इंटरनेट को मानवाधिकार के रूप में मान्यता: डॉ. डीपी शर्मा ने भारत में रोमैक्स फ्रेमवर्क के तहत इंडिकेटर असेसमेंट की कमी पर उठाए सवाल

डॉ. डीपी शर्मा, आदिस अबाबा में इंटरनेट गवर्नेंस फोरम सम्मेलन के दौरान भारत में रोमेक्स फ्रेमवर्क पर विचार प्रस्तुत करते हुए
डॉ. डीपी शर्मा, आदिस अबाबा में इंटरनेट गवर्नेंस फोरम सम्मेलन के दौरान भारत में रोमेक्स फ्रेमवर्क पर विचार प्रस्तुत करते हुए

आज के डिजिटल युग में इंटरनेट न केवल एक तकनीकी साधन है, बल्कि इसे मानवाधिकार के रूप में मान्यता दी जा रही है। यह एक वैश्विक आवश्यकता बन चुका है, जिसे हर नागरिक तक पहुँचाना और सुरक्षित रखना अत्यंत आवश्यक हो गया है। यूनिसेफ का रोमैक्स फ्रेमवर्क (ROAM-X Framework) एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान करता है, जो इंटरनेट के सार्वभौमिकता, सुलभता और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए कार्य करता है। हालांकि, भारत में इस फ्रेमवर्क के तहत इंडिकेटर असेसमेंट की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हुई है, जो एक बड़ी चिंता का विषय बन चुका है।

डॉ. डीपी शर्मा आदिस अबाबा में इंटरनेट गवर्नेंस फोरम के 13 वे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनन में अंतराष्ट्रीय डेलीगेट के साथ
डॉ. डीपी शर्मा आदिस अबाबा में इंटरनेट गवर्नेंस फोरम के 13 वे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अंतराष्ट्रीय डेलीगेट के साथ

इंटरनेट गवर्नेंस फोरम (IGF) का 13वां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन

इंटरनेट के विभिन्न पहलुओं, चुनौतियों और मानवाधिकार से संबंधित विषयों पर चर्चा करने के लिए इथियोपिया की राजधानी, आदिस अबाबा में इंटरनेट गवर्नेंस फोरम (IGF) का 13वां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 20-22 नवंबर 2024 को आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन में 37 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें इंटरनेट के लोकतंत्र, सुरक्षा, गोपनीयता, और विश्वसनीयता जैसे मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श हो रहा है।

रोमैक्स फ्रेमवर्क में इंटरनेट सार्वभौमिकता संकेतकों का विस्तार

यूनेस्को द्वारा निर्धारित रोमैक्स फ्रेमवर्क में इंटरनेट सार्वभौमिकता संकेतकों को संशोधित करते हुए 109 से बढ़ाकर 300 कर दिया गया है। यह बदलाव देशों को इंटरनेट के अधिक प्रभावी उपयोग और नियंत्रण के लिए एक सशक्त ढांचा प्रदान करता है। हालांकि, भारत में अभी तक इस फ्रेमवर्क के तहत इंटरनेट की पहुंच का मूल्यांकन शुरू नहीं हो सका है।

डॉ. डीपी शर्मा का दृष्टिकोण

डॉ. डीपी शर्मा, जो एक अंतरराष्ट्रीय डिजिटल डिप्लोमेट और कंप्यूटर वैज्ञानिक हैं, ने इस सम्मेलन में भारत के बारे में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने बताया कि भारत में रोमैक्स फ्रेमवर्क के तहत इंडिकेटर असेसमेंट की प्रक्रिया की अभी शुरुआत नहीं हुई है। यह प्रक्रिया डिजिटल नीतियों को सुधारने, समावेशी डिजिटल परिवर्तन और सुरक्षित इंटरनेट सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।

डॉ. शर्मा ने अफसोस व्यक्त करते हुए कहा कि दुनिया के 40 से अधिक देशों में यूनेस्को के रोमैक्स फ्रेमवर्क के अनुसार इंटरनेट की पहुंच का मूल्यांकन पूरा हो चुका है, जबकि भारत इस मामले में पीछे है। इस मूल्यांकन में आईयूआई फ्रेमवर्क का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो इंटरनेट की विश्वसनीयता और सार्वभौमिकता का मापदंड प्रदान करता है।

