– प्रभात झा –
आज से कुछ वर्ष पहले जब लोग कहा करते थे कि एक समय आएगा जब भारत कांग्रेसमुक्त हो जाएगा, लोग जवाब देते थे, कैसी बात करते हो? गंगा-यमुना सूख सकती है पर कांग्रेसमुक्त भारत नहीं हो सकता। दिल्ली में आयोजित भाजपा की राष्ट्रीय परिषद् बैठक में जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि हमें कांग्रेसमुक्त भारत करना है, तो उस समय भी बहुत लोगों के मन में यह बात नहीं उतरी थी। आज जब देश की राजनैतिक परिस्थिति को अखिल भारतीय स्तर पर देखते हैं तो लगता है, सच में नरेन्द्र मोदीजी ने आने वाले कल को पहचान लिया था। उनकी वाणी फलती जा रही है।
राजनीतिक विश्लेषक होने के नाते जब हम कांग्रेस के इतिहास पर नजर डालते हैं तो लगता है कि सच में एक समय पूरे देश में कांग्रेस का बोलबाला था। उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश और बिहार में उनका गढ़ था, लेकिन आज जब नजर दौड़ाते हैं तो इन दोनों राज्यों में कांग्रेस सिमट ही नहीं गई, उखड़ सी गई।
उत्तर प्रदेश में 2014 की लोकसभा में 80 में से सिर्फ 2 सीटें, अमेठी और रायबरेली की जीत यह जाहिर करती है कि कांग्रेस कितनी कमजोर हो गई है। जब श्री नरेन्द्र मोदी अपने भाषणों में कहा करते थे कि यह मां-बेटे की पार्टी है तो कांग्रेस के लोग बुरा मानते थे। लेकिन सिर्फ मां-बेटे की जीत ने स्वतः यह सि( कर दिया कि कांग्रेस अब मां-बेटे की पार्टी ही रह गई है। कांग्रेस में पड़ रही इस अकाल का उनके किसी नेता को अंदाज नहीं आ रहा। किसी भी दल के अस्तित्व पर संकट नेतृत्व का संकट माना जाता है पर हाय री कांग्रेस! वह इस बात को आज भी समझने को तैयार नहीं है। राजनीति की बदलती संस्कृति, जिसमें चाटुकारिता और अपने से बौने लोगों की तलाश, यह दोनों बातें कांग्रेस ने पकड़ ली और यही कारण है कि वह कांग्रेसमुक्त भारत की ओर बढ़ रही है।
मैं यह सब नहीं लिखता पर जब जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक नजर दौड़ाता हूं तो देखने में आता है कि इतने बड़े भारत में कांग्रेस सात छोटे-मझौले राज्यों में और 2 बड़े राज्यों में सिमट कर रह गई है।
कहां एक समय देश में कांग्रेस का बोलबाला और जलजला था! वहीं कांग्रेस अब मात्र पूर्वोत्तर में- पांच राज्यों में सिसकियां ले रही है। कर्नाटक जाने के मुहाने पर खड़ा है और उत्तराखंड और हिमाचल में तो भाजपा पूर्व में शासन कर चुकी है। बात रही केरल की तो वहां उसकी वामपंथियों से सीधी लड़ाई है। नजर दौड़ाते हैं तो जम्मू-कश्मीर में, पंजाब में, दिल्ली में, राजस्थान में, मध्य प्रदेश में, छत्तीसगढ़ में, पश्चिम बंगाल में, गुजरात में, उड़ीसा में, हरियाणा में, उत्तर प्रदेश में, बिहार में, आंध्रा में, तेलंगाना में, तमिलनाडु में, गोवा में कांग्रेस गायब है। ये भारत के वे राज्य हैं जहां पर कांग्रेस पूर्व में बहुत मजबूत थी। वैसे तो वामपंथियों की ताकत देखें तो वो भी देश में जिसे अपना गढ़ कहते थे पं. बंगाल वहां के स्थानीय निकाय तक से गायब हो गयी। केरल में वामपंथियों की धमनियों में रक्त समाप्त हो रहे हैं। मात्र त्रिपुरा में वामपंथी कहने को मौजूद है। जहां तक नजर दौड़ाएं तो बिहार में समाजवाद अंतिम सांस ले रहा है और उसके बाद उत्तर प्रदेश से भी समाजवाद उखड़ने की स्थिति में आ रहा है।
भारतीय राजनीति ने ऐसा दौर कभी नहीं देखा। स्थितियां इतनी बदल गई हैं कि पिछले दो लोकसभा चुनावों मंे कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला। आज भारतीय जनता पार्टी जनता के समर्थन के दम पर संसद में बहुमत है। कांग्रेस 543 में से लगभग 500 सीटों से गायब है। आज जब राजनैतिक गलियारों में चर्चा होती है तो यह बात लोग साफ तौर पर कहते हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम के कारण कांग्रेस का विस्तार हुआ था और यह भी कहने से नहीं चूकते हैं कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने परिवारवाद के चलते कांग्रेस को समाप्त कर दिया है। समझ में नहीं आता, जो बात जनता समझती है वह बात सोनियाजी और राहुल जी समझते हैं कि नहीं?
