पाक सेना का मनोबल टृट गया तो….?

invc news– तनवीर जाफ़री –

 विश्व के दस खतरनाक देशों की सूची में अपनी जगह बनाने वाला पाकिस्तान एक बार फिर पेशावर में हुए आतंकी हमले के कारण पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है। पाक स्थित आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान ने गत् दिनों पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल में घुसकर 136 बच्चों की हत्या कर दी। एक महिला अध्यापिका को भी इन दरिंदों ने जि़ंदा ही जला डाला। कुल 148 लोगों की जान लेने वाले इस आतंकी हमले की पूरे विश्व में घोर निंदा की जा रही है। अधिकांश लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाओं में यही कहा कि उन्हें  मासूम बच्चों को निशाना बनाकर किए गए इतने वीभत्स हत्याकांड की निंदा करने हेतु पर्याप्त शब्द ही नहीं मिल पा रहे हैं। इससे पूर्व भी पाकिस्तान स्थित तालिबानी संगठन वहां के कई सैन्य ठिकानों,हवाई अड्डों,सैन्य प्रशिक्षण केंद,सुरक्षा चौकियों को निशाना बनाकर बड़े से बड़े हमले अंजाम दे चुके हैं। अभी गत् माह नवंबर में ऐसे ही आत्मघाती हमलावर द्वारा बाघा सीमा पर विस्फोट कर 60 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इनमें भी कई बच्चे व महिलाएं तथा पाक सेना के लोग शामिल थे। इस हादसे में भी लगभग 200 लोग घायल हुए थे। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ऐसे सभी हमलों की जि़म्मेदारी बेहिचक लेता आ रहा है। इन आतंकवादियों की कई ऐसी करतूतें स्वयं उन्हीें के द्वारा वीडियो तथा चित्रों के माध्यम से प्रसारित की जाती हैं जिन्हें सामान्य हृदय रखने वाला व्यक्ति देख ही नहीं सकता। उदाहरण के तौर पर पिछले दिनों मेरी नज़रों के सामने से एक ऐसा ही वीडियो गुज़रा जिसमें यह दरिंदे पाक सेना से मुठभेड़ करने के बाद 4 सैनिकों के सिर काटकर उठा लाए। और उन कटे हुए सिरों के साथ आतंकवादी हंसी-मज़ाक करते हुए फुटबॉल की तरह काफी देर तक उनसे खेलते देखे जा रहे हैं।

तहरीक-ए-तालिबान ने पेशावर स्कूल हत्याकंाड में शामिल आत्मघाती हमलावरों की भी एक फोटो जारी की है। तालिबान नेता ने इस हमले की जि़म्मेदारी भी ली है तथा ऐसे और भी हमले भविष्य में किए जाने का अपना संकल्प भी दोहराया है। पेशावर घटना के बाद पाकिस्तान आर्मी ने एक बार फिर इन आतंकियों के विरुद्ध सैन्य अभियान छेड़ा है तथा सैकड़ों आतंकियों को मार गिराने का दावा किया है। ऐसी भी खबरें हैं कि इन हमलों में तहरीक-ए-तालिबान कमांडर फज़लुल्लाहभी अफगानिस्तान की ओर भागते हुए पाकिस्तानी सेना के हवाई हमले में मार गिराया गया है। पेशावर घटना से क्रोधित पाकिस्तान आर्मी के संभावित हमलों से घबरा कर तमाम आतंकी अफगानिस्तान की ओर भाग रहे हैं। पेशावर में मासूम बच्चों को कत्ल करने का जितना प्रभाव पाकिस्तान के आम लोगों पर पड़ा है भारत में भी इस घटना से लोग उतने ही दु:खी हुए हैं। भारत की संसद से लेकर देश के सभी स्कूलों तक में पेशावर घटना पर शोक व्यक्त करते हुए दो मिनट का मौन रखा गया। जबकि पाकिस्तान में तो इस घटना के बाद देश में तीन दिन का राष्ट्रीय शोक मनाने की घोषणा की गई। हालांकि पाकिस्तान में सामूहिक नरसंहार,लक्षित सामूहिक हत्याएं,मस्जिदों में नमाजि़यों पर तथा मोहर्रम के जुलूस में शिया अज़ादारों पर तथा दरगाहों में बरेलवी मुसलमानों,अहमदिया समुदाय के लोगों,सिखों तथा हिंदुओं व इसाईयों पर अनेकानेक बड़े से बड़े हमले आतंकियों द्वारा किए जाते रहे हैं। परंतु मासूम बच्चों की पेशावर में की गई निर्मम हत्या ने तो आतंकियों के दु:स्साहस व कू्ररता का वह भयानक चेहरा बेनकाब किया है जिसके लिए राक्षस या जानवर,वहशी तथा दरिंदे जैसे शब्द भी बहुत कमज़ोर पड़ गए हैं। तहरीक-ए-तालिबान इस हमले को यह कहकर जायज़ ठहरा रहा है कि सेना द्वारा चूंकि आतंकवादियों पर हमले के नाम पर हमारे परिवार उजाड़े गए हैं और हमारे बच्चें का भी कत्ल किया गया है लिहाज़ा यह घटना उन्हीं हादसों का बदला लेने के लिए अंजाम दी गई है। ज़ाहिर है चूंकि यह एक सैनिक पब्लिक स्कूल था लिहाज़ा इसमें मारे गए बच्चे भी अधिकांशत: पाकिस्तान की सेना के कर्मचारियों व अधिकारियों के ही बच्चे थे।

