‘पाप के देवता’ और भद्रा काल: जानें पौराणिक कारण और मान्यताएं

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Bhadra Kaal Rakshabandhan 2024
फोटो: सोशल मीडिया

रक्षाबंधन, हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक, भाई-बहन के रिश्ते को सम्मानित करने और उनके बीच के बंधन को और मजबूत करने का दिन है। इस साल, रक्षाबंधन 19 अगस्त को मनाया जाएगा, लेकिन इस दिन भद्रा काल भी रहेगा, जिसके कारण बहनों को अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने से पहले समय का ध्यान रखना होगा। भद्रा काल को शुभ नहीं माना जाता, और इसमें राखी बांधने की मनाही है। लेकिन आखिर ऐसा क्यों है? क्यों भद्रा काल को ‘पाप के देवता’ से जोड़ा जाता है और इसे अशुभ माना जाता है? इस लेख में हम इसी प्रश्न का उत्तर ढूंढने का प्रयास करेंगे।

क्या होता है भद्रा काल?

भद्रा काल एक विशेष समय अवधि है जिसे भारतीय पंचांग के अनुसार अशुभ माना जाता है। यह काल शुभ कार्यों के लिए अनुपयुक्त होता है, और इसमें किए गए किसी भी कार्य का परिणाम सामान्यतया अनुकूल नहीं होता। ज्योतिष शास्त्र में भी भद्रा काल का उल्लेख मिलता है, जिसमें इसे विनाशकारी समय के रूप में जाना जाता है।

भद्रा का पौराणिक उल्लेख

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भद्रा काल का संबंध शनिदेव की बहन भद्रा से है। भद्रा का स्वभाव विनाशकारी माना गया है, और यह कहा जाता है कि जो भी कार्य इस काल में किया जाता है, उसमें नकारात्मक परिणाम की संभावना बढ़ जाती है। एक अन्य कथा के अनुसार, भद्रा काल का संबंध भगवान विष्णु के पुत्र भद्रा से है, जिन्हें भगवान शिव ने अपना द्वारपाल बनाया था और उन्हें आदेश दिया था कि जब भी कोई शुभ कार्य हो, तो वह उस समय में उपस्थित न हों। इसी कारण भद्रा काल में किसी भी शुभ कार्य को करने से बचा जाता है।

रक्षाबंधन और भद्रा काल: एक अदृश्य बंधन

रक्षाबंधन के दिन, बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करती हैं, और उनकी कलाई पर राखी बांधती हैं। यह एक धार्मिक अनुष्ठान है, जो सदियों से चला आ रहा है। लेकिन जब रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल होता है, तो बहनें इस समय राखी नहीं बांधतीं।

भद्रा काल में राखी बांधने का परिणाम

अगर कोई बहन भद्रा काल में राखी बांधती है, तो ऐसा माना जाता है कि भाई-बहन के बीच का रिश्ता सामान्य नहीं रह पाता। कई ज्योतिषियों के अनुसार, भद्रा काल में किए गए अनुष्ठान और शुभ कार्य वांछित परिणाम नहीं देते। यह काल किसी भी शुभ कार्य के लिए वर्जित होता है क्योंकि इस दौरान किया गया कोई भी कार्य सफल नहीं होता।

ज्योतिष शास्त्र में भद्रा काल का महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पंचांग के पांच प्रमुख अंग होते हैं: तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण। भद्रा भी करण का एक अंग है और इसे अशुभ माना गया है। यही कारण है कि भद्रा काल में किए गए कार्यों में विफलता का डर रहता है। भद्रा का यह काल व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं को जन्म दे सकता है, चाहे वह स्वास्थ्य से संबंधित हो, आर्थिक स्थिति या पारिवारिक संबंध।

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त

रक्षाबंधन के दिन, भद्रा काल का विशेष ध्यान रखा जाता है ताकि राखी बांधने का समय शुभ हो। इस साल, 19 अगस्त को भद्रा काल दोपहर डेढ़ बजे तक रहेगा। इसलिए, इस समय से पहले राखी नहीं बांधी जाएगी। दोपहर 1:30 बजे के बाद से रात 9:06 बजे तक का समय राखी बांधने के लिए शुभ माना गया है। इस दौरान बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनके सुख-समृद्धि की कामना कर सकती हैं।

FAQs

1. भद्रा काल का समय कब होता है?

भद्रा काल का समय पंचांग के अनुसार बदलता रहता है। यह एक विशेष काल है जो दिन के किसी भी हिस्से में आ सकता है, और इसे शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना जाता है।

2. क्या भद्रा काल में कोई अन्य शुभ कार्य भी नहीं किया जा सकता?

नहीं, भद्रा काल में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य, जैसे विवाह, नामकरण संस्कार, गृह प्रवेश आदि नहीं किए जाते। यह काल अशुभ माना जाता है, इसलिए इसमें कोई भी धार्मिक अनुष्ठान करने से बचा जाता है।

3. अगर कोई भद्रा काल में राखी बांध ले तो क्या होगा?

ऐसा माना जाता है कि भद्रा काल में राखी बांधने से भाई-बहन के रिश्तों में कड़वाहट आ सकती है और उनके बीच का बंधन कमजोर हो सकता है। इसलिए, इस काल में राखी बांधने से बचना चाहिए।

4. क्या भद्रा काल के समय का कोई वैज्ञानिक आधार है?

भद्रा काल का उल्लेख ज्योतिष शास्त्र में मिलता है, जो कि वैदिक ज्ञान पर आधारित है। हालाँकि, इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसे अशुभ माना गया है।

5. क्या भद्रा काल में कोई उपाय किए जा सकते हैं?

अगर किसी कारणवश भद्रा काल में कोई कार्य करना जरूरी हो, तो ज्योतिषीय उपाय किए जा सकते हैं। इसके लिए विशेषज्ञ ज्योतिष से परामर्श लेना चाहिए।

6. भद्रा काल कब समाप्त होता है?

भद्रा काल का समय पंचांग के अनुसार निर्धारित होता है और यह दिन के किसी भी हिस्से में समाप्त हो सकता है। इसलिए, इसके अंत का सही समय जानने के लिए पंचांग या ज्योतिषी से परामर्श लेना चाहिए।

7. क्या भद्रा काल सभी तीज-त्योहारों पर लागू होता है?

हाँ, भद्रा काल सभी प्रकार के तीज-त्योहारों और शुभ कार्यों पर लागू होता है। कोई भी धार्मिक अनुष्ठान या शुभ कार्य इस काल में करने से बचना चाहिए।

इस लेख का निष्कर्ष

रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को सुदृढ़ करने और उनके बीच प्रेम और विश्वास को बढ़ाने का पर्व है। लेकिन जब यह त्योहार भद्रा काल में आता है, तो इसके नियम और अनुशासन का पालन करना अनिवार्य हो जाता है। भद्रा काल को शुभ नहीं माना जाता और इस काल में किसी भी शुभ कार्य को करने से बचा जाता है। इसलिए, रक्षाबंधन के दिन, भद्रा काल का विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि भाई-बहन के बीच का यह अनमोल बंधन सदैव मजबूत और स्थायी रहे।

इस साल 19 अगस्त को भद्रा काल दोपहर डेढ़ बजे तक रहेगा। इस समय के बाद, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकती हैं और इस पवित्र बंधन को मनाकर उनके लिए सुख-समृद्धि की कामना कर सकती हैं।

तो, इस रक्षाबंधन पर भद्रा काल का ध्यान रखें और अपने भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए शुभ मुहूर्त में ही राखी बांधें। आखिरकार, यह त्योहार केवल एक धागा नहीं, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है!

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