भाजपा के लगभग सभी नेता मूल काडर के थे पर जिस तरह से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने आखिरी समय में हर्षवर्धन के साथ साथ जगदीश मुखी ,विजय गोयल और दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय को नज़र अंदाज़ करते हुयें पैराशूट से भाजपा के साथ साथ संघ की धुर विरोधी किरण बेदी के साथ साथ शाजिया इल्मी, बिन्नी, कृष्णा तीरथ और अलबेला को दिल्ली के दंगल में कुश्ती के लिये उतारा था, उससे भाजपा के मूल काडर का न सिर्फ मनोबल टूट गया बल्कि भाजपा के इस मूल काडर को अपने अपने इलाको में जबाब देना भी मुश्किल पड़ गया ।
भाजपा के मूल काडर के साथ साथ दिल्ली भाजपा के सभी नेताओं का भविष्य पर भी इस पैराशूट इंट्री ने सवालिया निशान लगा दिये । इस पैराशूट इंट्री ने भाजपा के मूल काडर को इतना पतादित किया कि भाजपा का मूल काडर या तो अपने अपने क्षेत्रो में जनता के पास जा नहीं पाया या फिर गया तो करनी और कथनी के साथ साथ चाल ,चरित्र और चहरे पर भी जनता ने सवाल उठाने शुरू कर दिए । ये सभी सवाल सिर्फ पैराशूट इंट्री की बजह से पैदा हुए थे और यही बात अबकी बार मूल काडर को अखर गयी और मूल काडर ने अबकी बार भाजपा के शीर्ष निर्तव्य को सबक सिखाने का मन बना लिया था । भाजपा का सूपड़ा कांग्रेस की तरह साफ़ होना तय था । किसी ने भी भाजपा के कैंडीडेट को वोट नहीं दिया बल्कि जो भाजपा कैंडीडेट जो भी जीते हैं सभी अपनी अपनी पहचान और सामाजिक परिवेश की वजह से जीते हैं ! इस मूल काडर की नाराजगी इतनी बड़ी थी कि भाजपा सबसे सुरक्षित सीट से भाजपा की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार कैंडीडेट तक को हरा दिया ।
यह भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के लिये खतरे की घंटी के साथ साथ अवेकनिंग काल भी है । अगर भाजपा शीर्ष नेतृत्व संघ के इस मूल काडर की अनदेखी करता रहा तो आने वाले सभी चुनावों में इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है । यह संघ और भाजपा के मूल काडर की कई पीढ़ियों के त्याग ,वलिदान ,प्रेम और आशा का ही फल है, जिसकी वजह से आज भाजपा इस मुक़ाम पर पहुची है ।
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परिचय -:
रत्नम चंद्रा
टेक्नोलॉजिस्ट ,लेखक व् संघ विचारक
शिक्षा : बी .एस सी ( संचार एवं सूचना प्रोद्यौगिकी )
विदेश यात्रा : फ्रांस व् जापान
जापान की इंटरनेशनल क्रिश्चनल यूनिवर्सिटी में इंसानियत और धर्म पर वक्तव्य देने के लिये गेस्ट लेक्चरर के तौर आमत्रित किया गया !
फ़्रांस : जल व् पर्यावरण, प्रदूषण व् ओजोन परत ,जल जंगल व् जमीन , घटते संसाधन और बदती आबादी इत्यादि पर वक्तव्य देने के लियें वर्ड वाटर फोरम ने फ़्रांस में आमंत्रित किया !
अलावा : देश के कई नामी शिक्षक संसस्थानो में समय – समय पर जल व् पर्यावरण, प्रदूषण व् ओजोन परत ,जल जंगल व् जमीन , घटते संसाधन और बदती आबादी ,इंसानियत और धर्म , तकनिकी शिक्षा का महत्व ,संचार एवं सूचना
प्रोद्यौगिकी इत्यादि पर वक्तव्य होते रहते हैं !
संपर्क : jamsratnam@gmail.com , निवास : नई दिल्ली









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