विश्वसनीयता फ्रेमवर्क की आवश्यकता

डॉ. शर्मा ने यह भी सुझाव दिया कि इंडिकेटर असेसमेंट की सफलता उसके विश्वसनीयता फ्रेमवर्क पर निर्भर करती है। यदि यह फ्रेमवर्क मजबूत और विश्वसनीय नहीं होगा, तो इंटरनेट के उपयोग से संबंधित नीतिगत निर्णयों का वास्तविक प्रभाव नहीं देखा जा सकेगा। इसलिए, डॉ. शर्मा ने यूनाइटेड नेशंस से यह आग्रह किया कि वे असेसमेंट फ्रेमवर्क के साथ-साथ एक विश्वसनीयता फ्रेमवर्क भी तैयार करें, ताकि देशों के नीतिगत निर्णय अधिक प्रभावी और सतत हो सकें।

भारत में रोमेक्स डेटा संग्रह रणनीति की आवश्यकता

भारत में रोमैक्स फ्रेमवर्क के तहत इंटरनेट की पहुंच का मूल्यांकन अभी तक शुरू नहीं हुआ है। इस पर डॉ. शर्मा ने सुझाव दिया कि भारत को जनगणना में रोमेक्स डेटा संग्रह रणनीति को शामिल करना चाहिए। इस रणनीति के तहत, कम खर्चे में विश्वसनीय डेटा इकट्ठा किया जा सकता है, जो आगे चलकर इंटरनेट की सुलभता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मदद करेगा। इसके साथ-साथ यह एसडीजी (सतत विकास लक्ष्य) को भी प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगा।

भारत में इंडिकेटर असेसमेंट की प्रक्रिया की देरी क्यों?

भारत में इंटरनेट के उपयोग और पहुंच को लेकर इंडिकेटर असेसमेंट की प्रक्रिया की देरी कई कारणों से हो रही है:

  1. राजनीतिक और प्रशासनिक जटिलताएं:
    भारत में डिजिटल नीति निर्माण में कई राजनीतिक और प्रशासनिक बाधाएं हैं, जो इस प्रक्रिया की गति को धीमा कर देती हैं।
  2. सामाजिक और आर्थिक असमानता:
    इंटरनेट की सुलभता में गंभीर असमानता है, जहां ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच बहुत सीमित है।
  3. डेटा संग्रह में पारदर्शिता की कमी:
    भारत में डेटा संग्रह की प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है, जो सही तरीके से इंटरनेट पहुंच का मूल्यांकन करने में मुश्किलें उत्पन्न करता है।

समाधान और भविष्य की दिशा

डॉ. शर्मा ने भारत में रोमैक्स फ्रेमवर्क को अपनाने के लिए कई महत्वपूर्ण उपाय सुझाए हैं:

  1. इंटरनेट डेटा संग्रह रणनीति में सुधार:
    भारत को जनगणना डेटा संग्रह रणनीति में सुधार करना चाहिए ताकि कम खर्च में उच्च गुणवत्ता का डेटा एकत्र किया जा सके।
  2. सार्वजनिक-निजी भागीदारी का विस्तार:
    इंटरनेट के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच मजबूत भागीदारी की आवश्यकता है।
  3. समावेशी नीति निर्माण:
    इंटरनेट की सुलभता को बढ़ावा देने के लिए समावेशी नीतियां बनानी चाहिए, जो सभी वर्गों तक इंटरनेट की पहुंच सुनिश्चित करें।

रोमैक्स फ्रेमवर्क: क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है?

रोमैक्स फ्रेमवर्क इंटरनेट के उपयोग और पहुंच को चार स्तंभों पर मापता है:

  1. R – Rights (अधिकार): इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा।
  2. O – Openness (खुलापन): इंटरनेट की लोकतांत्रिक प्रकृति
  3. A – Accessibility (सुलभता): सभी के लिए इंटरनेट की उपलब्धता
  4. M – Multi-Stakeholder (बहु-हितधारक): साझेदारी और सहयोग।

इंटरनेट मानवाधिकार के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए रोमैक्स फ्रेमवर्क एक महत्वपूर्ण कदम है, जो इंटरनेट की सार्वभौमिकता और सुलभता को बढ़ावा देता है। भारत को जल्दी से जल्दी इस फ्रेमवर्क को अपनाना चाहिए और इंडिकेटर असेसमेंट की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए ताकि देश में इंटरनेट के उपयोग को बढ़ावा दिया जा सके। यह डिजिटल समावेशिता और सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

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