– राकेश कुमार –
देश के निर्यात क्षेत्र में हस्तशिल्प उत्पादों की अहम भूमिका है। वर्ष दर वर्ष देश के हस्तशिल्प उत्पादों में पश्चिमी और अन्य देशों की रूचि में लगातार वृद्धि हो रही है।वर्ष 2016-17 के दौरान भारत से कुल 24,392.39 करोड़ रूपये के हस्तशिल्प उत्पादों का निर्यात किया गया। गत वर्ष के मुकाबले हस्तशिल्प निर्यात में 13.15 प्रतिशत की वृद्धि दर की गई। देश भर में करीब 6 करोड़ लोग हस्तशिल्प और उससे संबद्ध क्षेत्रों में कार्यरत हैं। हस्तशिल्प क्षेत्र का महत्व इस बात से भी प्रतीत होता है कि बड़े उद्योगों की तुलना में हस्तशिल्प क्षेत्र में बहुत कम निवेश के साथ बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर प्रदान करने की अहम क्षमता है।
हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र देश के सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले क्षेत्रों में शामिल हैं। वस्त्र मंत्रालय की वित्त वर्ष 2016-17 की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र ने क्रमशः 43.31 लाख और 68.86 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया है। इन दोनों क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण उत्पादों के निर्यात से बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा की आय भी प्राप्त होती है।इसके साथ ही हथकरघा और हस्तशिल्प भारत की विरासत का मूल्यवान और अभिन्न अंग है, जिसे सरंक्षित रखने और प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है।
हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद(ईपीसीएच) देश में हस्तशिल्प निर्यात और दुनियाभर में हस्तशिल्प उत्पादों की ब्रांडिंग बनाने के लिए नॉडल संस्था है। देशभर से हस्तशिल्प उद्योग से जुड़े 11 हजार से अधिक संस्थाएं और व्यक्ति हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद के सदस्य हैं।
हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद वार्षिक दो प्रमुख मेलों का आयोजन करती है जिनसे हस्तशिल्प निर्यात को प्रोत्साहन मिलने के साथ-साथ हस्तशिल्प उत्पादों को संपूर्ण विश्व के समक्ष बेहतर प्रस्तुति का अवसर प्राप्त होता है।
ग्रेटर नोएडा में 44वें भारतीय हस्तशिल्प और उपहार मेले का आयोजन इसकी एक कड़ी था। इसका उदघाटन केंद्रीय वस्त्र एवं सूचना और प्रसारण मंत्री श्रीमती स्मृति इरानी ने किया। अपने उद्घाटन भाषण में वस्त्र मंत्री श्रीमती इरानी ने हस्तशिल्प निर्यात को बढ़ावा देने में हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प के निर्यात में वर्ष दर वर्ष वृद्धि हुई है और यह 2016-17 में 13.15 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 24.392 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। उन्होंने ईपीसीएच द्वारा कारीगरों के बच्चों की शिक्षा के लिए कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व कार्यक्रम के अंतर्गत शुरू की गई योजनाओं की सराहना की। यह योजना ओपन स्कूलों के जरिये कारीगरों के बच्चों को शिक्षा में पूरी सहायता प्रदान करती है। इसमें 75 प्रतिशत खर्च ईपीसीएच द्वारा तथा 25 प्रतिशत निर्यातक सदस्य द्वारा उठाया जाएगा।
वस्त्र मंत्री श्रीमती इरानी ने ईपीसीएच की डिजाइन पंजीकरण योजना शुरू करने के लिए सराहना की। इस योजना से सदस्य निर्यातक बिना किसी परेशानी के डिजाइन का पंजीकरण करा सकेंगे। उन्होंने कहा कि ईपीसीएच डिजाइन सेवाएं बड़े स्तर पर क्षेत्र की मदद करेंगी और हस्तशिल्प का निर्यात बढ़ेगा। जिससे कारीगरों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। श्रीमती इरानी ने प्रधानमंत्री की पूर्वोत्तर क्षेत्रो को प्रोत्साहन देने की परिकल्पना को ईपीसीएच द्वारा प्रभावी रूप से क्रियान्वयित करने के लिए परिषद की