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नई दिल्ली / नॉर्वे – : विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर अणुव्रत विश्व भारती संस्था द्वारा आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार में स्वच्छ भारत मिशन के राष्ट्रीय ब्रांड एंबेसडर एवम् डिजिटल डिप्लोमेसी विशेषज्ञ डॉ डीपी शर्मा ने कहा कि युवाशक्ति अपनी ऊर्जा को पहचानें और स्वयं का विश्लेषण करें कि वे अपना समय कितना सोशल मीडिया पर और कितना प्रकृति और काम पर विताते हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छता अभियान की प्रशंसा करते हुए कहा कि क्यों कोई भी आजादी के 75 साल में कोई भी स्वच्छ वातावरण और स्वच्छ टॉयलेट की व्यवस्था नहीं कर पाया? उन्होंने नोट जीरो और नेट जीरो के बारे में भी चर्चा की और कहा कि किस प्रकार अमेरिका और चाइना अधिक प्रदूषण फैला कर भी इस जिम्मेदारी को अन्य विकासशील देशों पर थोपना चाहते हैं।
उन्होंने हर युवा द्वारा कम से कम 2 पेड़ लगाने का आह्वान किया यानी एक अपने लिए और एक दूसरों के लिए। कार्यक्रम की संयोजिका डॉ नीलम जैन ने बताया कि इस अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन युवाओं को विशेष रूप से स्वच्छता एवं पर्यावरण से जोड़कर प्रकृति की स्वच्छता एवं स्वस्थता पर काम करना है। कार्यक्रम का संचालन अणुव्रत गीत से शुरू हुआ। अणुव्रत विश्व भारती के अध्यक्ष अविनाश नाहर ने सभी अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं का स्वागत किया और कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में दिल्ली इस्कॉन के उपाध्यक्ष अमोघ लीला दास ने कहा कि प्रदूषण हमारे अंदर भी है और बाहर भी। हमें दोनों प्रदूषण को नियंत्रित करना होगा तभी कोरोना जैसी महामारियों से हम मनुष्यता को बचा सकते हैं। कार्यक्रम में प्रबंधन के वरिष्ठ प्रोफेसर एवं आईएसबीएम डीन डॉ टीके जैन ने कहा कि युवाओं को अपने स्कूल कॉलेज में फलों के बीज का पौधारोपण के माध्यम से सदुपयोग करना चाहिए।
उन्होंने सीडफंड की चर्चा करते हुए कहा कि ग्रीन टेक्नोलॉजी पर इनोवेशन के लिए युवाओं को आगे आना होगा। उन्होंने नई शिक्षा नीति मैं पर्यावरण विषय को जोड़ने और उसके क्रेडिट मार्क्स देने की सिफारिश की। इस कार्यक्रम में इंग्लैंड से ऑनलाइन जुड़े सी-5 फाउंडेशन के डायरेक्टर विष्णु पीर ने कहा कि युवा अपनी ऊर्जा को पहचानें और नए-नए इनोवेशन वाले प्रोजेक्ट करें।
इसके साथ ही युवा ग्रीन रसायन वैज्ञानिक एवं बीआईआरसी निदेशक डॉ नरेंद्र भोजक ने बताया कि हमें पर्यावरण दिवस के लिए एक साल का इंतजार करने की जरूरत नहीं है बल्कि प्रति घंटे को पर्यावरण से जोड़कर अपनी दिनचर्या को प्रबंधित करना होगा। इस अंतरराष्ट्रीय वेबीनार का लाइव टेलीकास्ट विभिन्न मीडिया द्वारा कई देशों में किया गया। इस कार्यक्रम के अंत में प्रताप दुग्गड धन्यवाद ज्ञापित किया।