आजादी के बाद अब तक कांग्रेस कभी भी ऐसे नाजुक दौड़ से नहीं गुजरी। साथ ही भाजपा को जनता ने ऐसा सुनहरा अवसर पूर्व में कभी नहीं दिया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह और भाजपा की पूरी टीम इसलिए नहीं मेहनत कर रही कि कांग्रेसमुक्त भारत करना है बल्कि उन्हें भाजपायुक्त भारत बनाना है। भाजपा ने इस दिशा में अपने कदम भी बढ़ाए हैं। और उसके एक नहीं अनेक उदाहरण दिए जा सकते हैं- मसला महाराष्ट्र का हो, हरियाणा का हो, झारखंड का हो, जम्मू-कश्मीर का हो या अब बिहार का हो, भाजपा उन सभी राज्यों में कार्यकर्ताओं की मेहनत और जनता के समर्थन से अपना विस्तार कर रही है।
बिहार के चुनाव में यह आम चर्चा का विषय है कि बिहार की सभी सीटों पर लड़नेवाली कांग्रेस की यह दयनीय स्थिति क्यों बनी कि वह मात्र 41 सीटों पर लड़ रही है। बिहार के चुनाव में यह भी चर्चा का विषय है कि कांग्रेेस के खिलाफ लड़ने वाली राजद-जदयू डूबती कांग्रेस का समर्थन क्यों ले रहे हैं? चर्चा यह भी है कि जिस जदयू ने पानी पी-पीकर राजद को कोसा था वह अब सिर्फ कुर्सी के लिए एक हो गये। लोग यह भी कह रहे हैं कि भाजपा ने अपने कंधे पर बिठाकर नीतीश कुमार को बिहार का नेता बना दिया था क्योंकि आज भी गांव-गांव में किसी एक पार्टी के कार्यकर्ता हैं तो उस पार्टी का नाम है भारतीय जनता पार्टी। लोग यह भी चर्चा कर रहे हैं कि नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में पराजित होने के बाद जीतनराम माझी को क्यों मुख्यमंत्री बनाया और कुछ ही माह बाद क्यों हटा दिया?
जदयू-राजद और कांग्रेस भले ही इन चर्चाओं को न सुन रही हो पर सच्चाई यही है कि ये सभी चर्चाएं जन-जन के बीच चल रही हैं। बिहार देश में बौ(िक स्तर पर अग्रणी राज्य की पंक्ति में है लेकिन ऐसे बौ(िक संपदा वाले बिहार की जो दुर्दशा इन तीनों दलों ने की उसे बिहार की जनता भूल नहीं सकती। भाजपा-जदयू की सरकार जब बनी तो लोग बिहार से पलायन करना बंद कर चुके थे।
यहां तक कि पलायन कर चुके बिहारी बिहार की ओर लौटने लगे थे। लेकिन आज उन सभी बिहारियों की स्थिति दयनीय हो चुकी है। बिहार देश के अन्य राज्यों से बहुत पिछड़ गया है। आज भी अगर यूपीएससी की परीक्षा परिणाम देखें तो उनमें सर्वाधिक लोग बिहार से चयनित होते हैं। मीडिया पर नजर डालें तो बिहारियों का ही बोलबाला है। जाति के आधार पर राजनीति करने वाले कुछ नेताओं ने बिहार को जाति की आग में झोंक दिया।
देश प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ओर देख रहा है। खासकर आने वाली पीढ़ी उन्हें अपना प्रेरणा मानती है। आज विश्व में जो भारतीय हैं वे भी आज गौरव महसूस कर रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने चीन और अमेरिका के राष्ट्र प्रमुखों को महात्मा गांधी द्वारा भाषित गीता भेंट की। गीता विश्व बंधुत्व का ज्ञान देता हैै। कांग्रेस के जमाने में रहे किसी भी प्रधानमंत्री ने ऐसे विचार क्यों नहीं प्रस्तुत किए? ‘योग’ हमारी मिट्टी का सुगंध है, इसे विश्व स्तर पर फैलाने का काम यूएन में जाकर जिसने किया उसका नाम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी है। गांव के गरीब की और शहर के नौजवानों की सबसे पहले चिंता आज एनडीए सरकार ने की है। केन्द्र सरकार की आधारहीन आलोचना से कांग्रेस का भला नहीं होगा। कांग्रेस का भला तो नेतृत्व बदलने से होगा, जो कांग्रेस में संभव नहीं है।
भारतीय जनता पार्टी गिर रही कांग्रेस की चर्चा कम करे और बढ़ती भाजपा की चर्चा अधिक करे तो देश में भाजपा विचार की स्वीकार्यता बढ़ती जाएगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह के टीम की मेहनत देखकर राजनीतिक हलकों मंे यह चर्चा है कि आने वाले दिनों में वह दिन दूर नहीं जब देश भाजपायुक्त होगा और जब भाजपायुक्त होगा तो देश स्वतः कांग्रेस से मुक्त होगा।