सोनू सूद को 13 जनवरी तक अंतरिम राहत दी है. ये अंतरिम राहत सूद की बिल्डिंग पर बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की ओर से कार्रवाई को लेकर दी गई है. अब बीएमसी 13 जनवरी तक सोनू सूद की बिल्डिंग पर हथौड़ा नहीं चला सकेगी.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अभिनेता सोनू सूद को 13 जनवरी तक अंतरिम राहत दी है. ये अंतरिम राहत सूद की बिल्डिंग पर बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की ओर से कार्रवाई को लेकर दी गई है. अब बीएमसी 13 जनवरी तक सोनू सूद की बिल्डिंग पर हथौड़ा नहीं चला सकेगी.
बीएमसी की ओर से सूद को 2020 में नोटिस जारी किया गया था. इस नोटिस के खिलाफ सोनू की अर्जी को दिंडोशी सिटी सिविल कोर्ट ने खारिज कर दिया था. उसी फैसले के खिलाफ सोनू सूद ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. बीएमसी ने सोनू सूद की रिहाइशी बिल्डिंग को लेकर दो नोटिस जारी किए थे. एक नोटिस अवैध निर्माण से जुड़ा था. वहीं दूसरा नोटिस बिल्डिंग के ‘इस्तेमाल का मकसद’(चेंज ऑफ यूजर) बदलने को लेकर था.
बीएमसी की ओर से पेश हुए वकील अनिल साखरे ने दलील दी कि, “निचली अदालत ने नोटिस के खिलाफ सोनू सूद की अर्जी खारिज करते हुए हाईकोर्ट तक जाने के लिए तीन हफ्ते का वक्त दिया था. ये वक्त शनिवार को खत्म हो गया. आखिरी मिनट में कोर्ट में पहुंच कर राहत मांगी गई.” साखरे ने ये भी कहा कि बीएमसी को ठीक से नोटिस भी तामील नहीं कराया गया. साखरे ने कहा, “शनिवार, रविवार को म्युनिसिपल दफ्तर बंद होते हैं. अखबारों और टेलीविजन के जरिए हमें पता चला कि मामले पर आज (सोमवार) को सुनवाई होनी है.’’ साखरे के मुताबिक उनकी टीम सभी दस्तावेजों को अभी तैयार नहीं कर पाई जिससे कि कोर्ट को आश्वस्त किया जा सके कि क्यों सोनू को भेजा गया नोटिस कानूनी तौर पर सही है.
सोनू के वकील ने क्या कहा?
केस में सोनू की तरफ से पैरवी करने वाले वकील अमोघ सिंह ने बीएमसी की ओर से हथौड़ा चलाने की कार्रवाई रोकने को लेकर संरक्षण मांगा है. सिंह के मुताबिक एक्स-फेसी (त्रुटि वाला) आदेश अवैध है. सिंह ने कहा, “बीएमसी की ओर से नोटिस जारी किया गया और हमने उसका जवाब दिया. इसके लिए कोई स्पीकिंग ऑर्डर नहीं है और निचली अदालत ने कहा कि स्पीकिंग ऑर्डर की जरूरत नहीं है. जबकि कोर्ट के ऐसे कई ऑर्डर हैं जिनमें कहा गया है कि ये ऑर्डर होना चाहिए.” सिंह ने आगे कहा, “2018 में सूद ने बीएमसी को ‘चेंज ऑफर यूजर’ के लिए आवेदन दिया था जो कि अब तक लंबित है. उन्होंने उस पर कोई आदेश नहीं दिया और इस बीच हमें नोटिस भेजना शुरू कर दिया. जब तक ये आवेदन लंबित है वो कार्रवाई नहीं कर सकते.”
बीएमसी के वकील ने इंगित किया कि “सोनू सूद ने छह मंजिला रिहाइशी बिल्डिंग को होटल में बदल दिया. होटल को चलाने का कोई लाइसेंस नहीं है. बिल्डिंग में 24 कमरे हैं. फ्लैट्स को होटल रूम्स में बदल दिया गया है. ऐसे ऐप्स हैं जो मुंबई में होटलों की लिस्ट दिखाते हैं, जिनमें सूद का होटल भी शामिल है.” जस्टिस पृथ्वीराज के चव्हाण ने सूद के वकील सिंह से पूछा- क्या होटल चल रहा है? इस पर बीएमसी के वकील साखरे ने कहा- ‘हां, ये बिना लाइसेंस ही चल रहा है.’ वहीं सोनू सूद के वकील सिंह ने कहा, “ये एक रिहाइशी होटल है. हमने लाइसेंस के लिए आवेदन किया है. यहां कोई व्यक्ति होटल में रुकने की सामान्य अवधि की तुलना में लंबी अवधि के लिए ठहर सकता है. ये डॉरमेटरी नहीं है. ये बहुत कुछ किराए पर अपार्टमेंट जैसा है. लेकिन कोर्ट के सामने ये मुद्दा नहीं है.”
सिंह के इस जवाब पर कोर्ट ने तल्ख लहजे में कहा, “लेकिन कोर्ट आपसे कोई भी सवाल कर सकती है और आपको जवाब देने की जरूरत है. मुद्दा ये है कि शख्स को साफ हाथों के साथ कोर्ट में आना चाहिए. अगर ऐसा मामला नहीं है तो आपको परिणाम भुगतने होंगे. जाहिर तौर पर सवाल किए जाएंगे.” सूद के वकील सिंह ने कोर्ट के सवाल का जवाब देने के बाद इस बात पर जोर दिया कि “ये नहीं होना चाहिए कि वे बीएमसी डिमॉलिशन की कार्रवाई करें. बीएमसी को बयान देना चाहिए कि वे डिमॉलिश नहीं करेंगे.”
पहले भी सिविल कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं सोनू सूद
बीएमसी ने सूद को महाराष्ट्र रीजनल टाउन प्लानिंग एक्ट (MRTP) के सेक्शन 53 के तहत नोटिस भेजा था. इसमें संबंधित व्यक्ति को अवैध निर्माण को एक निश्चित समय अवधि में तोड़ने के लिए कहा जाता है. इस केस में बीएमसी का आरोप था कि बिल्डिंग में सूद ने अनाधिकृत निर्माण जोड़ा और साथ ही कई ओर बदलाव किए जो मंजूर प्लान के मुताबिक नहीं थे.
सोनू सूद बीएमसी के नोटिस के खिलाफ दिंडोशी सिविल कोर्ट पहुंचे तो जज एमआई लोकवाणी ने अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया. सिविल कोर्ट ने इसके पीछे आधार दिया कि बीएमसी ने सोनू सूद की ओर से जोड़े गए निर्माण और किए गए बदलावों में अवैधता की सही तौर पर पहचान की है. PLC.