एक ओर तो तहरीक-ए-तालिबान द्वारा पेशावर के हमलावरों के चित्र जारी कर उन्हें महिमामंडित करने की कोशिश की जा रही है तो दूसरी ओर पाकिस्तान में सरेआम घूमने वाला जमाअत-उद-दावा का प्रमुख व मुंबई में 26/11 के हमलों का मुख्य आरोपी हािफज़ सईद इन हमलों के लिए भारत को न केवल दोषी ठहरा रहा है बल्कि भारत से इसका बदला लेने की बात भी सार्वजनिक रूप से कहता फिर रहा है। ऐसे समय में जबकि स्वयं प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ तहरीक-ए-तालिबान पर निशाना साधते हुए उसके विरुद्ध लंबी कार्रवाई किए जाने की बात कर रहे हों,पाकिस्तान सेना ने इसी आतंकी संगठन के आतंकवादियों के विरुद्ध सैन्य अभियान भी छेड़ दिया हो और सेना के पहले ही हमले में 56 आतंकी मारे भी जा चुके हों,पाक जेलों में बंद आतंकवादियों को फांसी पर लटकाए जाने का सिलसिला शुरु कर दिया गया हो,मुंबईमें 26/11 हमले के मास्टरमाईंड ज़कीउर्रहमान लखवी को इस्लामाबाद की आतंकवाद विरोधी अदालत द्वारा दी गई ज़मानत को स्थगित कर दिया गया हो,पाक सेना प्रमुख राहिल शरीफ द्वारा पेशावर घटना के बाद जेल में बंद सभी 8 हज़ार आतंकवादियों को फांसी पर अविलंब लटकाए जाने का संकल्प लिया जा रहा हो ऐसे में हािफज़ सईद द्वारा पेशावर हमले के लिए भारत को जि़म्मेदार ठहराने का आिखर मकसद क्या है? वह क्योंकर पाकिस्तानी अवाम का ध्यान तहरीक-ए-तालिबान द्वारा अंजाम दिए गए इस जघन्य व बर्बर हत्याकांड की ओर से घुमाकर भारत को इस घटना के लिए संदिग्ध बनाने का प्रयास कर रहा है? निश्चित रूप से यह बेहद चिंता का विषय है तथा एक ऐसा गंभीर मुद्दा है जिसको भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान को भी बड़ी ही गंभंीरता से लेना चाहिए। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान भले ही पाकिस्तान में अपनी मज़बूत स्थिति दर्ज कराने के लिए अपने हमलावरों द्वारा अंजाम दी जाने वली घटनाओं की जि़म्मेदारी ले लेते हों,परंतु दरअसल हािफज़ सईद पाक अवाम को गुमराह कर ऐसे हमलों के लिए भारत का नाम घसीटकर पाकिस्तानी लोगों के दिलों में भारत के प्रति नफरत का माहौल बनाना चाहता है। और ऐसा कर वह सीधेतौर पर तहरीक-ए-तालिबान जैसे संगठनों की सहायता करने का ही प्रयास कर रहा है।