सराहना की। ईपीसीएच पूर्वोत्तर क्षेत्र के हस्तशिल्प और हथकरघा विकास के लिए एक समन्वित कार्यक्रम का संचालन कर रहा है, जिसके अंतर्गत डिजाइन, विपणन और कौशल विकास संबधी प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री गिरिराज सिंह ने हस्तशिल्प क्षेत्र के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि हस्तशिल्प क्षेत्र देश में रोजगार प्रदान करने वाले सबसे बड़े क्षेत्र में से एक है और हस्तशिल्प क्षेत्र के भागीदारो के बीच वैश्विक हस्तशिल्प निर्यात में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। विश्व भर में भारतीय हस्तशिल्प उत्पादो की मांग में निरंतर वृद्धि होने के बाद भी हस्तशिल्प निर्यात बाजार में भारत की केवल पांच प्रतिशत भागीदारी है।
मेले के दौरान पूर्वोत्तर राज्यो और जोधपुर के हस्तशिल्प कलस्टर पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया। इनमें जोधपुर के कारीगरो ने चमड़े की कढ़ाई, सींग, टाई एवं डाइ शिल्प, कढ़ाई एवं ऐप्लीक, हाथ ब्लॉक छपाई, पंजा दरी, धातु कला उत्पाद और काष्ठ शिल्प से जुडी अपनी शिल्प कला का प्रदर्शन कर सबका मन मोह लिया।
मेले के दौरान अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी से लघु और भविष्य के उद्यमियो को प्रोत्साहन मिलेगा। इससे अन्य व्यक्तियो को उत्पाद डिजायन और नए उत्पादो के प्रति प्रोत्साहन मिलेगा करेगा ताकि वे भी अंतर्राष्ट्रीय व्यापारियो से जुड सकें।
प्रौद्योगिकी उन्नयन के बारे में अगले पांच वर्ष के लिए ईपीसीएच ने विजन डाक्यूमेंट तैयार किया है। ईपीसीएच ने हाल ही में डिजाइन और उत्पाद विकास प्रौद्योगिकी मिशन शुरू किया है।
ईपीसीएच ने हमेशा से पूर्वोत्तर राज्यो, अनुसूचित जाति और जनजाति और महिला उद्यमियों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है। इसी नीति के अनुरूप लघु, छोटे और मझौले क्षेत्र के उद्यमी निर्यातकों की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड और ईपीसीएच के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य विपणन प्लेटफॉर्म,व्यापार प्रतिनिधिमंडल के दौरे और घर,जीवनशैली,फैशन,फर्नीचर और सजावटी उत्पादो इत्यादि क्षेत्रो में उद्यमियों को प्रशिक्षण प्रदान करना है।
12 से 16 अक्टूबर तक चला यह मेला व्यापारिक दृष्टि से सफल रहा। मेले में 3150 करोड़ रूपये की व्यापारिक पूछताछ की गई। इसके साथ ही इस वर्ष 100 से अधिक देशों के खरीदारों ने मेले का दौरा किया जबकि गत वर्ष 88 देशों से खरीदार मेले में पहुंचे थे। इसके साथ ही इस वर्ष मेले में प्रदर्शकों की संख्या बढ़कर लगभग तीन हजार तक पहुंच गई। मेले में 14 उत्पाद श्रेणियों में विभिन्न हस्तशिल्प उत्पादों का प्रदर्शन किया गया था। इनमें प्रमुख रूप से घर, जीवन शैली, फैशन, हस्तशिल्प और फर्नीचर में दो हजार से अधिक उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। इस वर्ष विदेशों से खरीदारों और उनके प्रतिनिधियों की भागीदारी बढ़कर 5995 तक पहुंच गई जबकि गत वर्ष यह 5586 थी। घरेलू व्यापारिक दौरा करने वालों की संख्या इस वर्ष 765 रहीं। मेले के दौरान 3150 करोड़ रूपये की व्यापारिक पूछताछ की गई और इसमें गत वर्ष के मुकाबले 6.78 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
इस वर्ष अमेरिका से सबसे अधिक 751 खरीदार, जर्मनी से 259, ब्रिटेन से 295, ऑस्ट्रेलिया से 275, फ्रांस से 282, जापान से 194 और चीन से 67 खरीदार मेले में पहुंचे थे। इस वर्ष पहली बार जॉर्डन, कतर, लेबनॉन, सऊदी अरब, तुर्की, उजबेकिस्तान, हंगरी, मंगोलिया, लीबिया और केन्या से खरीदार मेले में पहुंचे। मेले के दौरान पुन: उपयोग किए उत्पादों का सजावट के लिए प्रयोग सबके आकर्षण का केंद्र बना हुआ था।
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