दरअसल हािफज़ सईद हो, उसका संगठन जमाअत-उद-दावा हो या तहरीक-ए-तालिबान अथवा लश्कर-ए-तोएबा यह सभी संयुक्त रूप से एक ही लक्ष्य पर अलग-अलग संगठनों के नाम से कार्य कर रहे हैं। और इनका एकमात्र लक्ष्य है पाकिस्तान की सत्ता पर विद्रोह के द्वारा नियंत्रण हासिल करना और वहां शरिया कानून लागू कर पूरे देश को छठी शताब्दी की ओर ले जाना। बावजूद इसके कि पाकिस्तानी सेना में भी इनकी विचारधारा से प्रभावित कट्टरपंथी तत्व काफी बड़ी मात्रा में प्रवेश कर चुके हैं, परंतु पाक सेना अभी भी पूरी तरह से इनके नियंत्रण में नहीं आ सकी है। और यही वजह है कि वह समय-समय पर इन आतंकवादियों के विरुद्ध अभियान चलाती रहती है। दूसरी ओर बेनज़ीर भुट्टो की हत्या के बाद इन के हौसले इतने बढ़ चुके हैं कि अब जुलूसों,बाज़ारों,दरगाहों व मस्जिदों व स्कूलों आदि में कत्लोगारत करना तो गोया इनके लिए चुटकी बजाने का खेल जैसा बन चुका है। और इन्होंने अब सीधे तौर पर पाकिस्तानी सेना से संबंधित ठिकानों को ही अपना निशाना बनाना शुरु कर दिया है। पेशावर आर्मी पब्लिक स्कूल पर हुआ इतना बड़ा हमला उसी सिलसिले की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।

पाकिस्तान में होने वाली आतंकवादी घटनाओं,इनके विरुद्ध हो रही सैन्य कार्रवाई,हािफज़ सईद द्वारा तहरीक-ए-तालिबान की काली करतूतों पर परदा डालने के प्रयास तथा भारत का नाम पेशावर कांड में खींचने की साजि़श जैसे तेज़ी से चल रहे घटनाक्रम के बीच यह समझ पाने में ज़्यादा दिक्कत नहीं होनी चाहिए कि पाकिस्तान की सत्ता पर पाकिस्तान के समस्त आतंकी संगठनों ने मिलकर अपनी गिद्ध दृष्टि रखी हुई है। चूंकि पाकिस्तान एक परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र है इसलिए ऐसे दुर्दांत आतंकवादियों के हाथों में पाकिस्तान की सत्ता तथा परमाणु ठिकानों पर इनका नियंत्रण हो जाना पाकिस्तान की अवाम के लिए तो बरबादी का बड़ा सबब बन ही सकता है साथ-साथ यह पूरी दुनिया के लिए भी गहन चिंता का विषय है। ऐसा प्रतीत होता है कि पाकिस्तान में आतंकवादियों के बढ़ते हौसले तथा वहां की सत्ता व वहां के परमाणु प्रतिष्ठानों पर उनकी बुरी नज़र अब केवल पाकिस्तान से जुड़े विषय तक सीमित नहीं रह गया है बल्कि भारत सहित दुनिया के दूसरे जि़म्मेदार देशों को भी अब इसे रोकने के लिए चिंतन करना चाहिए तथा सामूहिक रूप से कोई बड़ी रणनीति तैयार करनी चाहिए। क्योंकि पेशावर में हुई घटना पाकिस्तान सेना का मनोबल तोड़ सकती है और यदि पाक सेना का मनोबल टृट गया तो भविष्य में मानवता का क्या होगा इसके बारे में सहज ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

Tanveer-Jafriwriter-Tanveer-Jafriinvc-news,तनवीर जाफ़रीTanveer Jafri

Columnist and AuthorAuthor Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also a recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities

Email : tanveerjafriamb@gmail.com –  phones :  098962-19228 0171-2535628
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Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC.

1 COMMENT

  1. Pak Army is doing perhaps the best under the prevailing conditions. Gen Raheel has shown resoluteness in tackling terrorism & religious bigotry. It is time to support Pak for internal cleansing launched first time perhaps,

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